इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर के प्रकार
क्या आप जानते है की शेयर क्या होता है, Share Market Kya Hai in Hindi अगर नहीं तो कोई बात नहीं आज की इस लेख में हम यही जानेंगे की शेयर क्या होता है इससे पहले हाय हेल्लो नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट bebicrypto पर अगर आप क्रिप्टो करेंसी और शेयर मार्केट से जुडी जानकारी पढने में रूचि रखते है तो आप हमारे वेबसाइट पर visit कर सकते है.
Table of Contents
शेयर क्या है? (Share Kya Hai)
व्यवसाय और निवेश में शेयर का बड़ा चर्चा किया जाता है की शेयर क्या होता है शेयर को हिंदी में अंश कहते है अर्थात टुकरा स्टॉक मार्केट में शेयर का अर्थ किसी भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को खरीदना शेयर कहलाता है.
स्टॉक मार्केट क्या है? (Share Market Kya Hai in Hindi)
शेयर मार्केट दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शेयर जिसमें शेयर का मतलब एक दूसरे के साथ किसी प्रोडक्ट को इधर से उधर करना तथा मार्केट का मतलब जहां पर खरीदने के लिए तथा बेचने के लिए वह प्रोडक्ट AVILABLE हो उसे हम शेयर मार्केट कहते हैं अगर सामान्य शब्दों में कहूं तो जहां हम किसी किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते है और उसी शेयर को सही समय आने पर भी उसे शेयर मार्केट कहते हैं.
शेयर क्या होता है? (Share Kya Hota Hai)
किसी कंपनी के कुल स्वामित्व लाखो-करोडों टुकरे में बंटे होते है स्वामित्व का हर एक टुकरा या अंश शेयर कहलाता है. जिसके पास जितना ज्यादा टुकरा उतनी ही ज्यादा उसकी उस कंपनी में हिस्सेदारी इस हिस्सेदारी को लोग खरीद और बेच भी सकते है भारत में दो सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है पहला बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दूसरा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
शेयर होल्डर किसे कहते है? (Share holder kise khate hai)
किसी भी कंपनी के हिस्सेदारी को एक शेयर होल्डर ही खरीदता है और बड़े उम्मीद के साथ लंबे समय तक होल्ड करके रखते है शेयर होल्डर कहलाता है. एक शेयर होल्डर ही होता है जो शेयर को खरीदता है और मुनाफा कमाता है अगर आसान शब्दों में कहू तो जो व्यक्ति किसी कंपनी या संस्थान के हिस्सेदारी को खरीदता है वह कंपनी या संस्थान के हिस्सेदार बन जाते है अर्थात शेयर का मालिक बन जाते है जो व्यक्ति उस शेयर को खरीदता है वो शेयर होल्डर कहलाता है
शेयर होल्डर किसी कंपनी या संस्थान के शेयर को खरीद कर बड़ी उम्मीद के साथ उस शेयर को होल्ड करके रखता है और जब शेयर का मूल्य शेयर होल्डर के उम्मीद के अनुसार हो जाता है तो शेयर होल्डर मुनाफा में बेच देता है.
कंपनी क्यों करती है अपनी शेयर जारी
आपको में एक उदाहरण के द्वारा समझाता हु माना की आपकी कंपनी xyz है जो T-Shirt बनाती है जिसको शुरु करने में 1Cr रुपया लगा और वह xyz कंपनी एक महीने में 10000 टी-शर्ट बनाती है जो लोगो के द्वारा काफी पसंद किए जाते है उन टी-शर्ट का डिमांड मार्केट में काफी ज्यादा है तो कम्पनी के एक प्लांट से उतना टी-शर्ट नहीं बन पाता है तो कंपनी एक और प्लांट खोलना चाहती है जिसके लिए उन्हें फिर से एक करोड़ चाहिए तो वह कंपनी दो काम कर सकती है पहला अपने फ्रेंड, फेमिली या बैंक से कर्ज ले सकती है और दूसरा पब्लिक से पैसा ले सकती है, जब कंपनी पब्लिक से पैसा लेती है तो पब्लिक को कंपनी का शेयर दिया जाता है यही कारण है की कंपनी अपनी शेयर को मार्केट में इशू करती है
शेयर के प्रकार (Types of Share)
वैसे तो शेयर के बहूत से प्रकार है परन्तु मुख्यतः शेयर के तीन प्रकार होते है
