प्रवृत्ति पर व्यापार

डिजिटल मुद्रा

डिजिटल मुद्रा
बॉन्ड बाजार के नियमित कारोबार में सीसीआईएल क्लियरिंग हाउस की भूमिका निभाता है और बॉन्डों का निपटान टी प्लस 1 आधार पर किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि लेनदेन के बाद प्रतिभूतियों के निपटान में एक दिन का समय लगता है।

डिजिटल मुद्रा की प्रायोगिक शुरुआत

सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार की खरीद-फरोख्त के लिए आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) डिजिटल मुद्रा का प्रायोगिक तौर पर उपयोग किया गया। डिजिटल मुद्रा के जरिये लेनदेन सुचारु तौर पर चला और कुल 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे किए गए।

सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि सीबीडीटी में पहला सौदा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के बीच हुआ। एसबीआई ने सीबीडीटी यानी डिजिटल रुपये का उपयोग करते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा को प्रतिभूतियों की बिक्री की। आईसीआईसीआई बैंक ने डिजिटल मुद्रा का उपयोग करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को पांच वर्षीय सरकारी पत्रों की बिक्री की।

क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) की वेबसाइट के अनुसार, तीन सरकारी बॉन्डों में लेनदेन किए गए। इनमें मौजूदा 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड, पिछला 10 वर्षीय बॉन्ड और 5 वर्षीय प्रतिभूति शामिल हैं। कुल मिलाकर मंगलवार को नियमित बॉन्ड बाजार में 20,865 करोड़ रुपये के लेनदेन हुए।

विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – cryptocurrency पर रोक लगाने की पुकार

डिजिटल मुद्रा - crypto currency

संयुक्त राष्ट्र के व्यापर और विकास संगठन – UNCTAD ने बुधवार को प्रकाशित तीन नीति पत्रों में, विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर रोक लगाने के लिये कार्रवाई डिजिटल मुद्रा किये जाने की पुकार लगाई है.

यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि अलबत्ता व्यक्तिगत डिजिटल मुद्राओं ने कुछ व्यक्तियों और संस्थानों को लाभान्वित किया है, मगर वो एक ऐसी अस्थिर वित्तीय सम्पदा हैं जो सामाजिक जोखिम और लागतें उत्पन्न कर सकती हैं.

अंकटाड ने कहा है कि कुछ लोगों या संस्थानों को डिजिटल मुद्रा के लाभ, वित्तीय स्थिरता, घरेलू संसाधन सक्रियता, और मुद्रा प्रणालियों की सुरक्षा के लिये उत्पन्न उनके जोखिमों के साए में दब जाते हैं.

क्रिप्टो मुद्रा में उछाल

क्रिप्टो करेंसी भुगतान का एक वैकल्पिक रूप हैं. इनके मामलों में वित्तीय भुगतान गुप्त व सुरक्षित टैक्नॉलॉजी के ज़रिये डिजिटल माध्यमों से किया जाता है जिन्हें ब्लॉकचेन कहा जाता है.

क्रिप्टो करेंसी कोविड-19 महामारी के दौरान, दुनिया भर में बहुत तेज़ी से बढ़ी, जिससे पहले से ही मौजूद चलन और भी ज़्यादा मज़बूत हो गया. इस समय दुनिया भर में लगभग 19 हज़ार डिजिटल मुद्रा क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं.

वर्ष 2021 में क्रिप्टो करेंसी रखने वाली आबादी के मामले में, शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले 20 देशों में से, 15 देश विकासशील देश थे.

इस सूची में 12.7 प्रतिशत के डिजिटल मुद्रा साथ यूक्रेन सबसे ऊपर था, उसके बाद रूस 11.9 प्रतिशत डिजिटल मुद्रा और वेनेज़ुएला 10.3 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर थे.

उतना स्वर्णिम नहीं

अंकटाड का कहना है कि बाज़ार में हाल के समय में डिजिटल मुद्रा को लगे झटकों से झलकता डिजिटल मुद्रा है कि क्रिप्टो करेंसी रखने के निजी जोखिम तो हैं ही, मगर केन्द्रीय बैंक, वित्तीय स्थिरता की हिफ़ाज़त करने के लिये हस्तक्षेप करते हैं तो ये समस्या सार्वजनिक बन जाती है.

उससे भी ज़्यादा, अगर क्रिप्टो करेंसी भुगतान के एक माध्यम के रूप में डिजिटल मुद्रा विकसित होना जारी रखती है, और यहाँ तक कि अनौपचारिक रूप में घरेलू मुद्राओं की जगह भी ले लेती है, तो भी देशों की वित्तीय सम्प्रभुता ख़तरे में पड़ सकती है.

