शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है?

Budget 2022: इन 6 सेक्टर्स पर ध्यान देने से हकीकत में बदल सकते हैं भारत के आर्थिक सपने
Budget 2022: बजट में सरकार को अपना वित्तीय घाटा कम करने और मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स पर फोकस करने की जरूरत है
Budget 2022: वित्त मंत्रालय के सामने 1 फरवरी 2022 को एक व्यवहारिक बजट पेश करने शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? का एक चुनौतीपूर्ण कार्य है
Budget 2022: जहां एक तरफ 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आंकाक्षा है। वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर से देश में कोरोना के बढ़ते केसों के चलते लॉकडाउन लगने और सप्लाई चेन से चुड़ी चुनौतियां खड़ी खड़ी होने का जोखिम है। ऐसे में वित्त मंत्रालय के सामने शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? इन जोखिमों और चिंताओं को संबोधित करना और 1 फरवरी 2022 को एक व्यवहारिक बजट पेश करने का एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
प्राइवेट सेक्टर की कैपिसिटी यूटिलाइजेशन अभी भी शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? 70 पर्सेंट से नीचे हैं और कम से कम अगले एक दो तिमाहियों तक इसमें तेजी आने की उम्मीद नहीं दिखती है। ऐसे में सरकार को खपत और मांग को बढ़ावा देने के लिए खर्च जारी रखने की जरूरत है।
सरकार को अगले बजट वर्ष के लिए अपने वित्तीय घाटे को कवर करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), एसेट मॉनेटाइजेशन और विनिवेश के जरिए फंड जुटाने का लक्ष्य रखना चाहिए। बड़े स्तर पर, मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स को बढ़ावा देने से रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही इनका MSME सहित बहुत सारे सहायक उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बजट में इन सेक्टर पर प्राथमिकता देनी रहनी चाहिए।
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मेरे हिसाब से भारत के आर्थिक सपने को साकार करने के लिए आगामी बजट में वित्त मंत्री को 6 सेक्टर्स या इंडस्ट्रीज पर फोकस करने की जरूरत है। इन सेक्टर्स या इंडस्ट्रीज को लेकर मेरी बजट से निम्न उम्मीद हैं-
1. घर खरीदारों को प्रोत्साहन
रियल्टी सेक्टर रोजगार पैदा करने के साथ-साथ कई छोटे और मझोले उद्योगों को भी समर्थन करता है। आवासीय घरों या कमर्शियल प्रॉपर्टीज की मांग बढ़ने से अप्रत्यक्ष रूप से इसे जुड़े सबी सेक्टर को लाभ मिलेगा। अभी होम लोन की दरें काफी कम हैं, ऐसे में यह घर खरीदारों के लिए एक उपयुक्त समय है। होम लोन पर ब्याज का भुगतान या मूलधन चुकाने से जुड़े टैक्स लाभ की वर्तमान सीमा को क्रमश: 2 लाख रुपये और 1.5 लाख रुपये में 50,000 रुपये की और बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
2. घरेलू बचत को फाइनेंशियल एसेट्स में बदलने पर ध्यान दें
विकास को बढ़ावा देने के लिए, हमारी अर्थव्यवस्था को निवेश की जरूरत है। निवेश या तो FDI से आ सकता है या घरेलू बचत को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़कर। फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश की प्रक्रिया को आसान से आसान बनाई जानी चाहिए, जिससे कोई भी आसानी से निवेश कर सके। साथ ही सभी फाइनेंशियल एसेट्स के लिए एक सेंट्रलाइज्ड KYC प्रक्रिया होनी चाहिए। टैक्स सेविंग वाले म्यूचुअल फंड्स की सीमा को भी 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जाना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।
3. वित्तीय साक्षरता और पर्सनल फाइनेंस पर जोर
