घाटे का सौदा

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इन 'लग्जरी फीचर्स' की वजह से कार खरीदना हो सकता है घाटे का सौदा, जानें कैसे
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 26 Jan 2021 10:35 PM (IST)
ग्राहकों को लुभाने के लिए कार कपंनियां तरह-तरह के फीचर गाड़ियों में देती हैं. कई बार इन फीचर्स से प्रभावित होकर ग्राहक कार भी खरीद लेते हैं, बिना यह समझें कि इन फीचर्स की उसे जरुरत है भी या नहीं. जिसके कारण बाद में उनके लिए ये फीचर ज्यादा काम के नहीं रह जाते.
हम आपको कुछ ऐसे फीचर्स के बारे में आज बताएंगे जिनकी कोई खास जरुरत नहीं होती है और जिन्हें आसानी से नजर अंदाज किया जा सकता है.
कीलेस पुश बटन स्टार्ट यह फीचर इनदिनों कई कारों में दिया जा रहा है. कंपनियां इस फीचर को बहुत हाईलाइट करती हैं लेकिन यह फीचर बहुत काम का नहीं है. हालांकि कार को बिना चाबी के अनलॉक किया जा सकता है और केवल एक पुश बटन से कार को स्टार्ट किया जा सकता है. वैसे अधिकांश कारों में रिमोट लॉकिंग फीचर दिया जा रहा है और बटन दबा कर कार को लॉक-अनलॉक किया जा सकता है. यह फीचर स्टैंडर्ड मिलते तो ठीक वरना बहुत जरूरी नहीं है.
अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन सरकार के लिए घाटे का सौदा, तीन साल से लगातार घाटे में
अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन पिछले तीन साल से लगातार घाटे में चल रही है। भारतीय रेलवे की पहली निजी तेजस ट्रेन में तमाम सुविधाएं होने के बावजूद यात्री नहीं मिल रहे हैं। अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन को अब तक घाटे का सौदा घाटे का सौदा कुल 35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। गौरतलब है कि घाटे का सौदा दिल्ली और लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन ने मुनाफा कमाया है।
रेल मंत्रालय ने संसद को सूचित किया है कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली तेजस ट्रेन को 2019 में 2.91 करोड़ रुपये, 2020 में 16.45 करोड़ रुपये और 2021 में 16 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि मुखबिरों का कहना है कि तेजस ट्रेन का किराया सस्ती एयरलाइंस के किराए से ज्यादा है। क्योंकि पीक सीजन में किराया बढ़ जाता है। तेजस ट्रेन के कोच की इंटीरियर, लाइटिंग ऐसी है जो लग्जरी ट्रैवल का अहसास देती है। इसके अलावा ट्रेन में डाइनिंग समेत अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। हालांकि, यात्री तेजस ट्रेनों से आकर्षित नहीं होते हैं। ऐसे में रेल घाटे का सौदा मंत्रालय का दावा नाकामयाब रहा है। संक्षेप में कहें तो तेजस ट्रेन घाटे का सौदा के मामले में यहीं कहा जा सकता है कि हाथी खरीदना आसान पर पालना मुश्किल।
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घाटे का सौदा साबित हो रही है खेती: डीजल की बढ़ती महंगाई से किसानों की टूटी रही कमर, 5 साल में डेढ़ से दोगुनी महंगी हुई किसानी
बिहार के गोपालगंज जिले में कृषि संसाधनों के मूल्यों में लगातार हो रही वृद्धि से खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में घाटे का सौदा डीजल, खाद, बीज, मजदूरी की दर व परिवहन खर्च में चालीस से पचास फीसदी तक इजाफा हुआ है। लेकिन, किसानों की मेहनत व पूंजी के लिहाज उत्पादित अनाज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
इस पर तुर्रा यह कि बाढ़, ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से फसलों के बर्बाद होने से किसानों की पूंजी भी डूब जा रही है। पिछले पांच वर्षों में मौसम की अनियमितता व प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से जिले के किसान परेशान हैं।
