सबसे कम ब्रोकरेज कौन लेता है

कम पैसे कमाने वालों के लिए खास LIC पॉलिसी, रोज 28 रुपये खर्च कर मिलेगा 2 लाख का कवर, लोन बेनिफिट और कई फायदे
अगर आपकी कमाई कम है और फिर भी आप LIC की किसी प्लान को खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है। आज हम आपको भारतीय जीवन बीमा निगम की माइक्रो बचत बीमा योजना (Micro Bachat Insurance.
अगर आपकी कमाई कम है और फिर भी आप LIC की किसी प्लान को खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है। आज हम आपको भारतीय जीवन बीमा निगम की माइक्रो बचत बीमा योजना (Micro Bachat Insurance Policy) के बारे में बता रहे हैं जो खास लो इनकम ग्रुप वाले लोगों के लिए बनाई गई है। आइए जानते हैं इस प्लान के बारे में सबकुछ..
कौन ले सकता है प्लान?
यह बीमा सिर्फ 18 से 55 साल तक की उम्र वालों को मिलेगा। इसके तहत किसी तरह की मेडिकल जांच की जरूरत नहीं होगी। अगर कोई 3 साल तक लगातार प्रीमियम भरता है तो उसके बाद प्रीमियम नहीं भर पाता है तो उसे 6 महीने तक बीमा की सुविधा जारी रहेगी। अगर ये प्रीमियम पॉलिसी होल्डर 5 साल तक भरता है तो उसे 2 साल का ऑटो कवर मिलेगा। इस प्लान की संख्या 851 है।
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कितने साल का है पॉलिसी टर्म?
माइक्रो बचत इंश्योरेंस प्लान का पॉलिसी टर्म 10 से 15 साल का होगा। इस प्लान में सालाना, अर्धवार्षिक, तिमाही और मासिक आधार पर प्रीमियम भर सकते हैं। इसमें सबसे कम ब्रोकरेज कौन लेता है आपको एलआईसी के एक्सीडेंटल राइडर जोड़ने की सुविधा भी मिलेगी। हालांकि इसके लिए आपको अलग से प्रीमियम देना होगा।
माइक्रो बचत बीमा योजना के फायदे
LIC का ये माइक्रो इंश्योरेंस प्लान काफी फायदेमंद क्योंकि ये प्लान प्रोटेक्शन और सेविंग का कॉम्बीनेशन है। यह प्लान आकस्मिक मौत होने पर परिवार को फाइनेंशियल सपोर्ट देगा। साथ ही पॉलिसी के मैच्चोयर होने पर एकमुश्त राशि प्रदान करेगा। नीचे जानिए अन्य फायदे:
2 लाख का इंश्योरेंस
इसके पॉलिसी तहत 18 साल की उम्र वाला कोई व्यक्ति अगर 15 साल वाला प्लान लेता है तो उसे प्रति हजार 51.5 रुपये प्रीमियम देना होगा। वहीं 25 साल वाले को इसी अवधि के लिए 51.60 रुपये और 35 साल वाले को 52.20 रुपये प्रीमियम प्रति हजार रुपये देना होगा। 10 साल के प्लान में प्रीमियम 85.45 से 91.9 रुपये प्रति हजार रुपए होगा। प्रीमियम में 2 फीसदी की छूट भी मिलेगी। अगर कोई 35 साल का व्यक्ति 1 लाख रुपये के सम अश्योर्ड वाली 15 साल की पॉलिसी लेता है तो उसका सालाना प्रीमियम 5116 रुपये आएगा। चालू पॉलिसी में 70 फीसदी तक रकम का लोन मिलेगा। वहीं चुकता पॉलिसी में 60 फीसदी तक रकम के सबसे कम ब्रोकरेज कौन लेता है लिए लोन की पात्रता होगी।
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पॉलिसी पर मिलती है लोन की सुविधा
माइक्रो बचत नाम के इस रेगुलर प्रीमियम वाले प्लान में कई तरह के फीचर्स हैं। इस इंश्योरेंस प्लान में 50 हजार रुपये से 2 लाख तक का बीमा मिलेगा। ये नॉन लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान है। इस प्लान के तहत पॉलिसी में लॉयल्टी का फायदा भी मिलेगा। अगर किसी ने 3 साल तक प्रीमियम दिया है तो उसको माइक्रो बचत प्लान में लोन की सुविधा भी मिलेगी।
80C के तहत मिलती है टैक्स छूट
ये एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी है इसलिए आपको प्रीमियम भुगतान पर सेक्शन 80 सी के तहत इनकम टैक्स की छूट मिलेगी।
28 रुपये रोज खर्च करने का गणित
अगर किसी 35 वर्ष के व्यक्ति ने अगले 15 सालों के लिए इस पॉलिसी को लिया है तो उसे सालाना 52.20 रुपए (1 हजार रुपए बीमित राशि पर) प्रीमियम जमा करना होगा। इसी तरह यदि कोई 2 लाख रुपए की बीमित राशि लेता है तो उसे सालाना 52.20 x 100 x 2 यानी 10,300 जमा करना होंगे। यानी रोजाना 28 रुपए और महीने में 840 रुपए का प्रीमियम जमा करना होगा।
जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा
शेयर बाजार में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यहां पर पारंपरिक निवेश की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी होता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: आशुतोष वर्मा
Updated on: Jul 22, 2021 | 10:32 AM
अब आम आदमी भी शेयर बाजार में निवेश कर ज्यादा रिटर्न पाने में रुचि दिखा रहा है. यही कारण है कि बीते एक साल में रिकॉर्ड संख्या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. पिछले महीने तक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 6.9 करोड़ डीमैट अकांउट्स हैं. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले आबादी के लिहाज से यह अनुपात अभी भी बहुत कम है. भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा पैसा महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के लोग लगाते हैं. लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार से लेकर मिज़ोरम तक के लोग शेयर बाजार से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सबसे पहली जरूरत डीमैट अकाउंट की होती है. इसी अकाउंट में शेयर्स, ईटीएफ, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखा जाता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज एनसडीएल और सीडीएसल के साथ खोला जा सकता है. देश में कई स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां हैं, जो लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती हैं. स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां ही इस सुविधा को आम आदमी तक पहुंचाती हैं. इस सुविधा के बदले ये ब्रोकरेज फर्म्स छोटी फीस वसूलते हैं.
