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कॉमर्स की सीमाएँ

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ई-कॉमर्स की सीमाएँ | Limitation of E-commerce in Hindi

ई-कॉमर्स क्या है ई-कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?

क्या कभी आपने इंटरनेट के माध्यम से कुछ सामान खरीदा है? या कुछ बेचा हो? अगर हाँ तो इसका मतलब आपने ई-कामर्स क्या इलेक्ट्रानिक वाणिज्य में भाग लिया है। ई-कामर्स एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा इंटरनेट का प्रयोग करते हुए सामान खरीदते तथा बेचते हैं। वाणिज्य का प्रयोग सदियों से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीददारी के लिए जाना जाता है परन्तु आज के युग में इसका स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। इसे अब आन लाइन सुविधा के साथ अच्छी तरह से किया जा रहा है। इस तरह के ऑनलाइन वाणिज्य को ई-काॅमर्स या ‘‘इलेक्ट्रानिक कामर्स’’ कहा जाता है। इसके द्वारा हम घर बैठे ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वस्तुओं का आसानी से खरीद और बेच कर सकते हैं। आज यह सभी देशों के बाजारों का महत्वपूर्ण अंग है।

ई-कामर्स का प्रारम्भ 1990 का दशक माना जाता है और आज इसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस समय लगभग हर कम्पनी की अपनी अलग ऑनलाइन उपस्थिति हैं तथा वह अपनी दमदार पहचान बनाने में जुटी है, देखा जाए तो ई-कामर्स एक आवश्यकता भी बन गई है। आज घरेलू सामान से लेकर, कपड़ा, किताबें, फर्नीचर, बिल्स, फोन चार्ज यात्रा टिकट मनोरंजन, सब कुछ ऑनलाइन है। आज बड़ी-बड़ी कम्पनियां जैसे पेटीएम अमेजाॅन, फ्लिपकार्ट इस प्रकार की सुविधाएं दे कर रही है। जिसमें आप जहां चाहे वहां सामान मंगवा सकते हैं। इस तरह से ई-कामर्स के जरिये धन का आदान प्रदान भी किया जा सकता है।

ई-कॉमर्स (E-commerce)

ई-कॉमर्स क्या है

इलेक्ट्रानिक कामर्स एक प्रकार की बिक्री-खरीददारी का माडल है जिसमें इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। इसके दो आधारभूत प्रकार है: व्यवसाय से व्यवसाय (B.2.B) और व्यवसाय से उपभोक्ता (B.2.C), B.2.B में कम्पनियाँ अपने आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों एवं दूसरे सहयोगियों के साथ इलैक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से व्यापार करती है एवं B.2. में कम्पनियाँ अपने उत्पादों एवं सेवाओं को अपने उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध कराती है या बेचती है। हालांकि इसके बाद कई दूसरे तरह के ई-कामर्स माॅडल भी चर्चा में है जैसे कि C.2. C (उपभोक्ता-से-उपभोक्ता), C.2.B (उपभोक्ता-से-व्यवसाय), सी .2.A (बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन) एवं C.2.A (उपभोक्ता-से-एडमिनिस्ट्रेशन) आदि।

ई-कामर्स की अवधारणा का आशय इंटरनेट अर्थव्यवस्था एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था से है। इंटरनेट अर्थव्यवस्था का आशय ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें राजस्व उत्पन्न करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था कम्प्यूटर, साफ्टवेयर और डिजिटल नेटवर्क जैसी डिजिटल तकनीकों पर आधारित है। ई-कामर्स का विकास इलेक्ट्रानिक डाटा इंटरचेज के बाद हुआ। पहले कंपनियां इसका उपयोग व्यावसायिक दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए करती थी। धीरे-धीरे इसका प्रारूप बदला और कम्पनियों में इसका उपयोग सामान खरीदने एवं बेचने के लिए करना आरम्भ कर दिया। अब यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया।

ई-कॉमर्स के प्रकार

जब हम ई-कामर्स की बात करते हैं, तो हमारे मन में जो छवि उभरती है वह उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य आनलाइन व्यापारिक लेन-देन की ही होती है जो कि कुछ हद तक सही भी है, ई-कामर्स को छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया गया है जिनकी अपनी-अपनी कुछ विशेषताएं हैं-

