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अतिरिक्त आय

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बस्तर के ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का जरिया बना महुआ

बस्तर के ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का जरिया बना महुआ

कुदरत ने बस्तर को इतने घने जंगल दिए कि यहां बहुतायत में महुआ मिलता है और यही महुआ बस्तरवासियों का पेट भरता है। महुआ सुखा कर बेचने का सिलसिला जून से शुरू होता है जो जुलाई-अगस्त से लेकर साल भर चलता रहता है।

महुआ बीनते ग्रामीण

महुआ एकत्र करने में आदिवासी किसानों का पूरा परिवार जुटता है। सुबह और शाम महिलाएं हाथों में टोकरी लेकर महुआ के पेड़ों के नीचे पहुंच जाती हैं और चुन-चुन कर महुए के फूल टोकरी में रखती हैं।

आपको शायद भरोसा न हो, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में कई लोगों की जिंदगी महुए के भरोसे चलती है। इसकी बानगी छत्तीसगढ़ के बस्तर में आसानी से दिखाई देती है। दरअसल यहां गर्मी की शुरुआत से इतना महुआ होता है कि बारिश में लोगों के लिए सोना बन जाता है और वे इसी महुआ को बेच कर अपना पेट भरते हैं। कुदरत ने बस्तर को इतने घने जंगल दिए कि यहां बहुतायत में महुआ मिलता है और यही महुआ बस्तरवासियों का पेट भरता है। महुआ सुखा कर बेचने का सिलसिला जून से शुरू होता है जो जुलाई-अगस्त से लेकर साल भर चलता रहता है। किसान महुआ सुखाकर अपने घर में स्टोर कर लेते हैं और बारिश की खेती के दौरान जब आय का कोई दूसरा साधन नहीं होता तो वह महुआ बेचकर घर का खर्च चलाते हैं।

महुआ एकत्र करने में आदिवासी किसानों का पूरा परिवार जुटता है। सुबह और शाम महिलाएं हाथों में टोकरी लेकर महुआ के पेड़ों के नीचे पहुंच जाती हैं और चुन-चुन कर महुए के फूल टोकरी में रखती हैं। दोपहर के समय बच्चों का होता है और स्कूल से लौट कर आने के बाद बच्चे खेल-खेल में महुआ बीनने का काम कर लेते हैं, इसी बीच समय मिलने पर पुरुष भी उनके इस कामों में हाथ बंटाते हैं।

बस्तर के किसान गर्मी के बाद नहीं लेते कोई फसल

बस्तर के किसान खरीफ की फसल लेने के बाद कोई दूसरी फसल नहीं लेते, क्योंकि सिंचाई की कोई सुविधा नहीं होने के कारण खेती करना मुश्किल होता है ऐसे में महुआ ही उनका सहारा बनता है। गर्मी में तो बस्तर वासी महुआ के फूलों को तुरंत बेच देते है और कुछ महुआ के फूलों को बचा कर उसे सुखा लेते है। इस सूखे हुए महुआ को बारिश में बेचकर अपना गुजारा करते है। इस कारण महुआ बस्तर वासियों के लिए सोने की तरह कीमती होता है।

कुछ इस तरह लाभकारी है महुआ का फूल

महुआ का पेड़ वात (गैस), पित्त और कफ (बलगम) को शांत करता है, वीर्य व धातु को बढ़ाता और पुष्ट करता है, फोड़ों के घाव और थकावट को दूर करता है, यह पेट में वायु के विकारों को कम करता है, इसका फूल भारी शीतल और दिल के लिए लाभकारी होता है तथा गर्मी और जलन को रोकता है। यह खून की खराबी, प्यास, सांस के रोग, टी.बी., कमजोरी, नामर्दी (नपुंसकता), खांसी, बवासीर, अनियमित मासिक-धर्म, वातशूल (पेट की पीड़ा के साथ भोजन का न पचना) गैस के विकार, स्तनों में दूध का अधिक आना, आदि रोगों को दूर करता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार महुआ की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके फूलों में आवर्त शर्करा 52.6 प्रतिशत, इक्षुशर्करा 2.2 प्रतिशत, सेल्युलोज 2.4 प्रतिशत, एलव्युमिनाइड 2.2 प्रतिशत, शेष पानी और राख होती है। इसके अलावा इसमें अल्प मात्रा में कैल्शियम, लोहा, पोटाश, एन्जाइम्स, एसिड्स तथा यीस्ट भी पाए जाते हैं। बीजों की गिरियों से जो तेल प्राप्त होता है, उसका प्रतिशत 50 से 55 तक होता है।

