महंगाई से बचाव

महंगाई के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्र
अमर उजाला ब्यूरो
Updated Sun, 01 May 2022 01:24 AM IST
16-कैथल। अपनी मांगों को लेकर तहसीलदार सुदेश मेहरा को ज्ञापन देते हुए संयुक्त छात्र मोर्चा के सदस्? - फोटो : Kaithal
कैथल। महंगाई के खिलाफ संयुक्त छात्र मोर्चा कैथल ने शनिवार को शहर में प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लघु सचिवालय में पुलिस कर्मचारियों से उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। विवाद बढ़ता, इससे पहले कुछ पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव कर मामला संभाल लिया। बाद में सभी छात्रों ने शांतिपूर्वक तहसीलदार सुदेश मेहरा को मांगों से संबोधित ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन से पूर्व सभी छात्र संयुक्त छात्र मोर्चा के बैनर तले विद्यार्थी आरकेएसडी कॉलेज में इकट्ठे हुए। यह जमावड़ा बढ़ती महंगाई के खिलाफ था। फिर वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पिहोवा चौक से होते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। यहां पर सुरक्षा के लिए पहले से ही पुलिस कर्मचारी तैनात थे। इन्होंने छात्रों को गेट पर ही रोककर ज्ञापन देने को कहा लेकिन छात्र जिला प्रशासन के कार्यालय में ज्ञापन देेने पर अड़ गए। इस दौरान करीब 10 मिनट तक पुलिस कर्मचारियों से उनकी बहस हुई। बाद में कुछ पुलिस कर्मचारियों ने बीच बचाव कर छात्रों को शांत कराया। इसके बाद जिला प्रशासन के कार्यालय में उन्होंने तहसीलदार सुदेश मेहरा को ज्ञापन दिया। तहसीलदार ने सरकार तक उनकी मांग पहुंचाने का आश्वासन दिया।
छात्र नेता सोहन पूनिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि महंगाई चरम पर है। सरकार कड़े कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि यदि इस ज्ञापन के बाद महंगाई कम नहीं हुई तो सभी छात्र सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार में सभी चीजों के दाम दोगुने हो गए हैं। वर्तमान में रेत, बजरी, सीमेंट, लोहा, पेट्रोल, डीजल सहित अन्य जरूरी वस्तुएं महंगी हुई हैं। वहीं सुनील सहारण ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। लंबे समय से वैकेंसी नहीं निकली।
कैथल। महंगाई के खिलाफ संयुक्त छात्र मोर्चा कैथल ने शनिवार को शहर में प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लघु सचिवालय में पुलिस कर्मचारियों से उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। विवाद बढ़ता, इससे पहले कुछ पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव कर मामला संभाल लिया। बाद में सभी छात्रों ने शांतिपूर्वक तहसीलदार सुदेश मेहरा को मांगों से संबोधित ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन से पूर्व सभी छात्र संयुक्त छात्र मोर्चा के बैनर तले विद्यार्थी आरकेएसडी कॉलेज में इकट्ठे हुए। यह जमावड़ा बढ़ती महंगाई के खिलाफ था। फिर वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पिहोवा चौक से होते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। यहां पर सुरक्षा के लिए पहले से ही महंगाई से बचाव पुलिस कर्मचारी तैनात थे। इन्होंने छात्रों को गेट पर ही रोककर ज्ञापन देने को कहा लेकिन छात्र जिला प्रशासन के कार्यालय में ज्ञापन देेने पर अड़ गए। इस दौरान करीब 10 मिनट तक पुलिस कर्मचारियों से उनकी बहस हुई। बाद में कुछ पुलिस कर्मचारियों ने बीच बचाव कर छात्रों को शांत कराया। इसके बाद जिला प्रशासन के कार्यालय में उन्होंने तहसीलदार सुदेश मेहरा को ज्ञापन दिया। तहसीलदार ने सरकार तक उनकी मांग पहुंचाने का आश्वासन दिया।
छात्र नेता सोहन पूनिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि महंगाई चरम पर है। सरकार कड़े कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि यदि इस ज्ञापन के बाद महंगाई कम नहीं हुई तो सभी छात्र सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार में सभी चीजों के दाम दोगुने हो गए हैं। वर्तमान में रेत, बजरी, सीमेंट, लोहा, पेट्रोल, डीजल सहित अन्य जरूरी वस्तुएं महंगी हुई हैं। वहीं महंगाई से बचाव सुनील सहारण ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। लंबे समय से वैकेंसी नहीं निकली।
महंगाई से बचाव
हमारा अनुसरण करो
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF वर्ल्ड इकोनामिक आउटलुक नाम से साल भर में दो रिपोर्ट प्रकाशित करती है। हाल ही में दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाला समय दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित होने वाला है।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF वर्ल्ड इकोनामिक आउटलुक नाम से साल भर में दो रिपोर्ट प्रकाशित करती है। हाल ही में दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाला समय दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित होने वाला है। भारत समेत दुनिया भर की अधिकतर मुल्कों में महंगाई की वजह से मंदी आने वाली है। इससे बचने का उपाय यह है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाएं, केंद्र सरकार महंगाई से बचाव की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी को कम किया जाए। इसी मुद्दे पर इस वीडियो में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार औनिंदो चक्रवर्ती ने अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया है कि कैसे ब्याज दर बढ़ाने से सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों और छोटे कारोबारियों पर पड़ता है? महंगाई को कंट्रोल करने में ब्याज दर बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होता। महंगाई तभी कंट्रोल होगी जब प्राइस कंट्रोल की नीतियां बनाई जाएंगी। साल 1990 से पहले महंगाई को काबू में करने के लिए प्राइस कंट्रोल की नीतियां अपनाई जाती थी। मगर जब से पूरी दुनिया में नवउदारवादी नीतियां लागू हुई है, महंगाई कंट्रोल करने के लिए प्राइस कंट्रोल की नीतियां नहीं अपनाई जाती है।