  1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
  2. व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर
  3. उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर
  4. उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस
  5. व्यापार-टू-प्रशासन (B 2 A) या बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
  6. उपभोक्ता-टू-प्रशासन (C 2 A) या कस्टूमर-टू-एडमिनिस्ट्रेशन

1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस

जब दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में सामान अथवा सेवाओं का लेन-देन इलेक्ट्रानिक तरीके से करते हैं तो इस तरह के ई-कामर्स को व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस कहते हैं।

2. व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर

कम्पनियों एवं अंतिम उपभोक्ताओं के बीच ईलेक्ट्रानिक लेन-देन की प्रक्रिया से सम्बन्धित इस तरह के ई-कामर्स की व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर कहते हैं। यह ई-कामर्स के कॉमर्स की सीमाएँ खुदरा व्यापार की तरह होता है जहाँ पर परम्परागत खुदरा कारोबार सामान्य रूप से चलाया जाता है। इस तरह के व्यापारिक सम्बन्ध आसान और बहुत सक्रिय होते हैं। लेकिन कभी-कभी ही होते हैं या फिर उनमें शीघ्र बंद होने की सम्भावना भी की रहती है। इंटरनेट की उपयोगिता के पश्चात इस प्रकार का वाणिज्य बहुत चलन में है। इंटरनेट में पहले से ही बहुत सारी शाॅपिंग साइट्स है जिनके जरिये उपभोक्ता घरेलू सामान, किताबें, जूते, कपड़े, मनोरंजन साधन, फर्नीचर, मोबाइल, वाहन आदि खरीद सकते हैं।

3. उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर

उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर ई-कामर्स में उपभोक्ताओं के मध्य किए जाने वाली सभी सेवाओं एवं वस्तुओं के इलेक्ट्रानिक लेन-देन शामिल होते हैं। सामान्यतः किसी तीसरे पक्ष द्वारा ही ये लेन-देन आयोजित करवाएं जाते हैं। यह तीसरा पक्ष ही आनलाइन सुविधा प्रदान करता है जहाँ की वास्तविक मोलभाव तय किये जाते हैं। यह ई-कॉमर्स का वह प्रकार है जिसमें उपभोक्ता से उपभोक्ता के बीच होने वाले व्यावसायिक सौदे सम्मिलित होते है। नीलामी साइट्स इसका विकसित होता हुआ उदाहरण है। जब किसी उपभोक्ता को कुछ जमीन जायदाद अथवा वस्तु चाहे वह कार ही क्यों न हो, बेचनी हो तो वह ऐसी संबद्ध वेबसाइट पर अपने द्वारा बेची जाने वाली संपत्ति या वस्तु की जानकारी उपलब्ध करा देता है ताकि जरूरतमंद उपभोक्ता संपर्क पर क्रय सके। www.ebey.com वह बेवसाइट है जो उपभोक्ता से उपभोक्ता के बीच नीलामी क्रय को संभव कर रही है।

4. उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस

उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस माॅडल रिवर्स नीलामी या माँग संग्रह माॅडल कहलाता है। इस माॅडल में अलग-अलग ग्राहक अपनी सेवाओं एवं सामग्री को इन कम्पनियों को बेचने की पेशकश करते है जो उन्हें खरीदने के लिए तैयार है। यह परम्परागत बी टू सी माॅडल का पूर्ण अल्टा रूप है। इस प्रकार था ई-कामर्स बहुत आम है। इस तरह के ई-कामर्स में व्यक्ति अपनी सेवाओं या उत्पादों को इस कॉमर्स की सीमाएँ प्रकार की सेवाओं या उत्पादों की मांग करने वाली कम्पनियों के लिए खरीद के लिए उपलब्ध कराते हैं।

5. व्यापार-टू-प्रशासन (B 2 A) या बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन

सभी प्रकार के आनलाइन लेन-देन जो कि कम्पनियों एवं सार्वजनिक प्रशासन के मध्य होते हैं, बी-टू-ए कामर्स के अन्तर्गत आते हैं इस माॅडल में विभिन्न प्रकार की सेवाएं आती है जैसे कि वित्तीय, सामाजिक सुरक्षा रोजगार, कानूनी