महुआ से हो जाती है अतिरिक्त आय

गर्मी का मौसम आने के साथ ही महुए का फूल झड़ने लगता है। सुबह और शाम के समय अक्सर बस्तर के जंगलों में गांव के लोग नज़र आते हैं। महुआ बनने का अच्छा समय सुबह और शाम का होता है। छत्तीसगढ़ की धरती हर तरह से लोगों की संगवारी बनी हुई है। ये ऐसी धरती है जो खेती-किसानी के साथ वनोपज के जरिए भी लोगों को रोजगार मुहैया कराती है।

व्यापारी खरीदते हैं सूखा महुआ

गल्ला व्यापारी आदिल भाई ने बताया कि वे सूखा हुआ महुआ खरीदने के लिए ही बस्तर आते है क्योंकि यहां का महुआ बहुत ही अच्छी क्वालिटी का होता है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग महुआ संग्रहण का कार्य करते हैं, जिसके बाद उसे सूखा कर बेचते हैं, और उन्हें अच्छी आय भी होती है।

10 हजार रुपए की हो जाती है अतिरिक्त आय

मदापज़ेटी के कृषक रामलाल ने बताया कि खरीफ की फसल काटने के बाद सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण दूसरी फसल नहीं लेते हैं। ऐसी स्थिति में महुआ अतिरिक्त आय का जरिया है। मार्च लगते ही महुए का फूल गिरना शुरू हो जाता है और हम लोग महुआ एकत्रित करने में जुट जाते है। रामलाल एक साल में लगभग पांच से छह क्विंटल महुआ एकत्रित कर बाजार में बेचते हैं। जिससे लगभग दस हजार की आय हो जाती है। महुआ एकत्रित करने वाली कौशल्या नेताम का पूरा परिवार महुआ एकत्रित करने का कार्य करता हैं। जिसे सूखाकर हर सप्ताह बाजार में बेच दिया जाता है। जिससे अतिरिक्त आय होती है।

बस्तर में बहुतायत में है महुआ

बस्तर के घने जंगलों में लाखों की संख्या में महुआ के पेड़ हैं। इनकी संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तकरीबन सभी प्रमुख मार्गो के किनारे महुआ के विशाल वृक्ष खड़े हुए हैं। जंगलों में भी इनकी बड़ी तादाद है। ऐसे में आदिवासी पहले सड़कों के किनारे स्थित पेड़ों से झडऩे वाले फूल बटोरते हैं और फिर बाद में जंगलों के अंदर जाकर महुआ लाते हैं और उसे सुखाने का काम करते हैं। तो इस तरह से बस्तर का सोना पूरे जंगल की शान होता है और इसी शान से बस्तर की पहचान तो होती ही है साथ ही महुआ बस्तर वासियों का पालनकर्ता भी है।

अतिरिक्त आय

कोरबा (वीएनएस)। शासन की ओर से लाख पालन को कृषि का दर्जा देने के उपरांत अधिक से अधिक किसानों को लाख पालन से जोडऩे के लिए स्थानीय किसानों को लाख पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला लघु वनोपज सहकारी यूनियन कटघोरा वन मंडल अंतर्गत किसानों को वैज्ञानिक पद्वति से लाख पालन करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। सैद्धांतिक प्रशिक्षण जटगा व फिल्ड प्रशिक्षण गुमानीडांड में दिया गया। इसके अंतर्गत बांधापारा, कटघोरा, जटगा, कोडार व जेंमरा समितियों के 10-10 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण लाख विशेषज्ञ डॉ. ए.के. जायसवाल, जूनियर एक्जीक्यूटिव कोमल कंसारी व कृषि विज्ञान केन्द्र कटघोरा के डॉ. एस.एस. उर्रे की ओर से दिया गया।

प्रबंध संचालक जिला वनोपज सहकारी यूनियन मर्यादित कटघोरा ने बताया कि प्रशिक्षण उपरांत माह नवम्बर, दिसम्बर में प्लास वृक्षों में रंगीनी बीहन लाख की किसानों की ओर से 30 क्ंिवटल मांग की गयी है। जिससे माह दिसम्बर में बांधापारा, कटघोरा, जटगा, कोडार व जेंमरा समितियों में व्यापक स्तर पर लाख पालन किया जाएगा। जिससे आदिवासी किसानों की अतिरिक्त आय में वृद्धि होगी। इस प्रशिक्षण में लाख पालक किसानों की ओर से लाख की खेती में आने वाली समस्याओं एवं उनके निदान पर विस्तृत चर्चा की गयी। प्रशिक्षण में यूनियन के अधिकारी-कर्मचारी और कृषकगण शामिल हुए।