RBI गवर्नर ने स्वीकारा, चूक गया है महंगाई का लक्ष्य, लेकिन अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित होने से रोका
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को अपनी नीतियों का बचाव किया और कहा कि अगर समय से पहले ब्याज दरों को सख्त करना शुरू कर दिया होता, तो अर्थव्यवस्था में वृद्धि नीचे की ओर मुड़ जाती।
Updated Nov 2, 2022 | 06:01 PM IST
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RBI गवर्नर ने स्वीकारा, चूक गया है महंगाई का लक्ष्य
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने मुद्रास्फीति (महंगाई से बचाव Inflation) की स्थिति से निपटने के रिजर्व बैंक के तरीके का बचाव किया है। दास ने बुधवार को यहां बैंकरों के वार्षिक एफआईबीएसी (FIBAC) सम्मेलन में कहा कि समय से पहले सख्त कदम उठाने से अर्थव्यवस्था और नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती।
यह स्वीकार करते हुए कि मुद्रास्फीति का लक्ष्य चूक गया है, दास ने कहा कि आरबीआई ने महंगाई दर में वृद्धि के कारण ब्याज दरों में आक्रामक रूप से वृद्धि नहीं करके अर्थव्यवस्था का समर्थन करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने ब्याज दरों को आक्रामक रूप नहीं बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित होने से रोका और समय से पहले सख्त कदम उठाने से दूर रहे।’’
दास ने कहा कि जल्दी सख्त या आक्रामक रुख अपनाने से अर्थव्यवस्था और लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ती। उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब तैयार करने के लिए ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बृहस्पतिवार को बैठक कर रही है। आरबीआई गवर्नर ने साथ ही सरकार को लिखे जाने वाले पत्र को सार्वजनिक न करने के आरबीआई के कदम का भी बचाव किया।
वहीं, रुपये के मूल्यह्रास पर चल रही बहस के बीच दास ने सभी से स्थिति को भावनात्मक रूप से नहीं देखने को कहा और जोर दिया कि घरेलू मुद्रा ने व्यवस्थित तरीके से प्रदर्शन किया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की शुरुआत देश की मुद्रा के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण है और यह व्यापार करने के तरीके को बदल देगा।
मैं कक्षा छह में था तभी निबंध लिखने आया था ‘प्राइस राइज इन इंडिया’- महंगाई पर मंत्री ने ऐसे किया नरेंद्र मोदी महंगाई से बचाव का बचाव
केंद्रीय मंत्री ने महंगाई को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि बरसों तक इस देश पर कांग्रेस ने राज किया और गरीबी को देश की स्थायी समस्या बनाने का काम किया है।
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल(फोटो सोर्स: PTI)।
आए दिन देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। 24 मार्च और 1 अप्रैल को छोड़कर रोजाना पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि हुई है। देश में बढ़ती महंगाई को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं मोदी सरकार के मंत्री महंगाई के सवालों पर इतिहास खंगालते नजर आ रहे हैं।
दरअसल एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री SP सिंह बघेल ने बढ़ती महंगाई को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के जमाने की बीमारी बताया। उनसे सवाल हुआ कि महंगाई से जनता त्रस्त है और विपक्ष केंद्र पर निशाना साध रही है, आप लोग क्या कर रहे हैं?
इस सवाल पर एसपी बघेल ने कहा, “1971 में इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री थीं। उस वक्त मैं कक्षा 6 में था, तब एक निबंध लिखने को आया था ‘प्राइस महंगाई से बचाव राइज इन इंडिया’, तो ये बीमारी उनके जमाने की है। जो बाद में बढ़ती गई।” बघेल ने कहा कि कांग्रेस ने तब गरीबी हटाओ का नारा देकर सरकार बना ली थी लेकिन गरीबी नहीं हटी। तो कांग्रेस कुछ बोलने से पहले अपने बारे में सोचे। इस समस्या के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कांग्रेस ने बरसों तक इस देश पर राज किया और गरीबी को देश की स्थायी समस्या बनाने का काम किया है। लेकिन फिर भी मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि उन्होंने गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चलाई है।”
योजनाओं का गिनवाते हुए उन्होंने कहा कि जैसे इस सरकार में गरीबों के लिए मात्र 12 रुपये में बीमा है, 330 रुपये में बीमा है। 19 महीने से पांच किलो गेहूं-चावल प्रति यूनिट मिल रहा है। किसानों के लिए सब्सिडी है।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री दावे जो भी करें लेकिन सच यही है कि देश में इस समय महंगाई का यह आलम है कि पेट्रोल, डीजल, एलपीजी सिलेंडर, दूध, राशन और सब्जी जैसे रोजमर्रा उपयोग में आने वाली सभी चीजों के दामों में इजाफा देखा जा रहा है।