इक्विटी शेयर Equity Share : इक्विटी शेयर को सामन्य शेयर के रूप में जाना जाता है ये शेयर केआप प्रकार में से एक है स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनी जब अपना शेयर मार्केट में इशू करती है तो उन शेयर को इक्विटी शेयर कहा जाता है
अन्य और शेयर की तुलना में इक्विटी शेयर पर सबसे ज्यादा इन्वेस्ट और ट्रेडिंग किए जाते है क्योकि शेयर लगभग सभी कंपनी के द्वारा इशू किए जाते है
वरीयता शेयर : शेयर बाजार में इक्विटी शेयर के बाद परेफरेंस शेयर का नाम आता है वैसे इक्विटी शेयर और परेफरेंस शेयर में ज्यादा अंतर नहीं है क्योकि ये दोनों शेयर ही है परन्तु कुछ बाते है जो इक्विटी शेयर को परेफरेंस शेयर से अलग करती है जैसे शेयर होल्डर कभी भी कम्पनी के मीटिंग में वोटिंग नहीं कर सकता है
DVR (Differential Voting Rights) : इस शेयर की मात्रा बाजार में कम होती है वोट राईट कम होती है इक्विटी शेयर के प्रकार इसी वजह से DVR शेयर में मूल्य कम होते है
शेयर कैसे ख़रीदे (Share Kaise Kharide)
किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिए आपके पास Demate Account होना आवश्यक है demate अकाउंट आप किसी भी ब्रोकर की सहायता से खुलवा सकते है तभी आप किसी भी कंपनी में निवेश कर पाएंगे
Demat Account क्या है? (What is Demat Account in Hindi)
जब हमें किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदना होता है तो हम सीधे कंपनी पर इन्वेस्ट नहीं कर सकते है किसी ब्रोकर की सहायता से इन्वेस्ट करना होता है आप से कुछ वर्ष पहले जब इन्टरनेट उतना पोपुलर नहीं था तब किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए चार से पांच माह लग जाता था परन्तु आज जब हमारा पूरा प्लानेट डिजिटल हो रहा है गया है जहाँ एक शेयर को खरीदने के लिए 4 से 5 माह लगते थे वही आज कुछ मिनटों में किसी भी कंपनी के शेयर को खरीद और बेच सकते है
आज बहूत सारे मार्केट में ब्रोकर है जो demat account खोल देते है जिसमे कुछ फ्री होते है तो कुछ चार्ज करते है जिनका लिंक नीचे दिया गया है जहाँ से आप demat account खोल सकते है
शेयर को हिंदी में अंश कहते है ये किसी भी कंपनी के कुल पुंगी का एक छोटा सा भाग होता है
शेयर का इक्विटी शेयर के प्रकार अर्थ यहं ये नहीं है की की किसी भी सोशल मिडिया में किसी विडियो को शेयर करना स्टॉक मार्केट में शेयर का अर्थ हिस्सेदारी होता है जब भी कंपनी के कुल भागीदारी में कुछ टुकरा खरीदते है तो हमें उस कंपनी का हिस्सेदार बनाया जाता है जितनी ज्यादा शेयर उतने ज्यादा हिस्सेदारी
बहूत सारे लोग यह करते है की जैसे ही मार्केट इक्विटी शेयर के प्रकार खुला वैसे ही शेयर खरीद लेते है और जैसे ही मार्केट बंद होने वाला होता है शेयर बेच देते है वैसे इस प्रोसेस को intraday कहा जाता है ऐसे में आप छोटे प्रॉफिट तो कमा लेंगे परन्तु बड़े प्रॉफिट नहीं कमा पाएंगे एक सभी इन्वेस्टर का काम होता है की शेयर कम मूल्य पर खरीद कर उसे लंबे समय तक होल्ड करके रखना और जब उस शेयर का मूल्य ज्यादा हो जाए तो उसे सेल कर देना
एक सही शेयर को चुनना अति आवश्यक है क्योकि एक शेयर ही आपको प्रॉफिट दिला सकता है एक सही शेयर को चुनने के लिए आप नीचे लिए गए बातों को ध्यान में रखे
अंतिम विचार : (Share Market Kya Hai in Hindi?)
आसा करता हु की इस लेख में बताया गया बात आपको समझ आया होगा मेरा यही कोशिस कर रहता है की एक ही लेख में किसी भी टॉपिक्स के उपर सारी जानकारी दे दु वैसे इस पोस्ट में हमने बताया है की शेयर क्या होता है (What is Share Market in Hindi?), शेयर मार्केट को हिंदी में क्या कहते है और बहूत कुछ आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया ग्रुप में जरुर शेयर करे
शेयर क्या है और इसके प्रकार क्या होते है?
