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करेंसी से लाभ

करेंसी से लाभ
भारतीय रिजर्व बैंक। (फोटो सोर्स: File/ANI)

करेंसी से लाभ

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मुद्रा और क्रेडिटl1 H.w

मुद्रा करेंसी से लाभ से क्या लाभ हैं? .

Solution : यह आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से छुटकारा दिलाती है।
यह कम जगह लेती है और इसे कहीं भी लाना ले जाना आसान होता है।
मुद्रा को आसानी से कहीं भी और कभी भी विनिमय के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
आधुनिक युग में कई ऐसे माध्यम उपलब्ध हैं जिनकी वजह से अब करेंसी नोट को भौतिक रूप में ढ़ोने की जरूरत नहीं है।

ई-रुपये की प्रायोगिक शुरुआत जल्द

भारतीय रिजर्व बैंक वित्तीय व्यवस्था में कोई उलटफेर किए बगैर अपनी स्वयं की डिजिटल मुद्रा या डिजिटल रुपया (ई-रुपया) को पेश करने की संभावना तलाश रहा है। केंद्रीय बैंक निर्णायक पेशकश से पहले परीक्षण के कई चरण के जरिये सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के चरणबद्ध क्रियान्वयन पर काम कर रहा है।

आरबीआई ने शुक्रवार को सीबीडीसी पर जारी एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा, ‘आरबीआई ने कुछ समय से सीबीडीसी पेशकश के फायदे एवं नुकसान का पता लगाने पर जोर दिया है और वह मौजूदा समय में चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन की रणनीति पर काम कर रहा है तथा इसे निर्णायक तौर पर पेश करने से पहले प्रायोगिक तौर पर शुरू किया जाएगा।’

आरबीआई ने कहा कि ई-रुपया पूंजी के मौजूदा सय में उपलब्ध स्वरूपों के लिए अतिरिक्त विकल्प मुहैया कराएगा। यह मुद्रा बैंक नोटों से ज्यादा अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल होने की वजह से इसके आसान, तेज इस्तेमाल और सस्ता होने की संभावना है। इसके डिजिटल रकम के अन्य स्वरूपों के सभी लेनदेन संबं​धित लाभ हैं।

आरबीआई ने मुख्य तौर पर सीबीडीसी को केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल स्वरूप में जारी लीगल टेंडर के तौर पर परिभा​षित किया है। सीबीडीसी का मकसद मुद्रा को पूरी तरह बदलने के बजाय पूंजी के मौजूदा स्वरूपों का पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं के लिए अतिरिक्त भुगतान विकल्प सुनि​श्चित करना है।

कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है, ‘सीबीडीसी प्रमुख कागजी मुद्रा के समान है, लेकिन इसे इसका स्वरूप अलग है, यह मौजूदा मुद्रा के साथ विनिमय योग्य है और इसे भुगतान के माध्यम के तौर पर स्वीकार किया जाएगा।’ सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर देयता के तौर पर दिखेगी।

जैसा कि वर्ष 2020 में आंतरिक कार्य समूह द्वारा सुझाव दिया गया था, आरबीआई होलसेल सेगमेंट में खाता-आधारित सीबीडीसी और रिटेल सेगमेंट में टोकन-आधारित सीबीडीसी लागू करने का विकल्प तलाश रही है। रिटेल सीबीडीसी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों में सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी, जबकि होलसेल सीबीडीसी को खास वित्तीय संस्थानों तक पहुंच को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है, ‘जहां होलसेल सीबीडीसी का उद्देश्य इंटरबैंक ट्रांसफर और संबं​धित होलसेल लेनदेन को पूरा करना है, वहीं रिटेल सीबीडीसी छोटे लेनदेन के लिए उपयोगी नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है।’

रिटेल सीबीडीसी भुगतान के लिए सुर​क्षित पूंजी करेंसी से लाभ तक पहुंच प्रदान कर सकती है, क्योंकि इसका केंद्रीय बैंक से प्रत्यक्ष संबंध है। होलसेल सीबीडीसी में वित्तीय लेनदेन और उन्हें अ​धिक सक्षम और सुर​क्षित बनाने की संभावना है।

सीबीडीसी को जारी करने और प्रबंधन के लिए दो मॉडलों - डायरेक्ट मॉडल (सिंगल टियर मॉडल) और इनडायरेक्ट मॉडल (टू-टियर मॉडल) पर समीक्षा की गई है।

डायरेक्ट मॉडल में केंद्रीय बैंक बीमा, अकाउंट-कीपिंग और ट्रांजेक्शन वेरीफिकेशन जैसी सीबीडीसी प्रणालियों के सभी पहलुओं के लिए जिम्मेदार है।