इस बात की भी संभावना है कि आप ये ब्रोकरेज फर्म्स ही किन्हीं कारणों से बंद हो जाए. ऐसी स्थिति में क्या आपका निवेश पूरी तरह से डूब जाएगा? कहीं स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी आपका पूरा पैसा लेकर तो नहीं भाग जाएगी? एक निवेशक के तौर पर आपके मन में जरूर इस तरह के सवाल उठ रहे होंगे. लेकिन अब आपको इसकी चिंता नहीं करनी हैं. क्योंकि हम आपको इस तरह के सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं.
ब्रोकरेज कंपनी बंद होने पर आपके निवेश का क्या होगा?
आप यह जानकार राहत की सांस ले सकते हैं कि स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के डिफॉल्ट करने या बंद होने के बाद भी आपकी पूंजी या फंड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि स्टॉक ब्रोकर आपकी पूंजी लेकर भाग जाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो जब हर्षद मेहता स्कैम सामने आया था, तब उनकी ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट को सेबी ने बैन कर दिया था. लेकिन इस कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ.
आपको सबसे सबसे कम ब्रोकरेज कौन लेता है पहले यह समझने की जरूरत कि ये स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां महज एक बिचौलिए के तौर पर काम करती हैं. आपके फंड पर इनकी पहुंच सीधे तौर पर नहीं होती है ताकि वे आपकी पूंजी पर अपना हम जमा सकें. लेकिन इनके पास पड़ी अपनी फंड या पूंजी को इस्तेमाल करने के लिए आप इन्हें निर्देश दे सकते हैं.
स्टॉक्स और शेयरों का क्या होगा?
आपका फंड डीमैट अकाउंट में जमा होता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज के पास खुलात है. सेबी ने दो डिपॉजिटरीज – नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (CDSL) को मंजूरी दी है. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रति सेबी की जवाबदेही होती है.
किसी भी समय पर एक निवेशक का स्टॉक या शेयर ब्रोकरेज फर्म्स के पास नहीं होता है. वे बस एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करते हैं. इनका काम बस आपके निर्देश के हिसाब से आपकी जगह ट्रेड करना है. बदले में ये आपसे फीस वसूलते हैं.
इसी प्रकार आपका म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास होता है. ऐसे में अगर ब्रोकरेज फर्म बंद भी हो जाता है तो आपका म्यूचुअल फंड सुरक्षित रहेगा.
डीमैट अकाउंट की KYC कराने के बचे हैं बस 8 दिन, बिना केवाईसी नहीं कर पाएंगे शेयर ट्रेडिंग
एक जुलाई से बिना केवाईसी वाले डीमैट अकाउंट निष्क्रिय हो जाएंगे.
एक जुलाई से बिना केवाईसी (KYC) वाले डीमैट अकाउंट (Demat Account) निष्क्रिय हो जाएंगे. इससे आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड न . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 23, 2022, 08:51 IST
नई दिल्ली. अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में ट्रेडिंग करते हैं तो यह खबर आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है. शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए जरूरी डीमैट अकाउंट (Demat Account KYC) की केवाईसी कराने के अब बस 8 दिन बचे हैं. अगर आप इन आठ दिनों में अपने डीमैट अकाउंट की केवाईसी नहीं कराते हैं तो आपका अकाउंट निष्क्रिय हो जाएगा और आप इससे किसी भी तरह का लेन-देन नहीं सबसे कम ब्रोकरेज कौन लेता है कर पाएंगे. इससे आपकी ट्रांजेक्शन फंस जाएगी और आपको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के नए नियमों के अनुसार अगर आपका डीमैट अकाउंट है तो आपको 30 जून 2022 तक उसकी KYC करनी होगी. एक जुलाई से बिना केवाईसी वाले डीमैट अकाउंट निष्क्रिय हो जाएंगे. इससे आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं कर पाएंगे. अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी का शेयर खरीद भी लेता है तो ये शेयर्स अकाउंट तक ट्रांसफर नहीं हो सकेंगे. KYC पूरा होने और वैरिफाई होने के बाद ही यह ट्रांजेक्शन पूरा होगा. पहले डीमैट अकाउंट की केवाईसी कराने के लिए अंतिम तिथि 31 मार्च 2022 थी. बाद में इसे बढ़ाकर 31 जून कर दिया गया था. सेबी ने साफ कर दिया है कि डीमैट अकाउंट की केवाईसी के लिए 30 जून के बाद आगे और समय नहीं दिया जाएगा.