सपा नेता श्याम सुंदर यादव की फर्म पर इनकम टैक्स का शिकंजा, फर्जी कंपनियों के जरिए 250 करोड़ के लेन-देन के मिले सबूत

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नेताओं पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है. सपा के पूर्व विधायक दीप नारायण यादव पर विजिलेंस जांच के बाद अब सपा नेता श्याम सुंदर अतिरिक्त आय यादव पर आयकर विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है. 3 अगस्त को सपा नेता की फर्म घनाराम कंस्ट्रक्शन के झांसी स्थित कॉर्पोरेट दफ्तर के अलावा लखनऊ, गोवा, दिल्ली समेत 33 ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड में बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिले हैं.

घनाराम कंस्ट्रक्शन फर्म के ठिकानों पर इनकम टैक्स ने छापेमारी की थी (फाइल फोटो)

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 17 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 17 अगस्त 2022, 7:18 AM IST)

समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी श्याम सुंदर यादव की फर्म घनाराम कंस्ट्रक्शन के जरिए करोड़ों की टैक्स चोरी का मामला सामने आ रहा है. 3 अगस्त को इनकम टैक्स विभाग ने श्याम सुंदर की झांसी में फर्म दफ्तर के अलावा लखनऊ, गोवा, दिल्ली समेत 33 ठिकानों पर छापेमारी की थी. विभाग को पड़ताल में फर्जी कंपनियों के जरिए 250 करोड़ के लेन-देन का मामला सामने आया है.

इसके अलावा विभाग को यह भी पता चला कि फर्जी कर्जदारों के जरिए कंपनी के फायदे को घाटे में दिखाया गया. फर्जी बिल और वाउचर से 200 करोड़ का भुगतान दिखाया गया. टैक्स अतिरिक्त आय व स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए बड़े पैमाने पर रियल स्टेट में खरीदी गई . इसके अलावा संपत्ति कैश में खरीदी गई.

विभाग को बड़े पैमाने पर दूसरों के नाम पर संपत्तियों की खरीद के दस्तावेज भी मिले हैं. इसके अलावा छापेमारी के दौरान 10.13 करोड़ कैश और 5.61 करोड़ के जेवरात बरामद हुए हैं. इसके अलावा इनकम टैक्स को 153 करोड़ की अतिरिक्त आय के सुबूत मिले हैं.

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समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं कंपनी के डायरेक्टर

बुंदेलखंड में अरबों के कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट करने वाली घनाराम कंस्ट्रक्शन कंपनी बुंदेलखंड की सबसे बड़ी और यूपी की बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों में शुमार है. घनाराम कंस्ट्रक्शन समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी श्यामसुंदर यादव की है. इसमें उनके भाई बिशन सिंह यादव डायरेक्टर हैं. तीन दशक पहले झांसी जिला परिषद और रेलवे की ठेकेदारी करने वाले श्याम सुंदर यादव ने अपने दिवंगत पिता घनाराम यादव के नाम पर इस कंपनी की नींव रखी थी.

अखिलेश-शिवपाल के करीबी हैं श्याम सुंदर

सपा की सरकार में बुंदेलखंड के सबसे बड़ी एरच बांध परियोजना को घनाराम कंस्ट्रक्शन ने अतिरिक्त आय पूरा किया था. तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के करीबियों में श्याम सुंदर यादव गिने जाते थे. ऐसे में एरच बांध प्रोजेक्ट का ठेका मिला तो श्याम सुंदर पर करोड़ों के घपले के आरोप भी लगे. इसके बाद बुंदेलखंड का देवरी बांध प्रोजेक्ट भी इस कंपनी को मिला. श्याम सुंदर यादव मुलायम सिंह यादव खेमे के नेता गिने जाते रहे हैं.

बुंदेलखंड में बालू के हैं सबसे बड़ा कारोबारी

झांसी के प्रतिष्ठित सीता होटल के पास स्थित रेलवे की बेशकीमती जमीन को लीज पर लेकर घनाराम कंस्ट्रक्शन के मालिक और सपा के पूर्व विधायक दीप नारायण यादव बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बना रहे हैं.