वहीं, इनडायरेक्ट मॉडल में केंद्रीय बैंक और अन्य मध्यवर्ती (बैंकऔर अन्य सेवा प्रदाता) अपना योगदान देंगे।

सीबीडीसी की खासियत इसे ऑफलाइन तरीके से इस्तेमाल करना होगी। यह दूरदराज इलाकों में भी उपयोगी साबित होगी और इले​क्ट्रिकल पावर या मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होने पर इसमें ऑफलाइन फीचर उपयोगी साबित होगा।

RBI Digital Currency: ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है RBI का प्लान, जानिए

E-Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि वह जल्द विशेष उपयोग के लिए E-Rupee को पायलट बेस पर लॉन्च करेगा

RBI Digital Currency: ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है RBI का प्लान, जानिए

भारतीय रिजर्व बैंक। (फोटो सोर्स: File/ANI)

(Story By- Hitesh Vyas)

E-Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को घोषणा की कि डिजिटल ई-रुपए (E-Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च जल्द ही शुरू किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपए पर चर्चा करने के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया है।

यह कॉन्सेप्ट नोट लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से जारी किया गया है, ताकि डिजिटल करेंसी के सही तरीके के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही आरबीआई ने भारतीय रुपए के समानांतर E-Rupee के पायलट लॉन्च की बात कही है। आरबीआई की ओर से ई-रुपए की लॉन्चिंग को लेकर तैयार किए जा रहे प्लान के बारे में बताया गया। बैंक की ओर से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक ई-रुपए को पायलट लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है।

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चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा पायलट प्रोजेक्ट: आरबीआई ने ई-रुपए के उपयोग के लिए दो व्यापक श्रेणियों – खुदरा (Retail) और थोक (Wholesalr) के बारे में संकेत दिया है। कॉन्सेप्ट नोट में डिजिटल करेंसी की प्रौद्योगिकी और डिजाइन विकल्प, डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और डिजिटल मुद्रा को जारी करने की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही इसमें सीबीडीसी की शुरूआत के चलते बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की गई है। इसमें गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण भी किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के चार सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया है।

क्या है आरबीआई की योजना: केंद्रीय बैंक ने कहा कि सीबीडीसी का विकास पब्लिक को एक रिस्क फ्री वर्चुअल करेंसी प्रदान करना है जो उन्हें प्राइवेट वर्चुअल करेंसी में लेनदेन के जोखिम के बिना लाभ देगा। सीबीडीसी जारी करने के पीछे दो दृष्टिकोण हैं- एक डिजिटल रुपया बनाना जो एक पेपर करेंसी के जैसा हो और दूसरा एक सहज तरीके से डिजिटल रुपए को पेश करने की प्रक्रिया को मैनेज करना।

ई-रुपए के प्रकार: कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और काम के आधार पर सीबीडीसी को दो व्यापक श्रेणियों – सामान्य उद्देश्य (खुदरा) (CBDC-R) और थोक (CBDC-W) में विभाजित किया जा सकता है। खुदरा सीबीडीसी मुख्य रूप से खुदरा लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है। यह संभावित रूप से सभी – निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। वहीं, थोक सीबीडीसी को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिजाइन किया गया है।

डिजिटल करेंसी के फायदे: डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने पर ब्याज भी मिलेगा। डिजिटल करेंसी को मोबाइल वॉलेट या अकाउंट में रखा जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से पेपर करेंसी के उपतोग में भी कमी आएगी। CBDC को बिना इंटरनेट के भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

टोकन-आधारित और खाता-आधारित डिजाइन: केंद्रीय बैंक का कहना है कि ई-रुपए या सीबीडीसी को टोकन-आधारित या खाता-आधारित के रूप में डिजाइन किया जा सकता है। टोकन-आधारित सीबीडीसी में, टोकन प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह सत्यापित करेगा कि टोकन का स्वामित्व वास्तविक है। वहीं, खाता-आधारित प्रणाली करेंसी से लाभ में सीबीडीसी के सभी धारकों के शेष और लेनदेन के रिकॉर्ड के रखरखाव की जरूरत होगी।

आरबीआई के मुताबिक, सीबीडीसी जारी करने और मैनेजमेंट के लिए दो मॉडल हैं – प्रत्यक्ष मॉडल (एकल स्तरीय मॉडल) और अप्रत्यक्ष मॉडल (दो स्तरीय मॉडल)। प्रत्यक्ष मॉडल में, केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया प्रणाली के सभी पहलुओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा। वहीं, अप्रत्यक्ष मॉडल वह होगा जहां केंद्रीय बैंक और अन्य मध्यस्थ प्रत्येक अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं।

क्या RBI E-Rupee के लिए भी पड़ेगी इंटरनेट की जरूरत, कैसे होगा इससे आम आदमी को फायदा?

