स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है?

भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम
शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?
सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?
- शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
- वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
- इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
- इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
- अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।
अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?
- मार्जिन दो तरह की होती है। एक तो है कैश मार्जिन। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।
- दूसरी है स्टॉक मार्जिन। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।
- इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।
नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?
- सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।
- नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।
- प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।
- तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त मार्जिन मिल सकेगी।
- यदि मार्जिन में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।
नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (बीटीएसटी) का क्या होगा?
ट्रेडिंग अकाउंट में लाखों रुपए के नुकसान से बचना है तो गलती से भी न भूलें इन टिप्स को
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों.
हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों की दिलचस्पी होती है और आप में से बहुत लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते होंगे, आपके ट्रेडिंग अकाउंट में काफी स्टॉक्स होंगे और उनकी वैल्यू भी काफी होगी। ऐसे में अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे तो आपको लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है। हम आपको बता रहे हैं, शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय किन बातों को गलती से भी नहीं भूलना चाहिए-
> केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार/अनुबंध करें - जिस ब्रोकर के साथ आप लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जाँच कर लें।
> फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से सावधान रहें। ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि/कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रिजरवेसन देने के लिए औथोरइज्ड नहीं है या आपके द्वारा दिये गए पैसो पर ब्याज का भुगतान स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? करने के लिए आपके साथ कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है। कृपया ध्यान दें कि आपके खाते में इस प्रकार का कोई व्यवहार पाए जाने पर आपका दिवालिया/निष्कासित ब्रोकर संबंधी दावा निरहन कर दिया जाएगा।
> कृपया आपने 'केवाईसी' (KYC) पेपर में सभी जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने 'केवाईसी' पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई प्रति प्राप्त करें। उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति और स्वीकृति दी है।
> सुनिश्चित करें कि आपके स्टॉक ब्रोकर के पास हमेशा आपका नया और सही कांटैक्ट डिटेल हो जैसे ईमेल आईडी/मोबाइल नंबर। ईमेल और मोबाइल नंबर जरूरी है और एक्सचेंज रिकॉर्ड में अपडेट के लिए आपको अपने ब्रोकर को मोबाइल नंबर देना होगा। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना चाहिए।
> इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट नोट्स/फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन/नियमित देखते हो।
> आपके द्वारा किए गए ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल/एसएमएस को अनदेखा न करें। अपने ब्रोकर से मिले कॉन्ट्रैक्ट नोट/अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफ़ाई करें। यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो एक्सचेंज/डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट करें।
> आपके द्वारा निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट (running account) का ऑप्शन चुना है, तो कृपया कन्फ़र्म करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता है और किसी भी स्थिति में 90 दिनों में एक बार ( यदि आपने 30 दिनों के सेटलमेंट का विकल्प चुना है तो 30 दिन) डिटेल्स भेजता है । कृपया ध्यान दें कि आपके ब्रोकर द्वारा डिफॉल्ट होने की स्थिति में एक्सचेंज द्वारा 90 दिनों से अधिक की अवधि के दावे एक्सैप्ट नहीं किए जाएंगे।
> डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफ़ाई करते रहें और अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
> कन्फ़र्म करें कि पे-आउट की तारीख से 1 वर्किंग डे के भीतर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। कन्फ़र्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के भीतर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों।
> एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग आप अपने ट्रेड के वेरिफिकेशन के लिए कर सकते हैं।
> ब्रोकर के पास अनावश्यक बैलेंस न रखें। कृपया ध्यान रहे कि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खानों के दावे स्वीकार नहीं होंगे जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।
> ब्रोकर्स को सिक्यूरिटि के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी कारण से ब्रोकर या ब्रोकर के सहयोगी या ब्रोकर के औथोरइज्ड व्यक्ति के साथ कोई सिक्यूरिटी रखने की अनुमति नहीं है। ब्रोकर केवल कस्टमर द्वारा बेची गई सिक्योरिटी के डिपोजिट करने के लिए ग्राहकों से संबंधित सिक्योरिटी ले सकता है।
> भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं। किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें। आपके सारे शेयर या बैलेंस शून्य हो सकता है। यह भी हो सकता है कि आपके खाते में बड़ी राशि की वसूली निकल आए।
> पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) देते समय सावधान रहें - सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर प्रयोग कर सकते हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएँ। यह ध्यान रहे कि सेबी/एक्सचेंजों के अनुसार पीओए अनिवार्य / आवश्यक नहीं है।
> ब्रोकर द्वारा रिपोर्ट किए गए फंड और सिक्योरिटी बैलेंस के बारे में साप्ताहिक आधार पर एक्सचेंज द्वारा भेजे गए मैसेजों की जांच करें और यदि आप इसमें कोई अंतर पाते हैं, तो तुरंत एक्सचेंज को शिकायत करें।
> किसी के साथ पासवर्ड (इंटरनेट अकाउंट) शेयर न करें। ऐसा करना अपने सुरक्षित पैसे शेयर करने जैसा है।
> कृपया सेबी के रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के अलावा किसी औथोरइज्ड व्यक्ति या ब्रोकर के सहयोगी सहित किसी को भी ट्रेडिंग के उद्देश्य से फंड ट्रांसफर न करें।
डिस्क्लेमर- जानकारी आपको एनएसई से मिली सूचना के आधार पर है।
सेबी का नया नियम: शेयर बेचने के एक दिन के भीतर होगा निवेशकों को भुगतान, 25 फरवरी से लागू होगी टी प्लस वन व्यवस्था
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य के आधार की जाएगी।
विस्तार
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? के स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? आधार की जाएगी।
Share Market : नए साल से बदलेंगे शेयर बाजार के नियम, ये होगा सटेलमेंट और आप्शनल प्लान
Share Market : शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए नए साल के पहले दिन से नया नियम लागू होने जा रहा है। इस नए नियम का लाभ शेयर की खरीद—फरोख्त करने वालों को होगा। ऐसा बताया जा रहा है। बता दे कि दिल्ली से नजदीक होने के कारण मेरठ में काफी बड़े पैमाने पर लोग इस काम को करते हैं।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ . Share Market : शेयर बाजार से जुड़े लोगों के लिए यह खबर काफी काम की है। जो लोगा शेयर बाजार स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? में निवेश करने में दिलचस्पी रखते हैं या खरीद फरोख्त करते हैं उनके लिए यह नया नियम काफी मुनाफे का सौदा बताया जा रहा है। हालांकि इस बारे में कुछ जानकारों ने यह भी बताया है कि सेबी ने यह खरीद—ब्रिकी लचीली बनाने के लिए यह नियम लागू किया है। यह नया नियम आगामी 1 जनवरी 2022 से लागू होगा। इन नए नियम को लेकर शेयर बाजार में हलचल है।
ये है शेयर बाजार का नया नियम
शेयर बाजारों में खरीद—फरोख्त को पूरा करने के लिए कारोबार वाले दिन के बाद दो कारोबारी दिवस लगते हैं। इसे शेयर बाजार में टी+2 के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब होता है ट्रेडिंग करना और दो दिन बाद बेचना। लेकिन अब नए नियम के अनुसार ट्रेडिंग करने वालों को शेयर को दूसरे दिन ही बेच सकने का विकल्प दिया है। इन नए नियम को टी+1 के नाम से जाना जाएगा।
शेयर कारोबारियों की माने तो नए सर्कुलर के अनुसार शेयर खरीद-बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने में लगने वाले समय को ‘T +1’ या ‘T +2’ का विकल्प देकर शेयर बाजारों को सुविधा स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? उपलब्ध कराई है। यह सेटलमेंट प्लान शेयरों के लिए है और ऑप्शनल है। इसका मतलब होगा अगर ट्रेडर्स चाहें तो इन दोनों प्लान में कोई भी चुन सकते हैं। ये नया नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होगा।
देना होगा पहले नोटिस
सेबी के नए नियम के मुताबिक कोई भी स्टॉक एक्सचेंज सभी शेयरधारकों के लिए किसी भी शेयर के लिए टी+1 सेटलमेंट चुन सकता है। लेकिन सेटलमेंट बदलने के लिए कम से कम एक महीना पहले नोटिस देना होगा। स्टॉक एक्सचेंज किसी भी शेयर के लिए अगर एकबार टी+1 सेटलमेंट प्लान चुन लेगा उसे कम से कम 6 महीने तक जारी रखना होगा।
अगर स्टॉक एक्सचेंज बीच में टी+2 सेटलमेंट चुनना चाहता है तो उसे एक महीना पहले नोटिस देना होगा। इन नए नियम को लेकर सेबी ने यह भी कहा है कि टी+1 और टी+2 में कोई फर्क नहीं किया जाएगा। यह स्टॉक एक्सचेंज पर होने वाले सभी तरह के ट्रांजैक्शन पर लागू होगा।