बताया जा रहा है कि झांसी मेडिकल कॉलेज के पीछे बन रही सालासर सिटी भी श्याम सुंदर यादव और दीप नारायण के पार्टनरशिप का प्रोजेक्ट है. सिमर्धा में 80 एकड़ जमीन इनके पास है. झांसी और आसपास चार पेट्रोल पंप और झांसी का लेमन ट्री होटल भी इसी कंपनी का प्रोजेक्ट है, जहां पर इनकम टैक्स अतिरिक्त आय विभाग ने छापेमारी की. बुंदेलखंड में आज भी बालू के सबसे बड़े कारोबारी के तौर पर घनाराम कंस्ट्रक्शन का ही नाम आता है.

2019 में लड़ा था लोकसभा चुनाव

2017 में बीजेपी की सरकार आई तो श्याम सुंदर यादव भी भाजपाई हो गए, लेकिन उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ. ऐसे में वह फिर से समाजवादी पार्टी में लौट गए. 2019 का लोकसभा और 2022 में एमएलसी चुनाव समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर लड़ा, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए.

गृहणियों की अतिरिक्त आय हेतु विचार व सुझाव आमंत्रित

भारत दुनिया की शीर्ष 5 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की दिशा .

भारत दुनिया की शीर्ष 5 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इस दिशा में प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का लक्ष्य भी हासिल करना अनिवार्य है। इस सपने को साकार करने हेतु कौशल विकास व प्रशिक्षण के जरिए आय और आजीविका के अवसर बढ़ाना बेहद जरूरी है।

देश के रुर्बन क्षेत्रों में एक सामान्य परिवार का प्रबंधन गृहिणी द्वारा किया जाता है। वह अपने दिन का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न घरेलू कार्यों को निपटाने में बिताती हैं। वैसे इन दैनिक कार्यों को निपटाने के बाद भी उनके पास कुछ समय बचता है, जिसका उपयोग कर वह घर की आय बढ़ा सकती है।

ऐसे गृहिणियों के लिए खाली समय में पूरक आय के स्रोतों की जानकारी प्रदान करने हेतु आपके सुझाव व राय आमंत्रित किए जाते हैं।

अतिरिक्त आय के लिए स्टेशनों का कचरा बेचेगा रेलवे

रेलवे स्टेशनों पर इकट्ठा होने वाले कचरे को डेढ़ रुपए प्रति किलोग्राम में खरीदने की पेशकश की है।

अतिरिक्त आय के लिए स्टेशनों का कचरा बेचेगा रेलवे

भारतीय रेलवे

किराये के अलावा अन्य स्रोतों से आय अर्जित करने की योजना पर काम कर रही रेलवे पूरे देश में स्टेशनों पर पैदा होने वाले कचरे को बेचने के प्रस्ताव पर काम कर रही है। किराये के अतिरिक्त स्रोतों से राजस्व अर्जित करने के लिए उपाय तलाशने के काम में शामिल रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हम एक कचरा प्रबंधन समूह के प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं जिसने रेलवे स्टेशनों पर इकट्ठा होने वाले कचरे को डेढ़ रुपए प्रति किलोग्राम में खरीदने की पेशकश की है।

रेलवे ने यात्री किरायों और माल भाड़े के अतिरिक्त स्रोतों से राजस्व प्राप्त करने के तरीके खोजने के लिए एक अलग गैर-किराया राजस्व निदेशालय बनाया है।
कचरा प्रबंधन कंपनी 24 घंटे स्टेशनों से कचरा एकत्रित करेगी। अधिकारी ने कहा, कचरे को एकत्रित करना और उसका निस्तारण करना कंपनी की जिम्मेदारी है। उर्जा और खाद पैदा करने के लिए इस कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रस्ताव के अनुसार कचरा एकत्रित करने में शामिल कर्मचारियों के बीमे की और स्टेशनों पर कचरापेटियों से इसे ले जाने के लिए काले प्लास्टिक बैगों के प्रावधानों की जिम्मेदारी कचरा प्रबंधन कंपनी की होगी। कंपनी ने 12 स्टेशनों पर कचरा इकट्ठा करने के काम की पेशकश की है जिनमें अमृतसर, अंबाला, हरिद्वार, जम्मू, कटरा, देहरादून, मुरादाबाद, सहारनपुर, सीएसटी, मुंबई सेंट्रल और दादर हैं।

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