विशेषज्ञ बोले

ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण

ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण

शिक्षक दिवस स्पेशल: ये हैं राजनांदगांव के द्रोणाचार्य. जिन्होंने 26 साल की उम्र में तैयार किए 45 राष्ट्रीय तीरंदाज

शिक्षक दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको राजनांदगांव के 26 साल के राहुल साहू से मिलवा रहा है. राहुल होटल में समोसे बेचते हैं और साथ ही खिलाड़ियों को निशुल्क तीरंदाजी का प्रशिक्षण दे रहे हैं. अब तक राहुल ने 45 खिलाड़ियों को नेशनल खेलने के लिए तैयार किया है, जिनमें 2 लोगों ने मेडल जीतकर राजनांदगांव का नाम रोशन किया है.

राजनांदगांव. कहते हैं ज्ञान बांटने से बढ़ता है. इस कहावत को सही साबित कर दिखाया है जिले से लगे फरहद गांव के राहुल साहू ने. राहुल ने महज 26 साल की उम्र में 45 राष्ट्रीय तीरंदाज तैयार कर दिए. राहुल पेशे से होटल संचालक हैं और खासतौर पर वे समोसे बेचते हैं. लेकिन इस काम के बीच में भी उन्होंने अपने हुनर को बांटने से परहेज नहीं किया और आज निशुल्क तीरंदाजी का प्रशिक्षण वे लोगों को दे रहे है.

राजनांदगांव शहर से लगे फरहद गांव में रहने वाले 26 साल के ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण युवा राहुल साहू ने ETV भारत से चर्चा करते हुए बताया कि कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने तीरंदाजी का गुर सीखा था. लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें होटल का व्यापार करने की तरफ मोड़ दिया. इसके बाद भी उन्होंने तीरंदाजी से लगाव नहीं छोड़ा. उन्होंने बताया कि तीरंदाजी का गुर सीखने के बाद उनके मन में हमेशा यह कसक रहती थी कि जो कुछ भी उन्होंने सीखा है उसे दूसरों को भी सिखाया जाए.

इस सोच के साथ उन्होंने निशुल्क तीरंदाजी प्रशिक्षण शिविर शुरू किया और खिलाड़ियों को तीरंदाजी का हुनर सिखाने लगे. अब उनके प्रशिक्षण शिविर में तकरीबन 40 खिलाड़ी हैं जो उनसे प्रशिक्षण ले रहे हैं. अब तक राहुल ने 45 खिलाड़ियों को नेशनल खेलने के लिए तैयार किया, जिनमें 2 लोगों ने मेडल जीतकर राजनांदगांव का नाम रोशन किया है.

जो सीखा वो बांटा

ETV भारत से चर्चा करते हुए राहुल ने बताया कि जो कुछ भी तीरंदाजी का हुनर उन्होंने सीखा उसे वे लगातार खिलाड़ियों को सिखा रहे हैं. कैंप में तकरीबन 40 खिलाड़ी लगातार प्रशिक्षण ले रहे हैं. इन ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण खिलाड़ियों में नेशनल प्लेयर भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वे लगातार खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल खेलने के लिए भी प्रोत्साहित करते रहते हैं और उन्हें इस स्तर पर तैयार करने के लिए वे खुद भी फील्ड पर पसीना बहा रहे हैं.

टाइट शेड्यूल के बावजूद प्रशिक्षण के लिए निकालते हैं वक्त
राहुल ने बताया कि वह होटल का संचालन करते हैं. पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने इस व्यापार को शुरू किया और अब नाश्ता बेचकर वे अपना परिवार चलाते हैं. उन्होंने बताया कि होटल चलाने के दौरान उन्हें समय का काफी अभाव रहता है. उनका शेड्यूल काफी टाइट रहता है. कभी-कभी स्वयं के काम के लिए भी वक्त निकालना मुश्किल हो जाता है, लेकिन इन सबके बावजूद भी उन्होंने तीरंदाजी का प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों के लिए समय निकालना बंद ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण नहीं किया. वे लगातार खुद फील्ड पर मौजूद रहकर बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं.