कौन-कौन सी जानकारियां देनी होंगी?
KYC कराने के लिए डीमैट अकाउंट होल्डर्स को 6 अहम जानकारियां शेयर करनी होंगी. इनमें आपका नाम, पैन कार्ड नंबर, पता (एड्रेस), मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और इनकम रेंज शामिल हैं. वो निवेशक, जो कस्टोडियन सर्विसेज इस्तेमाल कर रहे हैं उनके लिए कस्टोडियन डिटेल्स देना भी जरूरी है. अगर डेडलाइन तक ये सभी जानकारी अपडेट नहीं होती हैं तो निवेशक का एक्सचेंज ट्रेड अकाउंट भी सस्पेंड हो जाएगा.
कैसे करें KYC?
डीमैट अकाउंट को डीएक्टिव होने से रोकने के लिए स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइट्स को यानी डीमैट ट्रेडिंग अकाउंट होल्डर्स को KYC कराने की सलाह दे रहे हैं. लगभग सभी ब्रोकरेज हाउस ऑनलाइन KYC की सुविधा दे रहे हैं. इसके अलावा आप ब्रोकरेज हाउस के ऑफिस जाकर भी KYC करा सकते हैं.
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Rakesh Jhunjhunwala: डोसा के शौकीन थे राकेश झुनझुनवाला, अगले जन्म के लिए भगवान से की थी ये डिमांड
झुनझुनवाला ने बताया था कि मुझे डोसा भी बहुत पसंद है। बाहर में पाव भाजी खाने पर स्वाद नहीं आता है, इसलिए घर पर बना लेता हूं। मैं आराम करना पसंद करता हूं, मैं ज्यादा शारीरिक गतिविधि नहीं करता हूं।
Rakesh Jhunjhunwala Death: शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का निधन हो गया है। वह 62 वर्ष के थे। बिग बुल के नाम से मशहूर रहे झुनझुनवाला का नेटवर्थ करीब 5.8 अरब डॉलर था। आज हम आपको बिग बुल के कुछ दिलचस्प किस्से और पसंद के बारे में बताएंगे।
मां सबसे बड़ी शुभचिंतक: साल 2009 में ईटी नाउ को दिए एक इंटरव्यू में राकेश झुनझुनवाला ने अपनी मां को सबसे बड़ा शुभचिंतक बताया था। उन्होंने बताया कि घर में किसी ने शेयर बाजार में निवेश के लिए किसी ने मना नहीं किया लेकिन चेतावनी जरूर दी।
अगले जन्म के लिए डिमांड: इंटरव्यू में झुनझुनवाला ने अपने अगले जन्म के लिए भगवान से कुछ डिमांड की थी। उन्होंने कहा था- मैं चाहूंगा कि अगले जन्म में भी मुझे वही माता-पिता, वही भाई और बहन, वही पत्नी, वही दोस्त चाहिए।
अंधविश्वासी नहीं लेकिन.. शेयर बाजार में निवेश का किस्मत से कोई लेना-देना है? इस सवाल के जवाब में झुनझुनवाला ने कहा था-मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं अंधविश्वासी हूं। लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें होती हैं, जो हमारी कोशिश नहीं होती।
तरक्की का अंदाजा था: झुनझुनवाला ने बताया था कि जब सेंसेक्स 150 अंक पर था तो मुझे इतना आइडिया नहीं था। हालांकि, 2002-2003 में मुझे लगा कि भारत में ऐसी समृद्धि दिखाई देगी जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। इस वजह से बाजार रिकॉर्ड स्तर तक जाएगा।
खाने के शौकीन: इंटरव्यू में झुनझुनवाला ने अपने शौक और रोजाना के दिनचर्या का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि मुझे पढ़ने में मज़ा आता है, मुझे खाने के कार्यक्रम देखने में अच्छा लगता है। स्ट्रीट फूड, सड़कों पर चाइनीज खाना बहुत पसंद है। झुनझुनवाला ने बताया था कि मुझे डोसा भी बहुत पसंद है। बाहर में पाव भाजी खाने पर स्वाद नहीं आता है, इसलिए घर पर बना लेता हूं। मैं आराम करना पसंद करता हूं, मैं ज्यादा शारीरिक गतिविधि नहीं करता हूं।
परोपकारी नहीं कहलाना: बिग बुल को दानवीर कहलाना पसंद नहीं था। इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मैं खुद को दानवीर नहीं कहूंगा। हमें एक बात का एहसास होना चाहिए कि इस धन का दाता भगवान है, यह मत सोचो कि हमने इसे कमाया है।