दुनिया की करीब 17 फीसदी आबादी भारत में रहती है, इसमें से 65 प्रतिशत आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है। लेकिन फिर भी यहां वित्तीय साक्षरता दर मात्र 24 प्रतिशत है। स्कूल में पर्सनल फाइनेंस एक ऐसा विषय होना चाहिए जो उन नागरिकों के लिए एक आधार बना सके जो बचत को निवेश में लगा सकते हैं और अपने लिए और अर्थव्यवस्था के लिए धन का सृजन कर सकते हैं। आगामी बजट में इस दिशा में नीतिगत दिशा-निर्देश स्वागत योग्य कदम होगा।
4. बैंकों की पहुंच से दूर रही आबादी को जोड़ने वाली फिनटेक कंपनियों को प्रोत्साहन देना
इस देश की एक बहुत बड़ी आबादी अभी भी बैंकिंग सेवाओं की पहुंच से दूर हैं। कई फिनटेक कंपनियां इन आबादी तक टेक्नोलॉजी और दूसरे टूल्स की मदद से पहुंच कर माइक्रोक्रेडिट और लेडिंग जैसी औपचारिक सेवाएं मुहैया करा रही हैं। यह फाइनेंशियल इंक्लूजन की दिशा में एक बड़ा काम कर रही हैं। इस सेक्टर के लिए टैक्स इनसेंटिव, फंड तक आसान पहुंच जैसे कदम स्वागत योग्य होंगे।
5. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? के लिए लॉक-इन अवधि कम करें
SGB को फिजिकल गोल्ड की खरीद की मांग को कम करने और घरेलू बचत को वित्तीय बचत में ट्रांसफर करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। इसकी लॉक-इन अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल करने और तीन साल बाद बाहर निकलने पर LTCG का लाभ उठाने से घरों शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? और व्यक्तियों के हाथ में पैसा वापस आ जाएगा। यह अर्थव्यवस्था में धन के संचलन को बढ़ाने में मदद करेगा जिससे अधिक खपत और निवेश होगा।
6. कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) हटाना
भारत फिजिकल गोल्ड सहित विभिन्न कमोडिटीज के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। ऐसे में इसके पास कीमतों को स्वीकार करने की जगह, उसे नए सिरे से तय करने की क्षमता है। कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) को लागू किए जाने के बाद एक्सचेंजों पर वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है और कई ट्रेडर्स ने अपना बेस दुबई जैसे अन्य स्थानों पर ट्रांसफर कर लिया है। बुलियन इंडेक्स, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स, डिलीवरी सेंटर्स और वेयरहाउसिंग फैसिलिटी और हाल ही में घोषित इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज सहित अब हमारे काफी अधिक वित्तीय साधन हैं। ऐसे में CTT को माफ करने से भारतीय बाजारों में पर्याप्त भागीदारी और वॉल्यूम आएगा और इससे मिलने वाला टैक्स, CTT को थोपने के बाद हुई आमदनी से कहीं अधिक होगा।
परचेजिंप पावर पैरिटी (PPP) के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर है और 7 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ रही है। देश में करीब 80 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और 65 पर्सेंट आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है। भारत अभी काफी अच्छे जगह पर खड़ा है। मुझे आशा है कि आगामी बजट भारत को आगे बढ़ने के लिए तैयार करने और आने वाले वर्षों में इसकी क्षमता को पूरी तरह से उजागर करने के लिए एक बजट होगा।
- यह लेख मनीकंट्रोल के लिए जयप्रकाश गुप्ता ने लिखा है, जो धन (Dhan) के फाउंडर हैं। जय को कैपिटल मार्केट में एक दशक से अधिक का अनुभव है।
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Tags: # Budget 2022
First Published: Jan 08, 2022 2:22 PM
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निफ्टी की 22% अर्निंग्स ग्रोथ का अनुमान दिखा रहा 2019 की गुलाबी पिक्चर
निफ्टी के लिए कंसेंसस EPS एस्टिमेट 681 का है, निफ्टी की इंक्रीमेंटल अर्निंग्स ग्रोथ का एक बड़ा हिस्सा महज 8 कंपनियों पर निर्भर है[ आशुतोष श्याम | .
सतर्कता जरूरी: निफ्टी के लिए कंसेंसस EPS एस्टिमेट 681 का है, निफ्टी की इंक्रीमेंटल अर्निंग्स ग्रोथ का एक बड़ा हिस्सा महज 8 कंपनियों पर निर्भर है
[ आशुतोष श्याम | ईटीआईजी ]
क्या शेयर बाजार कंपनियों के मुनाफे में ग्रोथ के बारे में बहुत ज्यादा उत्साह के साथ साल 2019 की ओर कदम बढ़ा रहा है? ब्लूमबर्ग कंसेंसस एस्टिमेट दिखा रहा है कि ब्रोकर्स साल 2019 में निफ्टी में शामिल कंपनियों का मुनाफा 22 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं। यह उम्मीद बहुत बड़ी दिख रही है क्योंकि साल 2011 से 2018 के बीच इन कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रही।
जितना अनुमान जताया जा रहा है, अर्निंग्स ग्रोथ अगर उतनी रही तो यह साल 2010 के बाद एक दशक में मुनाफे में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बन जाएगी। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, निफ्टी के लिए कंसेंसस ईपीएस साल 2018 के लिए 559 और साल 2019 के लिए 681 है।
हालांकि कुछ वजहें ऐसी हैं, जिन्हें देखते हुए निवेशकों को सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि अर्निंग्स ग्रोथ का सीधा संबंध अगले साल में मार्केट परफॉर्मेंस से होता है।
पहली बात तो यह है कि निफ्टी कंपनियों की इंक्रीमेंटल अर्निंग्स ग्रोथ का एक बड़ा हिस्सा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक सरीखे कॉरपोरेट बैंकों, तीन सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों, टाटा मोटर्स, वेदांता और भारती एयरटेल के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। मार्केट अनुमान लगा रहा है कि अगले साल इन आठ कंपनियों के प्रॉफिट में अच्छा-खासा उछाल आएगा।
यह अनुमान लगाने के पीछे कुछ उम्मीदों का हाथ है। यानी उम्मीद की जा रही है कि बैंकों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स में बढ़ोतरी का दौर खत्म हो जाएगा, जगुआर लैंड रोवर के मार्जिन और वॉल्यूम में सुधार होने से टाटा मोटर्स की अर्निंग्स ग्रोथ में स्टेबिलिटी आएगी और भारत एयरटेल को टेलीकॉम बाजार में कम होड़ का सामना करना पड़ेगा।
इन आठ कंपनियों के मुनाफे के मोर्चे पर किसी भी निराशा के चलते निफ्टी की अर्निंग्स ग्रोथ में काफी कमी आ सकती है।
दूसरी बात यह है कि निफ्टी कंपनियों की प्रोजेक्टेड अर्निंग्स ग्रोथ में साल 2010 से लगातार कमी की जा रही है और यह 5-9 प्रतिशत की रेंज में है। उदाहरण के लिए, फाइनेंशियल ईयर 2018 के लिए निफ्टी की अर्निंग्स ग्रोथ का अनुमान साल की शुरुआत के समय 14 प्रतिशत दिया गया था, लेकिन असल ग्रोथ इससे कहीं कम यानी 5 प्रतिशत की रही। फाइनेंशियल ईयर 2016 में तो बड़ा बदलाव दिखा, जब ग्रोथ 20 प्रतिशत रहने का अनुमान दिया गया था और असल आंकड़ा नेगेटिव 4 प्रतिशत का रहा। अर्निंग्स ग्रोथ का निफ्टी के वैल्यूएशन पर बड़ा असर पड़ता है। अर्निंग्स ग्रोथ में कमी से प्राइस अर्निंग्स मल्टिपल्स पर भी प्रभाव पड़ता है। निफ्टी अभी अगले साल की अनुमानित अर्निग्स के 17.1 गुने पर ट्रेड कर रहा है और इस तरह यह पांच साल के ऐवरेज से 5 प्रतिशत ऊपर है।
लिस्टिंग से पहले ही IPO प्राइस से ₹40 ऊपर पहुंचा शेयर, निवेशक ताबड़तोड़ लगा रहे दांव, बंपर लिस्टिंग की उम्मीद!
हिन्दुस्तान 05-11-2022 मिंट
Bikaji Foods IPO: बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक आफरिंग यानी आईपीओ (IPO) को जबरदस्त रिस्पाॅन्स मिल रहा है। दूसरे दिन इस इश्यू को पूरी तरह से सब्सक्राइब किया गया। वहीं, दूसरी तरफ शेयर बाजार में भी दो दिन की गिरावट के बाद शुक्रवार को बाजार में प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सप्ताह के कारोबारी सत्र के हाई लेवल पर पहुंच गए। बाजार जानकारों के अनुसार, बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल लिमिटेड के शेयर आज ग्रे मार्केट में ₹40 के प्रीमियम पर उपलब्ध हैं, जो इसके कल के ₹27 के प्रीमियम से ₹13 अधिक है।
Bikaji Foods IPO GMP
शेयर बाजार के जानकारों के अनुसार, बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी आज ₹40 है, जो इसके शुक्रवार के ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) ₹27 से ₹13 अधिक है। जानकारों की मानें तो बीकाजी फूड्स के आईपीओ जीएमपी में आज बढ़ोतरी दो प्रमुख कारणों से हो सकती है- शुक्रवार को दलाल स्ट्रीट पर ट्रेंड रिवर्सल और सब्सक्रिप्शन के दूसरे दिन पब्लिक इश्यू का पूरी तरह से सब्सक्राइब होना। एक्सपर्ट ने कहा कि अगर सोमवार को बाजार हाई पर खुलता है तो ग्रे मार्केट में इसका भाव और तेज हो सकता है। क्योंकि बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी एक बार सब्सक्रिप्शन खुलने से पहले ₹100 पर था।
जीएमपी का क्या मतलब है?