कर चोरी का भय

अंकटाड के एक नीति पत्र में बताया गया है कि क्रिप्टो करेंसी विकासशील देशों में किस तरह से घरेलू संसाधन सक्रियता को कमज़ोर करने का एक नया चैनल बन गई है, और साथ ही इस बारे में, बहुत कम कार्रवाई और उसमें भी देरी करने के जोखिमों के बारे में भी आगाह किया गया है.

अंकटाड ने आगाह किया है कि क्रिप्टो करेंसी से वैसे तो विदेशों से अपने मूल स्थानों को रक़म भेजना आसान होता है, मगर उनसे कर चोरी व अवैध वित्तीय लेनदेन के ज़रिये टैक्स से बचाना भी शामिल हो सकता है. बिल्कुल टैक्स स्वर्ग कहे डिजिटल मुद्रा जाने वाले स्थानों की तरह, जहाँ धन का स्वामित्व स्पष्ट नहीं होता है.

एजेंसी ने कहा है कि इस तरह से, क्रिप्टो करेंसी मुद्रा नियंत्रणों की प्रभावशीलता को भी कमज़ोर कर सकती है, जोकि विकासशील देशों को उनके नीतिगत स्थान और छोटे पैमाने पर आर्थिक स्थिरता के लिये एक अहम उपकरण है.

क्या है 'डिजिटल रुपया डिजिटल मुद्रा डिजिटल मुद्रा और इससे लोगों को कितना होगा फायदा? क्या ई-रुपया पर ब्याज भी मिलेगा?

क्या है 'डिजिटल रुपया और इससे लोगों को कितना होगा फायदा? क्या ई-रुपया पर ब्याज भी मिलेगा?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केंद्रीय बैंक खुदरा ग्राहकों के लिए डिजिटल मुद्रा 'डिजिटल रुपया' का पायलट परीक्षण एक माह के भीतर शुरू कर सकता है। आरबीआई ने एक बयान में इस बात की जानकारी दी है। आइए जानते हैं डिजिटल रुपया क्या है और इससे ग्राहकों को क्या-क्या फायदा मिलेगा.

  • एक केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा देश की मुख्य मुद्रा का डिजिटल रूप है
  • इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और विनियमित किया जाता है
  • डिजिटल मुद्रा
  • सीबीडीसी से वित्तीय समावेशन के साथ भुगतान दक्षता बढ़ती है
  • आपराधिक गतिविधि रोकती है, अंतरराष्ट्रीय भुगतान विकल्पों में सुधार करती है
  • संभावित रूप से शुद्ध लेनदेन
  • लागत को कम करती है

डिजिटल मुद्रा चलन में आने को तैयार

नई दिल्ली (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपये (ई रुपये) के इस्तेमाल के लिए एक पायलट प्रोजक्ट शुरू करेगा। यह प्रोजेक्ट सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार डिजिटल मुद्रा लेनदेन के निपटान के लिए है।

डिजिटल मुद्रा के उपयोग से अंतर-बैंक बाजार को और अधिक कुशल बनाने की उम्मीद है। यह निपटान जोखिम को कम करने के साथ लेनदेन की लागत को भी कम करेगा। पायलट प्रोजेक्ट से मिली सीख के आधार पर भविष्य की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।

आरबीआई ने घोषणा की थी कि इस पायलट प्रोजेक्ट के एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट के लिए इसी तरह का एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा। इसके बारे में जल्द ही सार्वजनिक रूप से बताया जाएगा।

डिजिटल मुद्रा से आरबीआई की कैश मैनेजमेंट की लागत होगी कम

नई दिल्ली (आईएएनएस)| आरबीआई ने 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया लॉन्च करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है और बाद में एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट में एक और प्रोजेक्ट लाने की योजना है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को अपनाने के पीछे कई कारण हैं, जैसे वित्तीय समावेशन को बढ़ाना और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना।

माना जाता है कि डिजिटल रुपये की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण भौतिक नकदी प्रबंधन से जुड़ी लागत को कम करना है। आरबीआई के एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि भारत में कैश मैनेजमेंट की लागत महत्वपूर्ण बनी हुई है। 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान सुरक्षा मुद्रण पर किया गया कुल खर्च 4,984.80 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष (1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च, 2021) 4,012.10 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है।

रेटिंग: 4.49
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 879
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *