प्रवृत्ति पर व्यापार

उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की नशा पीड़ितों के लिए बनाई गई विधिक सेवाओं के साथ ही नशा उन्मूलन विधिक सेवा योजना 2015 की जानकारी देते हुए बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए तहसीलों में समितियों का गठन किया जा रहा है। समितियों में न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, चिकित्सक, पीएलवी, सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य बनाए जाएंगे। सिविल जज जूनियर डिवीजन पिथौरागढ़ अकरम अली, न्यायिक मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ नेहा कय्यूम, सिविल जज जूनियर डिवीजन गंगोलीहाट रमेश चंद्र, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी सुनीता भट्ट, जिला अधिवक्ता संस्था के अध्यक्ष मोहन चंद्र भट्ट, जिला शासकीय अधिवक्ता सीबी उप्रेती, पृथ्वीराज बनकोटी, ज्योत्सना जोशी आदि ने विचार रखे।
Bundi:प्रॉपर्टी व्यवसाय को लेकर व्यापारी पर हमला, आक्रोश में व्यापार मंडल, पुलिस को दी चेतावनी
बूंदी जिले में इन दिनों पुलिस की अनदेखी के कारण अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हौसले बुलंद है. सोमवार को प्रॉपर्टी व्यवसाई को लेकर आधा दर्जन बदमाशों ने एक व्यापारी की दुकान में घुसकर उसके ऊपर जानलेवा हमला कर उसे घायल कर दिया और फरार हो गए.
5
4
पिछले 15 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखिए
EXERCISE 1. Change the following sentences into Indirect : 1. Ashok says, "Ramesh is a good boy." 2. Prakash says, "Sita sang well." 3. Anil has said, … "Hari is unwell." 4. Munish will say, "Vijay is going to Aligarh." 5. Amit will be saying, "Mahesh has finished his wo 6. Krishna has said, "Ravi cannot fail." 7. Rajesh says to Hari, "The teacher will not go to s 8. Mukesh says to Ram, "Vinod had finished the wo प्रवृत्ति पर व्यापार 9. Some boys will say to the servant "The
भारतीय वैश्विक परिषद
आज भारत तथा सऊदी अरब के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्धों की बढ़ती प्रवृत्तियों में रक्षा , रणनीति , सुरक्षा , निवेश , विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी , व्यापार के साथ - साथ शिक्षा , ऊर्जा तथा प्रसार कारक शामिल हैं। यह उन सम्भावनाओं के बढ़ते सौहार्द्र तथा समझ की स्पष्ट झलक है जिसमें द्विपक्षीय साझेदारी विकसित हुई है। दोनों देशों के मध्य भागीदारी में हुए विकास के कारण उन विभिन्न कारकों तथा चुनौतियों का मूल्यांकन करना आवश्यक है जिसके द्वारा दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्धों में और अधिक वृद्धि हो सकती है।
भूमिका
भारत - सऊदी सम्बन्धों की हालिया प्रवृत्तियों ने भागीदारी की प्रासंगिकता को पुन : दुहराया है जिसमें आर्थिक , सुरक्षा , रक्षा , रणनीतिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ है। यह सऊदी अरब द्वारा उपक्रमित वर्तमान आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन के प्रति भारत की बढ़ती जागरूकता के कारण सम्भव हुआ है। इसके बदले में सऊदी अरब अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में भूराजनीतिक तथा आर्थिक निष्पादन में भारत के विकास की क्रमिक गाथा की निरन्तर प्रशंसा करता रहा है। यह उन सम्भावनाओं के बढ़ते सौहार्द्र तथा समझ की स्पष्ट झलक है जिसमें द्विपक्षीय साझेदारी विकसित हुई है। आज हम सम्बन्धों में परिपक्वता का वह स्तर देख रहे हैं जिसने भारत और सऊदी अरब को दीर्घकालीन द्विपक्षीय सहयोग की दिशा में प्रतिबद्ध होने में समर्थ बनाया है। अत : सऊदी अरब की आधुनिकीकरण की दिशा में बढ़ने की लालसा तथा ' विजन 2030' जैसी घरेलू नीति आदि आन्तरिक कारकों सहित पश्चिमी एशिया तथा दक्षिणी एशिया में वर्तमान भूराजनीति ने भारत सहित अन्य देशों के लिए आर्थिक अवसरों के द्वार खोल दिए। अत : भारत तथा सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय साझेदारी का होना इसकी एक अन्य विशेषता है।
नशापान की बढ़ती प्रवृत्ति पर जताई चिंता
अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों का दुरुपयोग और गैर कानूनी अवैध व्यापार निषेध दिवस पर उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष/जिला जज सिकंद कुमार त्यागी के निर्देश पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने वयस्कों के प्रवृत्ति पर व्यापार साथ ही नाबालिगों और विद्यार्थियों में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताई।
गोष्ठी में मौजूद जिलाधिकारी एचसी सेमवाल ने स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही नशे पर रोकथाम का आश्वासन दिया। पुलिस अधीक्षक रोशन लाल शर्मा ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन और नशापान की सूचना पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतिभा तिवारी ने कहा कि प्राधिकरण समय-समय पर स्कूलों और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविर और गोष्ठियों का आयोजन करता है। जिसमें मादक पदार्थ और नशापान के लिए बनाए गए कानूनों के साथ नशापान से होने वाले नुकसान की जानकारी दी जाती है।
विदेश व्यापार घाटे की नई चुनौती
12 अप्रैल को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के द्वारा वर्ष 2022-23 के वैश्विक व्यापार वृद्धि अनुमान से 4.7 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी किए जाने के मद्देनजर भारत के तेजी से बढ़ते हुए निर्यात पर भी असर होने के साथ-साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका भी बढ़ेगी…
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192 अरब डॉलर हो गया है। फरवरी 2022 के आखिर से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल के वैश्विक दामों में इजाफे से पेट्रोलियम आयात के मूल्य में तेज उछाल के कारण पेट्रोलियम की आयात की जाने वाली खेपों का प्रवृत्ति पर व्यापार मूल्य एक साल पहले की तुलना में करीब दोगुना होने की वजह से आयात 610 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की प्रवृत्ति दिखाता है। वित्त वर्ष 2021-22 में देश के कुल आयात मूल्य में पेट्रोलियम आयात का हिस्सा 26 प्रतिशत था। पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और सोने का आयात एक-तिहाई तक बढ़ा और इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटे में इजाफा हुआ है। भारत का उत्पाद आयात वित्त वर्ष 2021-22 में पूर्ववर्ती वित्त वर्ष 2020-21 के 394.44 अरब डॉलर की तुलना में 54.71 प्रतिशत बढ़ा है। नतीजतन उत्पाद व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर का स्तर पार कर गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के अलावा देश के व्यापार घाटे के बढ़ने का एक बड़ा कारण चीन से तेजी से बढ़े हुए आयात भी है। इस समय चीन से तेजी से बढ़ा आयात और देश का तेजी से बढ़ा विदेश व्यापार घाटा इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि पिछले 6-7 वर्षों से व्यापार घाटा घटाने के लगातार प्रयास हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर को देशभर में आगे बढ़ाया है। हाल ही के वर्षों में चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए सरकार के द्वारा टिक टॉक सहित विभिन्न चीनी एप पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्रण, कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति जैसे विभिन्न प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2019 और 2020 में चीन से तनाव के कारण देशभर में चीनी सामान का जोरदार बहिष्कार दिखाई दिया था।