बाजार पर नजर रखने वालों का मानना है कि कि बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी आज 40 रुपये का है, जिसका मतलब है कि ग्रे मार्केट इस आईपीओ को लगभग 340 रुपये के स्तर (₹300 + ₹40) पर सूचीबद्ध होने की उम्मीद है। बता दें कि बीकाजी फूड्स के आईपीओ मूल्य बैंड से लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। इसका प्राइस बैंड ₹285 से ₹300 प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया था।
दो दिनों की बोली के बाद, बीकाजी फूड्स का आईपीओ सब्सक्रिप्शन स्टेटस बताता है कि ₹881.22 करोड़ के पब्लिक इश्यू को 1.48 गुना सब्सक्राइब किया गया है जबकि इसके रिटेल हिस्से को 2.33 गुना सब्सक्राइब किया गया है।
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महामारी के दौरान शिक्षा : कोविड-19 के समय संस्थाओं द्वारा अपनाई गई कार्यशैली
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dark cloud cover candlestick pattern in Hindi
dark cloud cover candlestick pattern in hindi: मित्रो आज में आपको डार्क क्लाउड कवर कैंडलस्टिक पैटर्न की जानकारी देने वाला हु| क्या आपको पता है की डार्क क्लाउड पैटर्न का मार्केट पर क्या प्रभाव पड़ता है| डार्क क्लाउड कवर एक मंदी को दर्शाने वाली कैंडलस्टिक पैटर्न है|
जब ये पैटर्न कैंडलस्टिक चार्ट पर बनती है तो आपको समज जाना चाहिए की अब मंदी की शुरुआत हो सकती है| लेकिन dark cloud कवर पैटर्न तब ज्यादा असर दिखाती है जब लम्बे बुलिश ट्रेंड के बाद चार्ट पर दिखे| dark cloud cover candlestick pattern in hindi आर्टिकल में अब इस कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में आपको डिटेल में जानकरी देता हु |
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dark cloud cover candlestick pattern in Hindi
मित्रो डार्क क्लाउड कवर कैंडलस्टिक पैटर्न एक बेरिश कैंडलस्टिक पैटर्न है| जब शेयर मार्केट में बहुत तेजी का ट्रेंड चल रहा हो और चार्ट पर ये कैंडल दिखे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए| क्यूंकि dark cloud कवर पैटर्न बनने के बाद पूरी संभावना होती है की मंदी की शुरुआत हो जाए|
dark cloud
डार्क क्लाउड कवर पैटर्न तब ज्यादा काम करती है जब ये बुलिश ट्रेंड के एंड में दिखे| डार्क क्लाउड कवर दो दिन की एक कैंडलस्टिक पैटर्न होती है| जिसमे पिछले दिन की कैंडल एक बुलिश कैंडल स्टिक पैटर्न होती है और अगले दिन की कैंडल एक बेरिश कैंडल होती है|
जब शेयर मार्केट में बुलिश ट्रेंड चल रहा होता है तब आपको एक बुलिश कैंडलस्टिक देखने को मिलती है| दुसरे दिन भी मार्केट ट्रेंड के हिसाब से गैप अप ही ओपन होता है| लेकिन दुसरे दिन मार्केट में तेजी टिक नहीं पाती है| ऊपर की तरफ से मार्केट में गिरावट देखने को मिलती है| अगले दिन की बेरिश कैंडल पिछले दिन की बुलिश कैंडल के आधे से भी ज्यादा हिस्से के निचे तक चली जाती है और निचे ही क्लोज देती है|
डार्क क्लाउड कवर की मुख्य विशेषता भी यही है की पहले दिन की बुलिश कैंडल के आधे हिस्से से, निचे की तरफ दुसरे दिन की बेरिश कैंडल क्लोज होनी चाहिए| तभी इसे हम डार्क क्लाउड कवर पैटर्न कह सकते है|