ओलंपिक में मेडल लाने की तमन्ना
राहुल का कहना है कि उनका सपना है कि तीरंदाजी में खिलाड़ी देश के लिए ओलंपिक में अपना हुनर दिखाए और देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएं. इस सपने के साथ वे लगातार खिलाड़ियों के साथ फील्ड में मेहनत करते रहते हैं, ताकि खिलाड़ियों को हर संभव गुर सिखाया जा सके. उनका कहना है कि अभाव के बावजूद वे खिलाड़ियों का हौसला कम होने नहीं देते हैं.

परेशानी से जूझते हुए भी दे रहे प्रशिक्षण
शिविर का संचालन करने वाले डॉक्टर विकास अग्रवाल का कहना है कि तीरंदाजी का गुर सीखने वाले खिलाड़ी लगातार अभाव से जूझ रहे हैं. प्रशिक्षण में काफी गरीब तबके के बच्चे आते हैं और उनके पास तीर कमान लेने के लिए भी पैसे नहीं होते. ऐसी स्थिति में उन्हें सामूहिक मदद करते हुए सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है ताकि वे इस खेल में आगे बढ़ते हुए देश का नाम रोशन कर सकें.

MP: टोक्यो ओलंपिक में सबसे ज्यादा जलवा दिखाएंगे मध्य प्रदेश के खिलाड़ी

tokyo olympics

भोपाल। टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए मध्य प्रदेश के सर्वाधिक खिलाड़ी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे। ओलंपिक में भागीदारी करने वाले मध्य प्रदेश से प्रशिक्षित खिलाड़ियों में एश्वर्य प्रताप सिंह तोमर (शूटिंग), प्राची यादव (पैरा कयाकिंग केनोइंग), विवेक सागर प्रसाद और नीलाकांता शर्मा (पुरूष हॉकी) सुशीला चानू, मोनिका, वन्दना कटारिया (महिला हॉकी) शामिल हैं।

ओलम्पिक में और भी कई खिलाड़ी लेंगे भाग

इसके अलावा मध्य प्रदेश से प्रशिक्षित रिजर्व खिलाड़ी के रूप में चिंकी यादव एवं सुनिधि चौहान (शूटिंग), रीना खोखर एवं ई. रजनी (महिला हॉकी) का भी चयन किया गया है। साथ ही पैरा शूटिंग खिलाड़ी रूबिना फ्रांसिस भी ओलम्पिक में भागीदारी की प्रबल दावेदार हैं। क्योंकि हाल ही में पेरू में आयोजित विश्व पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में रूबिना फ्रांसिस ने रिकार्ड प्रदर्शन करते हुए भारत को स्वर्ण पदक के साथ ओलम्पिक कोटा भी दिलाया है।

खेल के क्षेत्र में प्रदेश को कई पुरस्कार मिल चुके हैं

मालूम हो कि मध्य प्रदेश खेलों के मामले में काफी आगे हैं। पिछले साल दिसंबर में ही फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा मध्य प्रदेश को ‘बेस्ट स्टेट प्रमोटिंग स्पोर्टस अवार्ड’ से नवाजा गया था। इसके अलावा मप्र को खेलों के क्षेत्र में किए जा रहे कामों के लिए पूर्व में भी कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। याटिंग एसोसियेशन ऑफ इंडिया द्वारा मध्य प्रदेश में नौकायन खेल को बढ़ावा देने के लिए नेशनल सेलिंग स्कूल भोपाल को वर्ष 2012, 2015 और 2018 में एडमिरल कोहली अवार्ड से सम्मानित किया जा गया है। वर्ष 2017 में नेशनल सेलिंग स्कूल को बेस्ट क्लब ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से नवाजा गया।

सेलिंग खिलाड़ी हर्षिता तोमर को 2015, 2017 और 2018 में याट्स पर्सन ऑफ द ईयर, वर्ष 2017 में राम मिलन यादव और 2018 में गोविंद बैरागी को मोस्ट प्रमोसिंग ऑफ द ईयर तथा उमा चौहान को बेस्ट वूमेन सेलर का अवॉर्ड मिल चुका है। इसी तरह वर्ष 2014-15 में महिला हॉकी अकादमी ग्वालियर को हॉकी इंडिया द्वारा प्रेसीडेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था।