6. उपभोक्ता-टू-एडमिनिस्ट्रेशन (C 2 A)

  1. शिक्षा:- दूरस्थ शिक्षा, सूचना प्रसार आदि।
  2. सामाजिक सुरक्षा:- भुगतान करना, जानकारी के वितरण में।
  3. कर:- रिटर्न जमा करने हेतु, भुगतान आदि।
  4. स्वास्थ्य:- बीमारियों के बारे में जानकारी, नियुक्तियाँ, स्वास्थ्य सेवाओं का भुगतान, लोक प्रशासन से जुड़े हुए दोनों माॅडल बी-टू-ए व सी-टू-ए सूचना व संचार प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता के साथ सरकार द्वारा नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को आसान व उपयोगी बनाता है।

ई-कॉमर्स के लाभ

ई-कॉमर्स परंपरागत व्यवसाय अथवा विपणन/वितरण के तौर-तरीकों की तुलना में व्यावसायिक संस्थाओं तथा उपभोक्ताओं को कई तरह के लाभ उपलब्ध कराता है। उदाहरणार्थ,

ई-कॉमर्स की सीमाएँ | Limitation of E-commerce in Hindi

ई-कॉमर्स की सीमाएँ | Limitation of E-commerce in Hindi

ई-कॉमर्स की सीमाएँ | Limitation of E-commerce in Hindi

ई-कॉमर्स की सीमाएँ (Limitation of E-commerce)

(1) निवेश पर प्रतिलाभ की गणना करना कठिन है।

(2) इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स को सक्षम करने वाले सॉफ्टवेयर में पारंपरिक वाणिज्य के लिए डिजाइन किए गए मौजूदा डेटाबेस और लेनदेन प्रसंस्करण सॉफ्टवेयर को एकीकृत करने में कठिनाई

(3) पर्याप्त प्रणाली सुरक्षा, विश्वसनीयता, मानकों और संचार प्रोटोकॉल का अभाव।

(4) तेजी से विकसित हो रही है और तकनीक बदल रही है, इसलिए हमेशा पकड़ने’ (Catch up) की कोशिश करने और पीछे नहीं रहने की भावना होती है।

(5) ई-कॉमर्स के अधिकांश नुकसान अंतर्निहित प्रौद्योगिकियों के नएपन और तेजी से विकसित हो रही गति से विकसित हुए है। इसके कुछ प्रमुख हानियों निम्नलिखित हैं:-

(6) कई फर्मों को एक प्रभावो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स उपस्थिति बनाने के लिए आवश्यक तकनीकी, डिजाइन और व्यावसायिक प्रक्रिया कौशल वाले कर्मचारियों को भर्ती करने और बनाए रखने में परेशानी हुई है।

(7) इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के संचालन के लिए कई व्यवसायों को सांस्कृतिक और कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

(8) नए अवसरों का फायदा उठाने के लिए व्यवसाय मॉडल को नया करने और विकसित करने के दबाव में जो कभी-कभी संगठन के लिए हानिकारक रणनीतियों की ओर जाता है। जिस आसानी से व्यापार मॉडल की नकल की जा सकती है और इंटरनेट पर उसका अनुकरण किया जा सकता है, उस दबाव को बढ़ाता है और लंबी अवधि के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को कम करता है।

(9) पुरानी और ‘नई’ तकनीक की अनुकूलता के साथ समस्याएं। ऐसी समस्याएं है जहाँ पुराने व्यावसायिक सिस्टम वेब-आधारित और इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ संचार नहीं कर सकते हैं, जिसके कारण कुछ संगठन लगभग दो स्वतंत्र सिस्टम चला रहे हैं जहाँ डेटा साझा नहीं किया जा सकता है। यह अक्सर नई प्रणालियों या बुनियादी ढांचे में निवेश करने की ओर जाता है, जो विभिन्न प्रणालियों को पाठता है। दोनों ही मामलों में यह आर्थिक रूप से महंगा होने के साथ-साथ संगठनों के कुशल संचालन के लिए विघटनकारी भी है।

