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अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें

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बता दें कि आरबीआई को अपने रिजर्व में 600 बिलियन डॉलर रखने होते हैं. पिछले साल सितंबर 2021 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 642.51 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जिसके बाद से इसमें लगातार गिरावट हो रही है. रिजर्व बैंक के अनुसार 29 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर गिरकर 597.73 अरब डॉलर रह गया है.

RupeeVsDollar: डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया, आम आदमी-अर्थव्यवस्था पर क्या असर?

ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय

विशेषकर विदेशी यात्रा का एक अलग ही रोमांच होता है। यह रोमांच चाहे भ्रमण के लिए हो या व्यापार के लिए हो, विदेशी मुद्रा का विनिमय और उससे जुड़ी परेशानियाँ एक जैसी ही होती हैं। लेकिन जब आप इस ट्रिप से वापस आ जाते हैं तब बची हुई विदेशी मुद्रा को आप बेचने का प्रयास करते हैं।

अधितर स्थितियों में विदेश अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें यात्रा पर जाने वाले अपने साथ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए थोड़ी एक्स्ट्रा विदेशी मुद्रा ले कर जाते हैं। क्यूंकी वे जानते हैं कि विदेशी मुद्रा को विदेशी धरती पर खरीदना महंगा और समय लगाने वाला होता है। इसलिए देर से सुरक्षा भली वाला नियम यहाँ भी लागू होता है और जरूरत से थोड़ी अधिक विदेशी करेंसी अपने साथ लेकर जाएँ और किसी भी अनदेखी परेशानी से बचें। ट्रिप से वापस आने के बाद अगर आप अपनी बची हुई विदेशी मुद्रा का विक्रय नहीं करते हैं तो वह आपके लिए मृत धन के समान है। कुछ लोग यह काम इसलिए भी नहीं कर पाते हैं कि वे ऑनलाइन विक्रय या एजेंट के माध्यम से विक्रय में से उपयुक्त माध्यम का चयन नहीं कर पाते हैं। थॉमस कुक के पास आपकी हर समस्या का हल है। फिर भी यदि आप अपनी अनुपयोगी विदेशी मुद्रा को ट्रिप कि यादगार बना कर, किसी डर के कारण या ठीक जानकारी न होने के कारण अपने पास रखना चाहते हैं तो इस्क्में कोई समझदारी नहीं है।

दो साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद अब बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार, स्वर्ण भंडार में दर्ज हुई बढ़त

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है, लेकिन नए साल में शुरुआत में 2 बार दर्ज की गई बढ़त के बाद इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी। वहीँ, अब इसमें सालभर की गिरावट के बाद अब कुछ राहत देखने को मिल रही है। हालांकि, स्वर्ण भंडार में बीच-बीच में भी कई बार बढ़त देखने को मिली, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें में लगातार गिरावट ही दर्ज की गई, लेकिन इस बार आंकड़े उलट नजर आए हैं। क्योंकि, इस बार दोनों में बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से हुआ है।

विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 अरब डॉलर की कमी, जानें क्या है वजह

Forex

कोटक सिक्योरिटीज में डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (टेक्‍न‍िकल र‍िसर्च) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, "जहां डॉलर की कीमतों में तेज बढ़त दर्ज की गई. वहीं, अन्य मुद्राएं कमोबेश अपने पिछले स्तर पर यथावत रहीं. चूंकि विदेशी मुद्रा भंडार का अंतिम वैलुएशन डॉलर में होता है. लि‍हाजा, अन्‍य प्रमुख मुद्राओं की कीमत घटने से कुल अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें एसेट में कमी आई."

इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.36 अरब डॉलर बढ़कर 420.05 अरब डॉलर हो गया था. समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) 2.03 अरब डॉलर घटकर 390.19 अरब डॉलर रह गईं.

विदेशी मुद्रा भंडार में FCA का हिस्सा सबसे बड़ा होता है. FCA को डॉलर में व्यक्त किया जाता है. मुद्रा भंडार में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की कीमत बढ़ने/घटने का इस पर असर पड़ता है.

RBI क्यों कर रहा डॉलर की रिकॉर्डतोड़ बिक्री, महंगाई से इसका क्या है कनेक्शन?

RBI क्यों कर रहा डॉलर की रिकॉर्डतोड़ बिक्री, महंगाई से इसका क्या है कनेक्शन?

भारत में लगातार गिरते रुपये (Rupee Falling) और मजबूत होते डॉलर (Dollar) के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार, 17 मई को बताया कि रुपये को मजबूत अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें बनाने के लिए मार्च में 20.1 बिलियन डॉलर विदेशी अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें मुद्रा बाजार में बेचे गए हैं. यानि 20 अरब डॉलर.

लेकिन डॉलर बेचने से रुपये को कैसे मजबूती मिलती है, ये समझते हैं.

पहले समझिए रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

लगातार गिरते रुपये का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध है जिसके अभी और लंबा चलने की आशंका है. इसके अलावा अमेरिका की फेडरल बैंक जो ब्याज दरें बढ़ा रहा है, उससे ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती आने का डर भी एक वजह बना है. क्रूड आयल की कीमतों में भी उछाल है ही.

इसके अलावा विदेशी निवेशक भारत के बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिसकी वजह से भी डॉलर की डीमांड बढ़ रही है और परिणामस्वरूप रुपया कमजोर हो रहा है.

डॉलर बेचने से कैसे मजबूत हो सकता है रुपया?

केंद्रीय बैंक के पास बैंकिंग सिस्टम पर ध्यान रखने के अलावा महंगाई को नियंत्रण करने या बाजार में लिक्विडिटी मैनेज (करंसी सप्लाय) करने की जिम्मेदारी भी होती है. लिक्विडिटी मैनेजमेंट का मतलब ये है कि बाजार में कितनी नगदी होगी. रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूती देने के लिए आरबीआई स्पॉट मार्केट में डॉलर्स की बिक्री करती है. इस प्रक्रिया को डॉलर-रुपी स्वाप (Dollar-Rupee Swap) कहते हैं. नाम से ही मतलब साफ समझ आ रहा है. बाजार से भारी मात्रा में रुपया वापस लेकर डॉलर की सप्लाय करना.

आरबीआई इस प्रक्रिया के तहत डॉलर को भारतीय स्पॉट मार्केट में बेचता है. स्पॉट मार्केट वो व्यवस्था है जहां फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट, करंसी को ट्रेड किया जाता है. स्पॉट मार्केट में जो भी ट्रेड होता है उसकी डिलिवरी भी जल्द से जल्द की जाती है. और यहां जिस दिन ट्रेड होता है उस दिन के प्राइस पर सेटलमेंट किया जाता है. RBI ये कदम 2008 में भी उठा चुका है.

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