आईपीओ या स्टॉक

'प्रोस्पेक्टस निर्देश' की जानकारी 'सेबी' या 'आईपीओ' का प्रबंधन करने वाली कंपनियों की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। इसे पढ़ा जाना चाहिए।
IPO Kya Hota Hai | आईपीओ कैसे खरीदें
आईपीओ (IPO) का पूरा नाम है- प्रथम जन प्रस्ताव (Initial Public Offering) हैं | जब एक कंपनी पहली बार अपने शेयर को जनता के उपलब्ध करवाती हैं तो वह शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं तो उसे आईपीओ कहते हैं. लिमिटेड कंपनियों द्वारा IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर या निवेश बाजार में सूचीबद्ध हो सके, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद और बिक्री शेयर बाजार में हो पाती है | आईपीओ या स्टॉक कंपनी अपना निवेश या विस्तार करने की हालत में फण्ड इकट्ठा करने के लिए आईपीओ (IPO) जारी करती है |
एक निजी कंपनी अपने शेयर लोगो बेचती है जो लोग शेयर खरीद कर कंपनी के शेयरधारक बन जाते है। इस प्रकर कोई कंपनी अपने शेयरों का व्यापार करने लग जाती है और अब निजी कम्पनी पर सार्वजनिक रूप से शेयरधारकों का स्वामित्व भी हो जाता है । आईपीओ (IPO) के जरिए कंपनी अपना नाम स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज कराती है।
आईपीओ (IPO ) दो प्रकार के होते है
निर्धारित मूल्य आईपीओ (Fixed Price IPO) –
निर्धारित मूल्य IPO को जारी मूल्य के रूप में संदर्भित किया जा सकता है जो कुछ कंपनियां अपने शेयरों की शुरूआती बिक्री के लिए निर्धारित करती हैं | निवेशकों को उस कंपनी के शेयरों की कीमत के बारे में पता चलता है जिन्हें वह कंपनी सार्वजनिक करने का फैसला करती है | इश्यू बंद होने के बाद बाजार में शेयरों की मांग (demands) का पता लगाया जा सकता है | यदि निवेशक इस IPO में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आवेदन करते समय वो शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान करें |
बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)
बुक बिल्डिंग आईपीओ के मामले में IPO शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों को शेयरों पर 20% मूल्य का बैंड प्रदान करती है | इच्छुक निवेशक अंतिम कीमत तय होने से पहले शेयरों पर आईपीओ या स्टॉक बोली लगाते हैं | और यहां निवेशकों को उन शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है जिन्हें वो खरीदना चाहते हैं और वह राशि जो वे प्रति शेयर भुगतान करने को तैयार हैं |
आईपीओ में निवेश कैसे करें
अपनी तरफ से रिसर्च करें, जितना अच्छे से हो सके उतना करे |
आईपीओ (IPO ) में किसी के बोलने पर निवेश न करें, क्योंकि आपका जानकार या दोस्त ऐसा कह रहा है। आपको अपने स्तर पर भी उस आईपीओ के बारे में रिसर्च करना होगा। इसमें शामिल हो सकते हैं |
– लिस्टेड होने वाली कंपनी द्वारा को सार्वजनिक किए गए फ़ाइनेंशियल डेटा की जाँच करें। जो नंबर और डेटा कंपनी सार्वजानिक करती है वो आंकड़े सीमित और ज्यादातर कंपनी के द्वारा पक्षपात पूर्ण होते हैं।
– चूँकि, इस प्रकार के डाटा का किसी थर्ड-पार्टी द्वारा ऑडिटर नहीं किया जाता है, इसलिए इन पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता।
– फिर भी, कुछ ऐसे आकड़े होते हैं जो आपको कंपनी के पिछले कुछ वर्षों के स्थिति को बताएगा। PE Ratio, EPS, NAV जैसे मेट्रिक्स की सहायता ले सकते हैं।
– इसके अलावा, आप Google पर जाएं, कंपनी का नाम टाइप करें और “News” टैब पर जाएं। यहां आप इस कंपनी के नवीनतम मीडिया आईपीओ या स्टॉक रिलीज देख सकते हैं। आप पहले देख पाएंगे कि यह कंपनी न्यूज़ में क्यों है।
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आईपीओ (IPO) का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” होता है, इसका हिंदी में उच्चारण “इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स” होता है | इसका हिंदी में अर्थ “प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव” होता है | जिसका प्रयोग शेयर बाजार में प्रमुख भूमिका होती है |
आईपीओ का क्या मतलब है
आईपीओ (IPO), वह प्रक्रिया है, जब कोई कंपनी, फर्स्ट टाइम आईपीओ या स्टॉक अपने शेयरों को पब्लिक या सामान्य जनता के समक्ष खरीदने की पेशकश रखता है। इसी वजह से इसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offering) कहते है। यही प्रक्रिया IPO होती हैं।
साधारणत: प्राइवेट कंपनियां या कॉर्पोरेशन कंपनियां, कम्पनी के लिए बडी मात्रा में पूंजी एकत्र करने के लिए आईपीओ की सुविधा पेश की जाती हैं। कई क्षेत्रों में सरकारी कंपनियां भी विनिवेश (disinvestment) के द्वारा पूंजी एकत्रित करने के लिए आईपीओ (IPO) लाती हैं। विनिवेश के प्रोसेस में, शेयर मार्केट के द्वारा, कोई – कोई सरकारी कम्पनिया अपनी कुछ हिस्सेदारी, लोगों को भी बेचती है | कंपनी बाज़ार से पूँजी इक्कठा कर अपने बिज़नेस में एक्सपेंशन करती है और ज्यादा मुनाफा कमाकर अपने शेयर धारको के बीच बाटती है | इससे कंपनी और कंपनी में निवेश करने वाले निवेशक को भी लाभ मिलता है |
आईपीओ (IPO) की कीमत तय की प्रक्रिया
- प्राइस बैंड (Price Band) |
- दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू (Fixed price Issue)।
जिन कंपनियों को आईपीओ (IPO) लाने की अनुमति प्राप्त हो जाती है तो उसे अपने सभी शेयरों की कीमत तय करने का अधिकार होता हैं | इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुछ अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी (SEBI) और बैंकों को रिजर्व बैंक (RBI) से अनुमति लेना जरूरी होता है | भारत में 20 फीसदी प्राइस बैंड की ही अनुमति प्रदान की गई है |
विश्लेषण: आईपीओ क्या है? इसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को क्या करना चाहिए?