(10) एल नई ‘डिजिटल’ अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए व्यक्तियों के लिए कंप्यूटिंग उपकरण की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है ग्राहकों के लिए प्रारंभिक पूंजी लागत।

(11) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रतिस्पर्धियों से बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा का सामना करने से अक्सर मूल्य युद्ध होते हैं और संगठन के लिए बाद में स्थायी नुकसान होता है।

(12) कंप्यूटिंग उपकरण और इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब के नेविगेशन दोनों के लिए एक बुनियादी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है।

(13) इंटरनेट तक पहुँच की लागत, चाहे डायल-अप हो या ब्रॉडबैंड टैरिफ ।

(14) कंप्यूटिंग उपकरण की लागत न केवल उपकरण खरीदने की प्रारंभिक लागत बल्कि यह सुनिश्चित करना कि इंटरनेट, वेबसाइटों, और अनुप्रयोगों की बदलती आवश्यकता के अनुकूल होने के लिए प्रौद्योगिकी को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।

(15) व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता की कमी। वेब या इंटरनेट पर एकत्र किए गए डेटा का कोई वास्तविक नियंत्रण नहीं है। डेटा सुरक्षा कानून सार्वभौमिक नहीं है और इसलिए विभिन्न देशों में होस्ट की गई वेबसाइटों में व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता की रक्षा करने वाले कानून हो भी सकते हैं और नहीं भी।

(16) शारीरिक संपर्क और संबंधों को इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। ग्राहक ऑनलाइन बेचे जा रहे सामान को छूने और महसूस करने में असमर्थ हैं या इंसानों की आवाज और प्रतिक्रियाओं को नाप सकते हैं।

(17) जैसे-जैसे लोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से बातचीत करने के लिए अधिक अभ्यस्त हो जाते हैं, व्यक्तिगत और सामाजिक कौशल का क्षरण हो सकता है जो अंततः उस दुनिया के लिए हानिकारक हो सकता है जहाँ हम रहते हैं जहाँ लोग आमने-सामने की तुलना में स्क्रीन के साथ बातचीत करने में अधिक सहज होते हैं।

(18) जस्ट-इन-टाइम निर्माण की सुविधा देता है। यह संकट के समय में अर्थव्यवस्था को संभावित रूप से पंगु बना सकता है क्योंकि स्टॉक को न्यूनतम रखा जाता है और डिलीवरी पैटर्न स्टॉक के पूर्व निर्धारित स्तरों पर आधारित होते हैं जो हफ्तों के बजाय दिनों तक चलते हैं।

(19) जैसा कि नई तकनीक बताती है कि आप सभी पुराने कम्प्यूटर, कीबोर्ड, मॉनिटर, स्पीकर और अन्य हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर का निपटान कैसे करते हैं?

(20) दूरसंचार अवसंरचना, बिजली और आईटी कौशल पर निर्भरता, जो विकासशील देशों में बिजली, उन्नत दूरसंचार अवसंरचना और आईटी कौशल अनुपलब्ध या दुर्लभ या अविकसित होने पर लाभों को समाप्त कर देती है।

(21) एक संभावित खतरा है कि तकनीकी संपन्न और वंचितों के बीच सामाजिक विभाजन में वृद्धि होगी इसलिए जिन लोगों के पास तकनीकी कौशल नहीं है वे बेहतर वेतन वाली नौकरियों को सुरक्षित करने में असमर्थ हो जाते हैं और संभावित खतरनाक प्रभावों के साथ बातचीत करने में अधिक सहज होते हैं।

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ई-कॉमर्स के फायदे और सीमाएं क्या है। What are advantages and limitations of E-Commerce?

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ई-कॉमर्स के फायदे और सीमाएं क्या है। What are advantages and limitations of E-Commerce?