क्या RBI E-Rupee के लिए भी पड़ेगी इंटरनेट की जरूरत, कैसे होगा इससे आम आदमी को फायदा?

डीएनए हिंदी: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि खुदरा डिजिटल मुद्रा (Retail Digital Rupee) के लिए पहला पायलट प्रोजेक्ट, खुदरा डिजिटल रुपया 1 दिसंबर को शुरू किया जाएगा. खुदरा डिजिटल रुपए का लेन-देन मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों पर डिजिटल वॉलेट के जरिए किया जाएगा. इस ट्रायल में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों को रखा गया है. डिजिटल मुद्रा लेनदेन केवल आरबीआई की डिजिटल रुपया योजना में भाग लेने वाले बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल वॉलेट (Digital Wallet) के माध्यम से किया जा सकता है.

मुद्रा नोटों का डिजिटल वर्जन:

लीगल टेंडर का प्रतिनिधित्व करने वाला डिजिटल खुदरा रुपया (Digital Retail Rupee) डिजिटल टोकन (Digital Token) के रूप में होगा. केंद्रीय बैंक उसी मूल्यवर्ग में डिजिटल मुद्रा जारी करेगा जिसमें सिक्के और कागजी मुद्रा जारी किए जाते हैं.

डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कैसे और कहां करें?

यूपीआई का उपयोग करने के लिए आपको एक यूपीआई आईडी ( ID) या क्यूआर की जरुरत होगी. भौतिक नकदी के समान, डिजिटल मुद्रा में रखने या लेन-देन करने के लिए आपको डिजिटल मुद्रा पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा होना चाहिए, जैसे कि डिजिटल रुपया वॉलेट. एक व्यापारी को पैसे ट्रांसफर करने के लिए आपको एक डिजिटल रुपये क्यूआर कोड की जरुरत पड़ेगी.

इससे पहले आरबीआई (RBI) द्वारा बताया गया था कि सीबीडीसी (CBDC) भुगतान का एक माध्यम होगा जो सभी व्यवसायों, सरकार, नागरिकों और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर होगी. सीबीडीसी में, कोर बैंकिंग मुद्रा खरीद के लिए आपके खाते से केवल एक बार डेबिट करेगी; हालांकि, बाद के सभी लेन-देन एक वॉलेट करेंसी से लाभ से दूसरे में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नकदी की तुलना में अधिक सुरक्षित और अधिक व्यावहारिक है.

डिजिटल करेंसी के आने के बाद न तो कैश ले जाने की जरूरत कम होगी और न ही रखने की जरूरत होगी.

ई-रुपया/डिजिटल मुद्रा के क्या लाभ हैं?

डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए फायदेमंद.
इसमें मोबाइल वॉलेट की तरह पेमेंट प्रोसेस करने की क्षमता होगी.
डिजिटल रुपये को जल्दी से बैंक मनी और कैश में बदला जा सकता है.
विदेश पैसा भेजने का खर्च कम होगा.
बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी ई-रुपया काम करेगा.

डिजिटल रुपया लॉन्च करने की स्ट्रेटेजी क्या है?

स्पेसिफिक ट्रायल शहरों के ग्राहक जल्द ही अपने बैंकों से निमंत्रण प्राप्त करेंगे.

क्या ग्राहक को डिजिटल करेंसी से लाभ रुपये में कोई ब्याज मिलेगा?

डिजिटल वॉलेट की शेष राशि पर कोई ब्याज अर्जित नहीं किया जाएगा, ठीक उसी करेंसी से लाभ तरह जैसे हमारी जेब में रखी गई नकदी पर कोई कमाई नहीं होती है. अपने ई-वॉलेट को उस स्थान के रूप में मानें जहां आपका कैश सामान्य रूप से होगा.

डिजिटल रुपये से वित्तीय प्रणाली को कैसे लाभ होगा?

डिजिटल करेंसी वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है और पैसा बनाने की लागत को कम करती है। समय के साथ, पॉलिसी अनलॉक की मदद से, CBDC का उपयोग बिना किसी अंतर्निहित बैंक खाते के किया जा सकता है, जिससे उपयोगकर्ता डिजिटल धन को ठीक उसी तरह धारण और लेन-देन कर सकते हैं, जैसे वे भौतिक नकदी के साथ करते हैं.

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