हॉकी अकादमी से तैयार हो रहे हैं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

मालूम हो कि प्रदेश में वर्ष 2006 से महीला हॉकी अकादमी के माध्यम से खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण एवं खेल सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। जिसका परिणाम है कि अकादमी से अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी तैयार हुई हैं। महिला हॉकी अकादमी के अलावा वर्ष 2007-08 में भोपाल में पुरूष हॉकी अकादमी की भी स्थापना की गई थी। इस अकादमी के माध्यम से भी कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार हुए हैं।

18 खेल अकादमियों में ओलंपिक की तैयारी ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण करेंगे एथलीट: सीएम शिवराज

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर देश की उम्मीदों को नया जीवन दिया। यह इस बात की भी गारंटी देता है .

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर देश की उम्मीदों को नया जीवन दिया। यह इस बात की भी गारंटी देता है कि यदि बेहतर प्रशिक्षण दिया जाए तो पदकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। हॉकी टीम में मध्य प्रदेश के विवेक सागर और नीलकंठ शर्मा भी शामिल थे। हॉकी टीम के प्रदर्शन के बाद ओलिंपिक में भी मध्यप्रदेश का मान बढ़ा, इसलिए राज्य ने यहां बेहतर प्रशिक्षण व्यवस्था की व्यवस्था कर विजेताओं को तैयार करना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारतीय एथलीटों ने टोक्यो ओलंपिक में कीर्तिमान स्थापित कर भविष्य की संभावनाओं के द्वार खोले हैं। हमने मध्य प्रदेश में 18 खेल अकादमियों में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजने और उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। हम ऐसे कई एथलीट तैयार करेंगे, जो राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ओलंपिक में देश और राज्य का नाम रोशन करेंगे। विवेक सागर इटारसी के रहने वाले हैं। इसी टीम के एक अन्य सदस्य नीलकांत शर्मा मणिपुर से हैं, लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण लिया है। ओलंपिक में हॉकी टीम के प्रदर्शन के बाद मध्यप्रदेश की खेल प्रतिभाओं का भी जिक्र हो रहा है. इसलिए शिवराज ने भविष्य के लिए रणनीति तैयार की है। "हमारा ध्यान 2024 पेरिस ओलंपिक और 2028 लांस एंजेल्स ओलंपिक पर है," उन्होंने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा। हम मध्यप्रदेश से और ओलंपियन लाएंगे और देश को मेडल दिलाएंगे। मैं खेल में रुचि रखने वाले सभी पुत्र-पुत्रियों से मध्यप्रदेश में प्रतिभा खोज अभियान में नामांकन करने की अपील करता हूं ताकि वे उभरते हुए खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में मदद कर सकें। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजने के लिए राज्य स्तरीय अभियान चला रही है। प्रतिभा खोज ऑनलाइन पंजीकरण के लिए अब तक 50,000 से अधिक खिलाड़ियों ने आवेदन किया है।

तोक्यो ओलंपिक में झारखंड से पदक की उम्मीद, तीरंदाजों के लिए करनी होगी ये पहल

दीपिका कुमारी, अंकिता और कोमालिका की महिला रिकर्व टीम ने पदक जीता

Tokyo Olympics Preparation: JSSPS के अधिकारी की मानें तो एक बार जब तीरंदाज ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करता . अधिक पढ़ें

  • News18 Jharkhand
  • Last Updated : March 09, 2021, 18:08 IST

रांची. तोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में गोल्ड को लेकर देश की नजरें झारखंड की ओर टिकती नजर आ रही है. स्टार तीरंदाज दीपिका कुमारी (Archer Deepika Kumari) ने तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है. वहीं दो और महिला तीरंदाज ने भी ओलंपिक के टिकट के लिए प्रबल दावेदारी में हैं. लेकिन सवाल यह है कि व्यक्तिगत प्रदर्शन के बूते खुद को साबित कर चुकी तीरंदाज बेटियों के लिए राज्य सरकार की प्रशिक्षण व्यवस्था कितनी मुकम्मल है. और तोक्यो ओलंपिक पर निशाना साधने के लिए इस बार क्या पहल की जा रही है. वक्त आ गया है तोक्यो ओलंपिक के गोल्ड पर निशाना साधने और उम्मीद भरी नजरों से झारखंड की ओर देखने का.