ई-कॉमर्स के फायदे और सीमाएं क्या है।

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E- Commerce –

ई-कॉमर्स को इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स भी कहा जाता है जब हम Online shopping करते हैं कोई भी सामान Online खरीदते हैं या बेचते हैं और इसकी Payment Card के माध्यम से या UPI Payment सिस्टम से online करते हैं तो यह कार्य E-commerce के अंतर्गत आता है ।

आसान भाषा में कहा जाए तो ऑनलाइन शॉपिंग करना ही e-commerce है आजकल मार्केट में कई सारी ई-कॉमर्स की कंपनियां मौजूद है जो आपको ऑनलाइन शॉपिंग करने की फैसिलिटी प्रदान करती है और आप इन कंपनियों से घर बैठे केवल One click में शॉपिंग कर सकते हैं जिसकी पेमेंट भी आप अपने कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से कर सकते हैं।

हम किसी भी online Shopping website से फर्नीचर, मोबाइल फोन, कोई भी घरेलू उपयोग का सामान खरीदते हैं और इसकी Payment हम ऑनलाइन ही करते हैं आजकल Amazon और Flipkart और इसी के कॉमर्स की सीमाएँ तरह और भी कई सारी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट है जिस से हम खरीदारी करते हैं और केवल एक क्लिक से ही हम घर पर बैठकर ही कोई भी सामान खरीद सकते हैं जिसके डिलीवरी हमें घर पर प्राप्त हो जाती है इसे ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहा जाता है हम यहां पर बिना दुकानदार से मिले बिना उससे किसी प्रकार की बात किए कंप्यूटर या मोबाइल फोन के माध्यम से शॉपिंग कर लेते हैं जो ई-कॉमर्स के अंतर्गत आता है

What is E commerce

e commerce की बहुत सारी वेबसाइट है जैसे अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, मीशो, अलिबाबा, वॉलमार्ट और भी कई सारी वेबसाइट है जो ई-कॉमर्स से जुड़ी हुई है और इकॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है जिसका उपयोग आज के समय में अत्यधिक बढ़ गया है इन सुविधाओं का लाभ लेने के लिए सभी ऑनलाइन वेबसाइट की एप्लीकेशन होती है और इनकी ऑफिशियल वेबसाइट भी होती है जहां पर जाकर हम ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं इसमें ग्राहकों के साथ में किसी भी प्रकार की कोई धोखाधड़ी नहीं होती और एक अच्छी सुविधा प्राप्त होती है

ई-कॉमर्स के फायदे

ई-कॉमर्स के लाभ

Advantages of E-Commerce

ई-कॉमर्स के बहुत सारे फायदे हैं इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको किसी भी प्रकार का कोई भी सामान खरीदने के लिए किसी भी Store या shop तक नहीं जाना पड़ता आप इस की ऑनलाइन वेबसाइट पर यश की एप्लीकेशन को डाउनलोड करके ऑनलाइन अपनी जरूरत की चीजों को ऑर्डर कर सकते हैं जिसके लिए आप कैश ऑन डिलीवरी का भी चयन कर सकते हैं

ई-कॉमर्स के बहुत सारे फायदे हैं जिनकी विस्तार में जानकारी नीचे दी गई है

सत्ता (Cheap Rate)

यहां पर आपको बहुत सारी ऑनलाइन शॉपिंग की वेबसाइट मिल जाती है जहां पर आप अलग अलग व्यक्ति साइट पर जाकर आप जो भी सामान खरीदना चाहते हैं उसे कंपेयर कर सकते हैं और जिस भी वेबसाइट पर यहां सामान सस्ता मिलता है वहां से जाकर आप यह प्रोडक्ट खरीद सकते हैं ऑनलाइन शॉपिंग में आपको ऑनलाइन Payment पर या क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड से Payment करने पर आपको कुछ Percent झूठ भी मिल जाती है इस प्रकार आप कम दाम में सामान खरीद सकते हैं

ऑनलाइन शॉपिंग में आपको दुकानों के अपेक्षा सस्ता सामान मिलता है क्योंकि यह डायरेक्ट सेलिंग कंपनी होती है जो डायरेक्ट कस्टमर तक पहुंचती है इसीलिए इसमें बिचौलियों की जरूरत नहीं होती और हमें प्रोडक्ट सस्ता मिल जाता है

आसान शॉपिंग (Easy shopping)