आपने शेयर बाजार का नाम कभी न कभी जरूर सुना लेकिन आपके मन में यह सवाल आता होगा की Types of Shares in Hindi इसकी सम्पूर्ण जानकारी और आसान शब्दो में किस जगह और कहा पर मिलेगी तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है क्युकी आज के इस आर्टिकल में हम डिटेल्स में जानने वाले इसके बारे में इसलिए इस आर्टिकल को जरूर पूरा ध्यान से पढियेगा
शेयर्स की परिभाषा
जब किसी व्यक्ति या संस्था को बहुत ज्यादा पूजी की जरुरत होती है या खुद का कारोबार बढ़ाना होता है तब वह उनके कुल कम्पनी की पूंजी का थोड़ा-सा भाग छोटे-छोटे टुकड़ो में और इक्विटी शेयर के प्रकार एक बराबर भागो में बाँट कर पब्लिक को बेचने की पेशकश करती है जिससे कंपनी पूंजी को इकठ्ठा कर सके जिसे हम शेयर कहते है
उदाहरण- मान लीजिये X कंपनी इक्विटी शेयर के प्रकार की कुल पूंजी 2 लाख है, और वह इस 2 लाख शेयर को जारी करती और आपने उसमे से 17 हजार रुपये का शेयर खरीद लेते है तो आप उस कंपनी के 17 % का मालिक बन जाते हो मतलब कि आप उस कंपनी के शेरधारक (Shareholder) हो जाते हो यही शेरधारक कहलाता है और वही जो आप 17% एक छोटा सा हिस्सा खरीदे है उसी हम को शेयर कहते है
Type of Shares in Stock Market
शेयर के मुख्य दो प्रकार के होते है
1.प्रथम प्रकार इक्विटी शेयर (Equity Share)
मान लीजिये आप Tata कंपनी के टोटल 100 शेयर्स में से 40 शेयर्स खरीद लेते हो आप उस कंपनी के 40 % का मालिक कहे जाओगे जिसे इक्विटी शेयर कहते है जो शेयर्स खरीददार होते है इनको इक्विटी शेयर होल्डर भी कहा जाता है दूसरे शेयर्स कि तुलना में इक्विटी शेयर सबसे ज्यादा ट्रेड किये जाते है
2.दूसरा प्रकार प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)
यह वह शेयर्स होता है जो शेयर धारक को निश्नित डिविडेंड दिया जाता है इनको डिविडेंड का भुगतान अन्य शेयरधारकों के तुलना में सबसे पहले किया जाता है। और शेयर बाजार में अन्य शेयर्स की तरह इनका भी ट्रेड होता है लेकिन इनके पास कंपनी की वोटिंग राइट्स या अन्य अधिकार नहीं होता है
आखिर कंपनी कोई भी शेयर क्यों जारी करती है? –Why Companies issue Share for public?
सभी कम्पनियाँ अपने व्यापार को आगे बढ़ाना चाहती है और व्यापार को बढ़ाने के लिए बहुत सारे पैसों की जरुरत होती है ऐसे में कंपनियां बैंक से पैसे उधार न लेकर वह आम जनता से शेयर जारी करके पैसे इकट्ठा करती है.
इसके लिए आईपीओ के जरिए भी अपने शेयर जारी करती है जिससे कि निवेशक बड़ी संख्या में उन शेयरों को ख़रीदे जिससे कंपनी पूंजी की जरुरत पूरा कर सके और व्यापार को बढ़ा सके
शेयर में निवेश से कई तरह से लाभ मिल हो सकता है जानिये नीचे बताया गया है
- DIVINDEND BENEFITS :- यदि कंपनी भविष्य में लाभ कमाती है तो वह लाभ का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को भी देती है यह लाभ निवेशक के द्वारा निवेश की गई धनराशि के आधार पर दिया जाता है
- BONUS BENEFITS :- कंपनी अपने निवेशकों को बोनस के रूप में अतिरिक्त लाभ भी देती रहती है यह प्रत्येक शेयर होल्डर को दिया जाता है
- RIGHT ISSUE BENEFITS :- कंपनी अपने शेयरधारकों को समय-समय पर राइट इश्यू का भी लाभ अनुपात के रूप में देती रहती है
- SHARES BENEFITS :- यदि कंपनी अच्छा खासा विकसित हो रही है तो कंपनी के शेयर के भाव में इजाफा होगा तो इसका लाभ शेयरधारकों को भी दिया जाता है
- यह भी पढ़ें : शेयर क्या है और इसके प्रकार क्या होते है
मुझे पूरा उम्मीद है कि आपको यह लेख समझ आया होगा Types of Shares in Hindi क्या होता है? और कितने प्रकार का होता है यह मेरा हमेशा पूरा कोशिश रहता कि लेख पढ़ने वाले READER को पूरी जानकारी मिले और उनको जानकारी लेने के कही और जगह जाने की जरुरत न पड़े और उनको कम से कम समय में पूरी जानकारी मिले
फिर भी अगर आपको इस A rticle के सम्बंधित कुछ भी Confusion, Doubt,हो या अगर आपको लगता है इसमें कुछ सुधार होने चाहिए या A rticle अच्छा लगा हो तो इसके लिए आप Comment जरूर लिखियेगा
शेयर मार्केट में शेयरों की खरीद-बिक्री पर लगता है तगड़ा टैक्स, निवेश से पहले जानें गणित
एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी एक निवेशक के पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको यह पता होना चाहिए विभिन्न प्रकार के इक्विटी उपकरणों के लिए टैक्स नियम अलग-अलग होते इक्विटी शेयर के प्रकार हैं। उदाहरण के लिए, पूंजीगत.
एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी एक निवेशक के पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको यह पता होना चाहिए विभिन्न प्रकार के इक्विटी उपकरणों के लिए टैक्स नियम अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, पूंजीगत लाभ आपके होल्डिंग समय के ऊपर आधारित है। स्टॉक और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड के लिए, लंबी अवधि को एक वर्ष से अधिक के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन यूलिप के लिए यह पैरामीटर लागू नहीं होता है। टैक्स प्रोडक्ट से मिलने वाले कुल रिटर्न को कम करते हैं। यह देखते हुए कि अलग-अलग इक्विटी परिसंपत्तियों के अलग-अलग कर नियम हैं, एक निवेशक को करों के संदर्भ में भी निवेश की उपयुक्तता पर ध्यान देना चाहिए। यहां देखें अलग-अलग प्रोडक्ट पर कितना-कितना टैक्स है-
लिस्टेड स्टॉक (लॉन्ग टर्म- एक साल से ज्यादा)
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स
डिलीवरी- 0.1% (बायर और सेलर दोनों को भुगतान देना होगा)
इंट्राडे- 0.025% (केवल सेलर भुगतान करेगा)
डिविडेंड पर टैक्स- स्लैब रेट
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 15.6%
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 10.4%
इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड (लॉन्ग टर्म- एक साल से ज्यादा)
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स- 0.001%
डिविडेंड पर टैक्स- स्लैब रेट
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 15.6%
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 10.4%
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (लॉन्ग टर्म- एक साल से ज्यादा)
सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स
डिलीवरी- 0.001% (सेलर को भुगतान करना होगा)
डिविडेंड पर टैक्स- नॉट एप्लीकेबल
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 15.6%
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स- 10.4%
ये टर्म जानते हैं, तो ठीक से समझ जाएंगे शेयर बाजार.
इक्विटी शेयर क्या है? इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस् . अधिक पढ़ें
- News18India.com
- Last Updated : October 14, 2015, 16:56 IST
संजीव सिन्हा
इक्विटी शेयर क्या है? इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के इक्विटी शेयर के प्रकार अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है
राइट्स इश्यू/राइट्स शेयर किसे कहते है? जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को उनकी अंशधरिता के अनुपात में नई शेयर देने की पेशकश करती है तो इसे राइट्स इश्यू या राइट्स शेयर कहा जाता है। शेयरधारकों को राइट शेयर खरीने का अधिकार मिलता है। लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर है कि वह इसका उपयोग करे या न करे। राइट्स इश्यू में कंपनी अन्य प्रतिभूतियां भी जारी कर सकती है
इक्विटी शेयरधारकों के अधिकार क्या हैं? इक्विटी शेयरधारक कंपनी के हिस्सेदार ही कहलाते हैं। इसलिए इन्हें कंपनी के वित्तीय परिणाम और आर्थिक स्थिति को जानने का अधिकार है। इसके लिए उसे प्रतिवर्ष सम्पूर्ण विवरण सहित बेलेंसशीट और वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार है। कंपनी को अपने मुख्य कारोबार के दैनिक कामकाज के विवरण को छोडकर, किसी भी नीति को बदलने, नए शेयर जारी करने और अन्य महत्वपूर्ण कामों के लिए शेयरधारकों की अनुमति लेनी पडती है। इसके लिए साल में कम से कम एक बार वार्षिक सभा करनी आवश्यक है जिसमें निदेशक बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव रखने पड़ते हैं। वार्षिक सभा की सूचना के साथ इन प्रस्तावों की प्रति भी शेयरधारकों को इस तरह भेजनी होती है ताकि वह उन्हें वार्षिक सभा से पहले मिल जाए। शेयरधारकों को इन प्रस्तावों के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार रखने व वोट देने का अधिकार है। कंपनी की लेखा पुस्तकों या अन्य जरूरी दस्तावेजों को जांचने का अधिकार भी शेयरधारकों को है।
