टैक्स रिक्लेम क्या हैं?

1 फ़रवरी को बजट पेश होना है. काफ़ी लोगों की निगाहें टैक्स स्लैब पर होंगी. 'बचत' एक ऐसा मसला है जो हमेशा हमारी सोच का हिस्सा बना रहता है. तो आइए 'बजट 2022' सीरीज़ में आपको बताते हैं कि कैसे और किन टैक्स रिक्लेम क्या हैं? तरीक़ों से आप ज़्यादा से ज़्यादा टैक्स बचा सकते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस के लिए सेक्शन 80-डी के तहत कटौती
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी न केवल आपको मेडिकल एमरज़ेंसी से बचाती है, बल्कि कुछ टैक्स लाभ भी प्रदान करती है. इनकम टैक्स एक्ट - 1961 का सेक्शन 80-डी, आपको अपने मेडिकल इंश्योरेंस प्लान के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले अपनी टैक्स योग्य आय में से कुछ कटौती का लाभ उठाने की अनुमति देता है.
सेक्शन 80-डी के तहत प्रावधान
Section 80D offers tax exemptions to individuals as well as Hindu Undivided Families (HUF) from the total taxable income in lieu of the health insurance premium payment. An individual can avail these tax benefits if he/she is paying health insurance premiums for self, spouse, dependent parents or children.
Age based tax benefits
सेक्शन 80-डी के तहत, अगर कोई व्यक्ति खुद के लिए तथा अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर रहा है, तो वह अपनी टैक्स योग्य आय से रु. 25,000 तक की टैक्स कटौती प्राप्त कर सकता है. इसके अलावा, अगर 60 वर्ष से कम आयु वाले माता-पिता के लिए प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, तो पॉलिसीधारक को रु. 25,000 की अतिरिक्त टैक्स छूट मिल सकती है. अगर टैक्सपेयर के माता-पिता सीनियर सिटीज़न हैं, यानी 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं, तो अतिरिक्त टैक्स कटौती रु. 50,000 तक हो सकती है.
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वैसे तो न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में किए हुए इन्वेस्टमेंट को आप 80C के अंतर्गत दिखा सकते हैं , लेकिन अगर 80C में आपने पहले से ही डेढ़ लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट दिखा दिया है या फिर NPS को जोड़कर आपका इन्वेस्टमेंट डेढ़ लाख रुपए से ज़्यादा का हो जा रहा है तो आप -
(NPS) में किए गए 50,000 रुपए तक के निवेश को आप 80CCD (1B) में भी दिखा सकते हो .
यूं आप दो लाख रुपए तक की टैक्स सेविंग कर सकते हो .
# सेक्शन 80D-
इस सेक्शन में आप स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) के लिए दिए प्रीमियम का क्लेम कर सकते हैं. एक टैक्स पेयर की पारिवारिक स्थिति के आधार पर 25,000 से लेकर 1 लाख तक की राशि पर आप इनकम टैक्स बचा सकते हो.
इसके तहत, आपने जो एजुकेशन लोन लिया है, उसके ब्याज पर टैक्स बचत कर सकते हो. इसका फ़ायदा माता-पिता या ख़ुद स्टूडेंट, उठा सकते हैं.
# सेक्शन 24-
इसके तहत होम लोन के EMI में दिए ब्याज पर टैक्स बचा सकते हैं. इस सेक्शन के माध्यम से 2 लाख तक की इनकम पर आप टैक्स बचा सकते हैं.
पहली बार घर खरीदने वालों को होम लोन की EMI के ब्याज पर टैक्स टैक्स रिक्लेम क्या हैं? टैक्स रिक्लेम क्या हैं? में छूट मिलती है, सेक्शन 80 EE के तहत. अधिकतम छूट 50,000 रूपये तक की है. ये छूट सेक्शन 24 के 'ओवर एंड अबव', यानी उस छूट के ऊपर है. लेकिन इस कटौती का फ़ायदा उठाने के लिए ये ज़रूरी है कि आपके घर की कीमत 50 लाख से कम हो और लोन 35 लाख या उससे कम हो.
इक बंगला बने न्यारा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
# सेक्शन 80GG-
ये सेक्शन, घर के किराए के तौर पर जो पैसे आप खर्च करते हैं, उन पैसों पर आपके टैक्स को बचता है. लेकिन ये छूट तभी संभव है जब आप वेतनभोगी हैं, लेकिन आपको HRA नहीं मिलता है.
इसके माध्यम से एक वित्तीय वर्ष में 60,000 तक का लाभ उठाया जा सकता है. ये कटौती उन टैक्स पेयर के लिए नहीं है जो घर के मालिक हैं लेकिन उसी शहर में किराए के मकान में रहते हैं. इसका फ़ायदा उन टैक्स पेयर द्वारा भी नहीं लिया जा टैक्स रिक्लेम क्या हैं? सकता है जिनका किसी दूसरे शहर में घर है और उस घर पर होम लोन के ब्याज की अदायगी के लिए धारा 24 के तहत कर कटौती का दावा कर रहे हैं.