Online Shopping करना बहुत ही आसान होता है हम अपने मोबाइल फोन से या लैपटॉप कंप्यूटर की हेल्प से ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं जिसके लिए हमें इसकी वेबसाइट पर जाना होता है अथवा मोबाइल फोन में एप्लीकेशन इंस्टॉल कर के भी हम बहुत ही आसानी से शॉपिंग कर सकते हैं जिससे हमारे समय की बचत होती है और खरीदारी आसान होती है

सामान की उपलब्धता – Availability – आपके द्वारा चाहे गए सामान आपको हमेशा अवेलेबल मिलेंगे यहां समय की कोई पाबंदी नहीं रहती ऑनलाइन शॉपिंग की दुकानें 24 घंटे खुली रहती है आप 12:00 बजे रात को चाहे तब भी आप यहां पर शॉपिंग कर सकते हैं यह इसकी सबसे अच्छी बात है

जल्दी खरीदारी संभव है- Fast checkouts

यदि आप किसी स्टोरिया दुकान पर जाते हैं तो वहां पर आपको काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे दुकानों पर भीड़ रहती है और भी तरह-तरह की परेशानियां ऑनलाइन शॉपिंग में आप बहुत जल्दी खरीदारी कर सकते हैं केवल वनक्लिक पर ही आप खरीदारी कर सकते हैं आपको यहां किसी स्टोर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती

ई-कॉमर्स की सीमाएं

ई-कॉमर्स के नुकसान-

Disadvantages of E-Commerce –

वैसे तो ई-कॉमर्स के कोई नुकसान नहीं है लेकिन कुछ नुकसान भी होते हैं कई बार देखा गया है कि ग्राहकों से धोखाधड़ी की बातें सामने आई है

कुछ ग्राहकों के साथ में ऐसा हुआ है कि उन्होंने कोई सामान ऑर्डर किया है जब उनकी डिलीवरी घर तक पहुंचती है तो उन्हें घर पर डैमेज सामान मिलता है अथवा पैकेट में या लिफाफे में कोई सामान ही नहीं होता जिसकी कई बार कंप्लेंट भी की गई है।

हम जो प्रोडक्ट खरीद रहे हैं हमें केवल उसकी पिक्चर दिखाई जाती है और कई बार असलियत कुछ और होती है इसीलिए हमें किसी ट्रस्टेड ई-कॉमर्स की वेबसाइट से ही सामान खरीदना चाहिए।

कई बार ऑनलाइन Payment करते वक्त Payment फेल हो जाती है और ग्राहक के खाते से भी पैसा कट जाता है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है हालांकि यहां Payment जल्द ही ग्राहक के खाते में वापस आ जाता है।

हमें प्रोडक्ट की जांच करने की फैसिलिटी नहीं होती आप सामान खरीद कर ही इसकी जांच कर सकते हैं हालांकि आपको रिप्लेसमेंट की सुविधा दी जाती है ।

देखा जाता है कि कई बार धागों को संतुष्टि नहीं होती क्योंकि ग्राहक सामान को छू कर देखना चाहते हैं आंखों से सामने देखना चाहते हैं लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग में यह संभव नहीं हो पाता।

ऐसे लोग जिनके पास तकनीकी ज्ञान नहीं है ऐसे लोगों के लिए ऑनलाइन कॉमर्स की सीमाएँ कॉमर्स की सीमाएँ शॉपिंग करना संभव नहीं हो पाता क्योंकि हमारे भारत देश का हर व्यक्ति साक्षर नहीं है और वहां इंटरनेट और नेट बैंकिंग के बारे में जानकारी नहीं रखता इसीलिए ऐसे लोगों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग मुश्किल हो जाती है ।

ई-कॉमर्स व इसके उपयोग भाग दो/e commerce and its uses part 2

इलेक्ट्रॉनिक बाजार से तात्पर्य उस नेटवर्क से है जहां विभिन्न प्रकार के सेवाओं, उत्पादों, भुगतानों तथा सूचनाओं के विनिमय से संबंधित क्रियाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है। इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स की सीमाएँ बाजार में भौतिक केंद्रों का अभाव होता है। एकल स्टोर तथा इलेक्ट्रॉनिक मॉल अथवा साइबर मॉल आदि इलेक्ट्रॉनिक बाजार के उदाहरण है।