बोनस शेयर मतलब क्या? कंपनी अपने वार्षिक लाभ को सम्पूर्ण रूप से लाभांश या डिविडेंड के रूप में वितरित नहीं करती है। इसका कुछ हिस्सा वह संचय खाते में जमा करती जाती है जो कुछ वर्षों में एक बड़ी राशि बन जाती है। कंपनी अपनी भावी विकास योजना या अन्य योजनाओं के लिए इस राशि को पूंजी खाते में हस्तांतरित करने के लिए इतनी ही राशि के शेयर बतौर बोनस अपने मौजूदा अंशधारकों को अनुपातिक आधार परे दे देती है। इन शेयरों के लिए शेयरधारकों से कोई मूल्य नहीं लिया जाता।
प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं? इस प्रकार के शेयर रखनेवाले शेयरधारकों को प्रतिवर्ष पूर्व निर्धारित दर से लाभांश दिया जाता है। यह लाभांश कंपनी के लाभ में से दिया जाता है। लेकिन इसका भुगतान इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देने से पहले किया जाता है। यदि कंपनी का दिवाला निकलता है तो प्रेफरेंस शेयरधारक को उसका हिस्सा इक्विटी शेयरधारकों से पहले, लेकिन बॉण्ड होल्डरों, डिबेंचरधारकों जैसे लेनदारों को चुकाने के बाद, मिलने का अधिकार है।
क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर क्या है? ऐसे शेयरधारकों को पूर्व निर्धारित दर पर प्रतिवर्ष लाभांश नहीं दिया जाता बल्कि यह कंपनी के पास जमा होता रहता है। जब कभी भी कंपनी अपने इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देती है तो उससे पहले क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयरधारकों को लाभांश दिया जाता है। ऐसी स्थिति में इनको उक्त अवधि तक का पूरा संचित लाभांश दिया जाता है।
क्युम्युलेटिव कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं? यह एक प्रकार का प्रेफरेंस शेयर ही है जिसमें निर्धारित दर पर लाभांश संचित होते हुए एक साथ ही चुकाया जाता है। लेकिन इसमें एक निर्धारित अवधि भी होती है जिसके पूरा होने पर उन्हें संचित लाभांश का भुगतान तो कर ही दिया जाता है, साथ ही ये शेयर स्वतः इक्विटी शेयर में रूपांतरित हो जाते है।
आप इक्विटी शेयर कैसे प्राप्त करें ? आप प्राइमरी मार्केट से पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के दौरान आवेदन करके या फिर सीधे शेयर बाजार के मान्यताप्राप्त ब्रोकर के माध्यम से सेकेंडरी मार्केट में शेयर खरीद सकते हैं।
प्राइमरी मार्केट क्या है ? कोई कंपनी जब अपनी परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए पब्लिक इश्यू जारी करती है तो इस ऑफर के माध्यम से आवेदन करके शेयर पाने और कंपनी द्वारा शेयर आवंटित करके उनको सूचीबद्ध कराने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया/व्यवहार प्राइमरी मार्केट के कार्यक्षेत्र में आता है
सेकेंडरी मार्केट किसे कहते हैं? कंपनी पब्लिक इश्यू द्वारा आवेदकों को शेयर आवंटित करने के बाद उन्हें पंजीकत स्टॉक एक्सचेंज में listed करवाती है। LISTED के बाद पब्लिक इश्यू यानी शुरुआती पब्लिक (आईपीओ) या फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के जरिए प्राइमरी मार्केट में आवंटित किए गए शेयरों की खरीद-बिक्री की जा सकती है और इसी व्यवहार/कारोबार को सेकेंडरी मार्केट में सम्मलित किया गया है। साधारण भाषा में जब कोई व्यक्ति आवेदन करके कंपनी से सीधे शेयर लेता है तो यह प्राइमरी मार्केट का व्यवहार कहलाता है। पर जब यही शेयर वह अन्य किसी शेयरधारक से खरीता है या अन्य को बेचता है तो यह व्यवहार सेकेंडरी मार्केट कहलाता है। शेयर बाजार को ही तकनीकी रूप से सेकेंडरी मार्केट कहते हैं। प्राइमरी व सेंकेंडरी मार्केट को मिलाकर बनता है देश का पूंजी बाजार।
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