सेक्शन 80TTA के तहत बचत खाते में मिले इंट्रेस्ट पर आप टैक्स बचा सकते हैं. सभी टैक्स पेयर और हिंदू अन डिवाईडेड फ़ैमिली के लोग 80TTA के तहत 10,000 तक के अमाउंट पर टैक्स बचा सकते हैं. ये सीमा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए 50,000 तक है.<
इन गलतियों से बचें, टैक्स रिफंड में नहीं होगा विलंब
कुछ लोग इनकम टैक्स रिटर्न तो फाइल करते हैं, लेकिन इसमें गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उनके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ जाता है या इनकम टैक्स रिफंड अटक जाता है। मिसाल के तौर पर टैक्सपेयर गलत आइटीआर फॉर्म का चुनाव कर सकते हैं। किसी आमदनी की गलत रिपोर्टिंग कर सकते हैं आदि। ऐसी किसी भी गलती से इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।
कुछ लोग इनकम टैक्स रिटर्न तो फाइल करते हैं, लेकिन इसमें गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उनके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ जाता है या इनकम टैक्स रिफंड अटक जाता है। मिसाल के तौर पर टैक्सपेयर गलत आइटीआर फॉर्म का चुनाव कर सकते हैं। किसी आमदनी की गलत रिपोर्टिंग कर सकते हैं आदि। ऐसी किसी भी गलती से इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।
Income Tax Rule : ITR को लेकर सरकार ने किया ये छोटा सा बदलाव, सरकार को झट से हुआ 400 करोड़ से भी ज्यादा का फायदा
ITR को लेकर सरकार अक्सर नए नियम बनती रहती है और बदलाव करती रहती है , हाल ही में सरकार ने एक बिलकुल छोटा सा बदलाव किया है जिससे एक ही झटके में 400 करोड़ से भी ज्यादा का फायदा हुआ है। क्या है ये बदलाव, आइये जनते हैं।
HR Breaking News, New Delhi : इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR File) करते समय कई बार आयकरदाताओं से गलतियां हो जाती हैं. लेकिन पिछले दिनों सरकार ने अपडेटेड आईटीआर (ITR) की सुविधा शुरू की. इसके परिणाम चौंकाने वाले आए और सरकार को पूरे 400 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. पिछले दिनों टैक्स पेयर्स के लिए सरकार ने उनके टैक्स रिटर्न (Tax Return) को अपडेट करने की सुविधा दी थी.
इस सरकारी योजना पर मिल रहा है सबसे ज्यादा ब्याज, इनकम टैक्स से भी मिलेगी छूट
भारत में बेटी के जन्म के साथ ही माता-पिता को उसकी पढ़ाई और शादी की चिंता सताने लगती है, जिसकी वजह से परिजन बेटी टैक्स रिक्लेम क्या हैं? के नाम पर बैंक में पैसे जमा करना शुरू कर देते हैं। लेकिन बैंक में सेविंग्स अकाउंट पर इतना ज्यादा ब्याज नहीं मिलता है, जिसकी वजह से लंबे समय तक पैसा जमा करने पर भी लाभ नहीं होता है।
ऐसे में अगर आप सही जगह पर पैसे निवेश करना चाहते हैं, तो आप अपने बेटी के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना के तहत बैंक में खाता खुलवा सकते हैं। यह एक ऐसी योजना है, जिसमें पैसा निवेश करने पर सबसे ज्यादा ब्याज मिलता है जबकि अभिभावक को टैक्स रिक्लेम क्या हैं? बेटी की उच्च शिक्षा व शादी को लेकर कोई परेशानी भी नहीं उठानी पड़ती है।
टैक्स रिक्लेम क्या हैं?
क्या है सुकन्या समृद्धि योजना?
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना के तहत माता-पिता 10 साल से कम उम्र की बच्ची के नाम पर किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाता खुलवा सकते हैं, जिसमें वह हर महीने अपनी इच्छा के अनुसार पैसा निवेश कर सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत एक घर की 2 बेटियों के नाम पर खाता खुलावाया जा सकता है, जिसमें सालाना 7.टैक्स रिक्लेम क्या हैं? 6 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है।
इस योजना के तहत माता-पिता एक वित्त वर्ष में कम से कम 250 रुपए और अधिकतम 1.2 लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं, जबकि खाते में जमा की जाने वाली राशि को एकमुश्त या फिर हर महीने के किश्ते के रूप में जमा किया जा सकता है। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत पैसा निवेश करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जमा की गई राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
मैच्योरिटी से पहले निकाल सकते हैं पैसा
इस योजना के तहत जमा किए गए पैसे बच्ची के नाम पर अकाउंट खोलने के 21 साल बाद मैच्योर हो जाते हैं, जिसे आप अपनी सुविधानुसार बैंक से निकाल कर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा अगर बेटी की उम्र 18 साल हो जाती है और माता-पिता उसकी शादी करना चाहते हैं, तो उस स्थिति में भी योजना के तहत जमा किए गए पैसों को निकाला जा सकता है।
सुकन्या समृद्धि योजना के तहत अकाउंट खोलने के 5 साल बाद पैसे निकाले जा सकते हैं, यानी इस योजना का लाभ उठाने के लिए अभिभावक को मैच्योरिटी तक का इंतजार करने की जरूरत नहीं होती है। वहीं खातेदार की मृत्यु हो जाने या फिर उसे गंभीर बीमारी हो जाने की स्थिति में भी मैच्योरिटी से पहले अकाउंट से पैसा निकालने का सुविधा उपलब्ध है।