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रणाली उच्च गति की संचार लाइनों के माध्यम से केंद्रीय अतिथेय कंप्यूटर(Central supplementary computer) से संबंधित कंप्यूटर टर्मिनलों का एक सेट है। इसमें ब्रोकर या दलाल द्वारा वेबसाइट का प्रयोग करते हुए आर्डर प्रेषित करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत सभी कार्य रियल टाइम पर संभव हो पाते हैं। वर्तमान में प्रतिभूति बाजार प्रकार्य (securities market operations) पर इलेक्ट्रॉनिक बाजार प्रणाली का अत्यधिक प्रभाव है।

धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक बाजार प्रणाली परंपरागत बाजारों को प्रतिस्थापित कर रही है या उनके सहायक के रूप में कार्य कर रही है।

ईकॉमर्स के फायदे और नुकसान

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के अनुसार इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ जाती है, प्रवृत्तियों से संकेत मिलता है कि ई-कॉमर्स जल्द ही व्यापार लेनदेन को पूरा करने का प्राथमिक तरीका होगा। चूंकि दोनों कंपनियां और उपभोक्ता स्वयं इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से प्रभावित हैं, इसलिए यह जानना सुविधाजनक है कि वे क्या हैं ईकॉमर्स के फायदे और नुकसान।

ईकॉमर्स के लाभ

  • सुविधा। सभी उत्पाद इंटरनेट के माध्यम से आसानी से सुलभ हैं; आपको बस एक खोज इंजन का उपयोग करके उन्हें खोजना है। दूसरे शब्दों में, उत्पादों या सेवाओं को खरीदने के लिए घर छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
  • समय की बचत। ईकॉमर्स का यह भी फायदा है कि ग्राहक गलियारों के बीच या तीसरी मंजिल तक जाने में समय बर्बाद नहीं करते हैं। एक ऑनलाइन स्टोर के साथ, उत्पादों का पता लगाना आसान है और इसे केवल कुछ दिनों में घर के दरवाजे तक पहुंचाया जा सकता है।
  • एकाधिक विकल्प। खरीदारी करने के लिए घर छोड़ने की आवश्यकता कॉमर्स की सीमाएँ नहीं है; आप न केवल सामग्री के मामले में, बल्कि कीमतों के मामले में भी अनंत विकल्पों में से चुन सकते हैं। विभिन्न भुगतान विधियां भी प्रदान की जाती हैं, इसलिए सभी आवश्यक वस्तुएं एक ही स्थान पर मिल सकती हैं।

उत्पादों और कीमतों की तुलना करना आसान है। जैसा कि उत्पाद ऑनलाइन पाए जाते हैं, वे विवरण और विशेषताओं के साथ होते हैं, इसलिए उन्हें दो, तीन या अधिक ऑनलाइन स्टोर के बीच भी आसानी से तुलना की जा सकती है।

ईकॉमर्स के नुकसान

  • गोपनीयता और सुरक्षा। यह एक समस्या हो सकती है यदि ऑनलाइन स्टोर ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए सभी सुरक्षा और गोपनीयता की स्थिति प्रदान नहीं करता है। कोई भी नहीं चाहता कि उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी सभी को दिखाई दे, इसलिए खरीदने से पहले साइट पर शोध करना आवश्यक है।
  • गुणवत्ता. इस तथ्य के बावजूद कि ईकॉमर्स पूरी खरीद प्रक्रिया को आसान बनाता है, एक उपभोक्ता वास्तव में उत्पाद को तब तक नहीं छू सकता है जब तक कि इसे घर पर वितरित नहीं किया जाता है।
  • छुपी कीमत। ऑनलाइन खरीदते समय, उपभोक्ता को उत्पाद की कीमत, शिपिंग और संभावित करों के बारे में पता होता है, लेकिन यह भी संभव है कि छिपी हुई लागतें खरीद चालान में नहीं दिखाई जाती हैं, लेकिन भुगतान के रूप में।
  • शिपमेंट में देरी। जबकि उत्पाद वितरण तेज है, मौसम की स्थिति, उपलब्धता और अन्य कारक उत्पाद शिपमेंट में देरी का कारण बन सकते हैं।

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