पांच वर्षों में डीजल की कीमत में प्रति लीटर 40 रुपए का इजाफा : पिछले पांच वर्षों के दौरान डीजल के दाम में प्रति लीटर चालीस रुपए की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में डीजल की कीमत 62.77 रुपए प्रति लीटर थी। फिलहाल 102.52 रुपए प्रति लीटर डीजल बिकने से किसानों के घाटे का सौदा लिए खेत की जुताई,पंप सेट से सिंचाई,थ्रेसिंग व खेत से खलिहान व घर तक अनाज की ढुलाई खर्च भी काफी बढ़ गया है।
मध्य प्रदेश: मिर्च के किसानों के निकले आंसू, कीमतें गिरने से घाटे का सौदा साबित हो रही खेती
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 15, 2021 18:23 IST
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मध्य प्रदेश: घाटे का सौदा मिर्च के किसानों के निकले आंसू, कीमतें गिरने से घाटे का सौदा साबित हो रही खेती
इंदौर। मध्य प्रदेश में मिर्च की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है क्योंकि ज्यादा उत्पादन के चलते इस मसाला फसल के थोक दाम इस कदर गिर गए हैं कि उनके लिए इसके उत्पादन और इसे खेत से तुड़वाने की लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। राज्य के सबसे बड़े मिर्च उत्पादक निमाड़ अंचल के खरगोन जिले के गजानंद यादव इन किसानों में शामिल हैं जिन्होंने पांच एकड़ में मिर्च बोई है।
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उन्होंने मंगलवार को बताया, "इस वक्त हरी मिर्च का थोक खरीदी मूल्य घाटे का सौदा 11 से 12 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच चल रहा है, जबकि हमें एक किलोग्राम मिर्च उगाने में करीब आठ रुपये की लागत आती है और मजदूर इसे खेत से तोड़ने के बदले पांच रुपये किलोग्राम के मान से मेहनताना लेते हैं।" यादव ने बताया कि पिछले साल किसानों को एक किलोग्राम हरी मिर्च के बदले 42 रुपये तक का ऊंचा दाम मिला था और इसे देखते हुए वर्तमान सत्र में इसकी खेती के प्रति उनका आकर्षण बढ़ गया।
उद्यानिकी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में हरी मिर्च का ज्यादा उत्पादन होने से इसके थोक दाम गिर गए हैं, लेकिन आने वाले दिनों में जब यह सूख कर लाल हो जाएगी तो किसानों को इसका बेहतर मोल मिलने की उम्मीद है। पश्चिमी मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल की गिनती देश के प्रमुख मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में होती है।
घाटे का सौदा साबित हुआ मक्के का स्टॉक, कारोबारियों को लग सकता है एक अरब का घाटा
पूर्णिया : एशिया फेम की मंडी गुलाबबाग में मक्का कारोबार से जुड़े कारोबारियों की इस बार सांसें थम गयीं हैं. मक्का खरीदार के अभाव में कौड़ी के भाव में कारोबारी मक्का बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में कारोबारी कंगाली की स्थिति में पहुंच गये हैं.
एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष मक्का के कारोबार को करीब एक अरब का घटा लगा है. इसमें स्थानीय छोटे बड़े कारोबारियों से लेकर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बेंगलुरु, कोलकाता सहित साउथ इंडिया की कई बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियां शामिल हैं. जानकार कारोबारियों के मुताबिक इस वर्ष मक्का के सीजन में करीब पांच लाख क्विंटल मक्का का स्टॉक मल्टी नेशनल कंपनियों के गोडाउन में किया गया था. इसके अलावा छोटे छोटे कारोबारियों द्वारा भी करीब एक सौ से अधिक गोडाउन में मक्का स्टॉक घाटे का सौदा किया गया था, लेकिन मक्का के बाहरी बाजारों में और मंडी में खरीदार