तीरंदाज दीपिका ने एक बार फिर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करते हुए तोक्यो में गोल्ड पर निशाना साधने की कोशिश करेंगी. वहीं कोमोलिका बारी और अंकिता भकत भी तोक्यो ओलंपिक के लिए प्रबल दावेदार हैं. हालांकि उन्हें पहले जून में होने वाले पेरिस वर्ल्ड कप में बेहतर प्रदर्शन कर ओलंपिक का टिकट लेना होगा. पदक को लेकर झारखंड से उम्मीदों के बीच एक बड़ी बहस इस बात को लेकर शुरू हो गयी है कि तीरंदाजी और प्रशिक्षण को लेकर राज्य सरकार की तैयारी कितनी बेहतर है. सवाल यह भी है कि क्या झारखंड सरकार ओलंपिक को लेकर अपने तीरंदाजों को विदेशी आवोहवा में ढलने के लिए क्या कुछ समय पहले तोक्यो भेज सकती है. क्या इसको लेकर भारतीय तीरंदाजी संघ के साथ कोई बातचीत या पहल की गयी है.

हम इन तमाम सवालों को लेकर राज्य सरकार की सबसे उच्च गुणवत्ता और प्रशिक्षण वाले एकलव्य तीरंदाजी केंद्र पहुंचे, जहां कोच ने भी साफ कहा कि तोक्यो के वातावरण और आवोहवा को समझने के लिए थोड़ा पहले तीरंदाजों को वहां भेजना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीरंदाजों को लेकर राज्य सरकार की प्रशिक्षण व्यवस्था हालांकि बेहतर है लेकिन ओलंपिक और वर्ल्ड कप जैसी प्रतियोगिता के लिए काफी सुधार की जरूरत है. दरअसल राज्य सरकार की ओर से राज्यभर में तीरंदाजी प्रशिक्षण को लेकर पांच आवासीय केंद्र हैं. जिसमें रांची के सिल्ली, दुमका, सरायकेला खरसांवा, चाईबासा का कुमारडुबी और बोकारो का चंदनकियारी में प्रशिक्षण केंद्र है. जो बच्चे इन आवासीय विद्यालयों में बेहतर प्रदर्शन कर खुद को राज्यस्तर या फिर राष्ट्रीय स्तर पर साबित करते हैं. उनके लिए रांची के होटवार और दुमका के दुधानी में सेंटर फॉर एक्सीलेंस एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र हैं. इसके अलावा रांची के मेगास्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में राज्य सरकार और सीसीएल के सहयोग से JSSPS के माध्यम से भी छोटे बच्चों को तीरंदाजी के गुर सिखाये जा रहे हैं. यहां प्रशिक्षण ले रहे कई खिलाड़ी खुद को राष्ट्रीय स्तर पर साबित कर पदक जीत चुके हैं. मेगास्पोर्ट्स कॉमप्लेक्स ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण और सेंटर फॉर एक्सीलेंस एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र का मकसद ही ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट को लेकर तीरंदाजों को प्रशिक्षण देकर तैयार करना है.

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JSSPS के अधिकारी की मानें तो एक बार जब तीरंदाज ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करता है तो उसके ट्रेनिंग की पूरी व्यवस्था भारतीय तीरंदाजी संघ के जिम्मे होती है. लेकिन सवाल फिर यही उठता है कि राज्य के खिलाड़ियों की सही तकनीक और फिटनेस की जानकारी राज्य के अधिकारियों को ही होती है. ऐसे में खिलाड़ियों ओलंपिक व्यापार में प्रशिक्षण को विदेशी माहौल में ढलने के लिए झारखंड तीरंदाजी संघ की ओर क्या पहल की जाती है. इसपर सबकी नजर है.

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