चालू वर्ष में 100 से अधिक छोटी और बड़ी कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राथमिक बाजार में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से 100 से अधिक छोटी और बड़ी कंपनियों ने चालू वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में शुरुआती शेयर बेचने वाली कंपनियां मुख्य रूप से तकनीक पर आधारित थीं। सच है, कुछ कंपनियों ने निवेशकों की धारणा को दोगुना कर दिया है, लेकिन यह अल्पकालिक रहा है। इस संदर्भ में, आइए जानें कि प्रारंभिक स्टॉक बिक्री क्या है, और स्टॉक में निवेश करते समय निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्रोमोटर्स को जानिए
कंपनी को चलाने वाले लोगों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें फर्म के प्रोमोटर्स और मैनेजमेंट में अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी शामिल होते हैं। क्योंकि यह व्यक्ति कंपनी के लिए ड्राइविंग फोर्स हैं, इसलिए विकास की संभावनाएं उनकी सही कारोबारी निर्णय लेने की आईपीओ या स्टॉक योग्यता पर निर्भर करती हैं। निवेशकों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि महत्वपूर्ण मैनेजमेंट अधिकारियों द्वारा कितने समय उस कंपनी में बिताया गया है।
विभिन्न ग्रोथ ड्राईवर्स में कंपनी जिस सेक्टर में काम करती हैं, उसमें इसकी पोजिशन क्या है, इसका मार्केट शेयर कितना है, इसके उत्पादों की एक्सेसिबिलिटी और विजिबिलिटी कितनी है, भौगोलिक विस्तार कितना है, विस्तार योजनाएं क्या हैं, अनुमानित प्रोफिटेबिलिटी, आपूर्ति सीरीज, संकट को झेलने की क्षमता और कार्यकुशलता जैसे फेक्टर्स से भावी कारोबारी की संभावनाओं को निर्धारित किया जाता है।
जोखिम फैक्टर्स
कंपनी द्वारा अपने डीआरएचपी में बताए गए जोखिम फैक्टर्स पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ये फिल्टर्स की तरह काम करते हैं और जब बात आईपीओ में निवेश करने की आती है, तो इन्हीं के आधार पर तय किया जाता है कि क्या आईपीओ में निवेश किया जाए अथवा नहीं। कानूनी मुकदमेबाजी से लेकर मौसमी की आपदाएं और ब्याज दरों में नीतिगत परिवर्तन आदि अनेक जोखिम फैक्टर्स हो सकते हैं, जो कंपनी की भावी विकास संभावनाओं को बाधित कर सकते हैं।
अंत में
किसी अन्य निवेश की ही आईपीओ या स्टॉक तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का मूल्यांकन करें। आपको अपनी जोखिम को उठाने की क्षमता के अनुसार ही निवेश करना चाहिए। यदि बाजार आईपीओ या स्टॉक में भागीदारी करने वालों के अनुसार कारोबार बहुत अधिक जोखिम भरा लगता है, और आपकी जोखिम को उठाने की योग्यता से मेल नहीं करता है, तो आईपीओ में निवेश करने से बचना ही बेहतर होगा। इसके अलावा, ऑफर की जाने वाली वैल्यूएशंस, विकास की संभावनाओं से मेल नहीं करती हैं, तो आपको इससे बचना चाहिए।
किसे कहते हैं आईपीओ, कैसे होता है निवेश, किन बातों का रखें का ध्यान, जानिए यहां
कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। (Photo By Financial Express Archive)
इस मानसून भारत में आईपीओ आईपीओ या स्टॉक की बारिश हो रही है। पिछले सात महीनों में 40 आईपीओ पहले ही आ चुके हैं। वहीं कई आईपीओ कतार में लगे हुए हैं। जबकि पूरे 2020 में 33 और 2019 में 49 आईपीओ आए थे। कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। जिससे निवेशकों को भी कमाई करने का भरपूर मौका मिलेगा। पहले यह समझना काफी जरूरी है कि आखिर आईपीओ है क्या और यह काम कैसे करता है। साथ ही निवेशकों को आईपीओ में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना काफी जरूरी है।