dark cloud cover candlestick pattern की विशेषताएं:
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न एक बेरिश कैंडलस्टिक पैटर्न है मतलब की ये मंदी को दर्शाने वाली कैंडल है|
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न तेजी के ट्रेंड के बाद दिखे तो सबसे ज्यादा अच्छा रिसल्ट देती है|
- दो दिन की कैंडल मिलके डार्क क्लाउड कवर कैंडलस्टिक पैटर्न बनती है|
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न में पहले दिन की कैंडल बुलिश होती है| जब की दुसरे दिन की कैंडल बेरिश होती है|
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न के दुसरे दिन की बेरिश कैंडल पहले दिन की बुलिश कैंडल के आधे हिस्से के निचे क्लोज होनी चाहिए|
- डार्क क्लाउड शेयर के प्राइस पर वॉल्यूम का क्या प्रभाव पड़ता है? कवर पैटर्न में आपको एक लॉन्ग बुलिश और एक लॉन्ग बेरिश कैंडल, या एक शोर्ट बुलिश के साथ शोर्ट बेरिश कैंडल का कॉम्बिनेशन देखने को मिल सकता है|
- डार्क क्लाउड पैटर्न का क्लोज हमेशा पहले दिन की बुलिश कैंडल के 50% के निचे ही होना चाहिए|
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न बनने के बाद अगर अगले दिन मार्केट गिरावट के साथ ओपन हो तो ये बेरिश ट्रेंड का कन्फर्मेशन है|
- डार्क क्लाउड कवर पैटर्न बनने के दिन जितना वॉल्यूम होता है उससे ज्यादा वॉल्यूम दुसरे दिन देखने को मिले तो बहुत अच्छा है|
dark cloud cover candlestick pattern को ट्रेड कैसे करे:
दोस्तों dark cloud cover candlestick pattern in hindi आर्टिकल में अब जानते है की आप इस कैंडल के आधार पर ट्रेडिंग कैसे कर सकते है| जब आपको डार्क क्लाउड कवर पैटर्न दिखे इसके बाद कन्फर्मेशन लेना जरुरी होता है| ये कैंडल दिखने के बाद दुसरे दिन अगर भारी वॉल्यूम के साथ बाजार में गिरावट दिखे तो आप को कन्फर्मेशन मिल जाता है|
आप डार्क क्लाउड कवर पैटर्न के आधार पर ट्रेड ले तो आपको पहले दिन की बुलिश कैंडलस्टिक के हाई का स्टॉप लोस लगाना जरुरी है| जब तक आपको कैंडलस्टिक चार्ट पर कोई बुलिश सिग्नल ना मिले तब तक आप अपनी पोजीशन को ओपन रख सकते है| मतलब की शोर्ट की पोजीशन में बने रहते है|
डार्क क्लाउड कवर मंदी को दर्शाती है इसलिए आपको शेयर बाजार में मंदी की पोजीशन बनानी होती है ना की तेजी की इस बात का हमेशा ख़याल रखे| अगर आपने मंदी की पोजीशन बनायी है और बुलिश कैंडल के हाई को पार करके बाजार ऊपर की तरफ चला जाए तो आपको अपनी पोजीशन क्लोज कर देनी होती है इस बात का ख़ास ध्यान रखे|
निष्कर्ष:
मित्रो अब आपको dark cloud cover candlestick pattern in hindi आर्टिकल में डार्क क्लाउड कवर पैटर्न के बारे में जानकारी मिल चुकी होगी| डार्क क्लाउड कवर पैटर्न मंदी को दर्शाने वाली कैंडलस्टिक पैटर्न है| जब शेयर मार्केट में तेजी का दौर चल रहा हो और चार्ट पर ये पैटर्न दिखे तो आपको सावचेत हो जाना चाहिए की अब मंदी की शुरुआत हो सकती है|
डार्क क्लाउड कवर पैटर्न तेजी के बाद दिखे तो बहुत अच्छा रिजल्ट देती है| आपको डार्क क्लाउड कवर पैटर्न बनने के बाद इस कैंडल का कन्फर्मेशन करना जरुरी होता है| इस कैंडल का कन्फर्मेशन ये होता है की डार्क क्लाउड कवर पैटर्न बनने के बाद दुसरे दिन मार्केट में गिरावट आनी जरुरी है|