क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट

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बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
शेयर बाजार में इस्तेमाल किए जाने वाले 23 सबसे महत्वपूर्ण शब्द
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, 30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl ये सभी शब्द बैंकिंग सामान्य ज्ञान के लिए बहुत उपयोगी हैंl
भारत में मुख्य रूप से 2 स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)l बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दलाल स्ट्रीट, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक भारतीय शेयर बाजार है। सन 1875 में स्थापित, बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज हैl बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ,30 बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव की गणना करता हैl दूसरा स्टॉक एक्सचेंज NSE भी मुंबई में है और इसकी स्थापना 1992 में हुई थीl सामान्य लोगों की जानकारी के लिए शेयर बाजार में इस्तेमाल होने वाले मुख्य शब्द इस प्रकार हैं l
1. इक्विटी शेयर (Equity Share):क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट इक्विटी शेयर वे अंश है जिन्हें कंपनी से मताधिकार प्राप्त होता है l ये अंशधारी ही धारित अंशों के अनुपात में ही कंपनी के स्वामित्वधारी होते हैं l इन्हें लाभांश वितरण में कोई वयीयता प्राप्त नही होती है l
2. वरीयता अंश (Preference Share): ये वे शेयर धारक होते हैं जिन्हें लाभांश वितरण में वरीयता दी जाती हैl लाभ बाँटने के बाद यदि कुछ लाभांश बचता है तो उसे इक्विटी शेयर धारकों में बांटा जाता हैl वरीयता अंश के शेयर धारकों को कंपनी में मताधिकार प्राप्त नही होता है l
3. इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO): इसका सम्बन्ध प्राइमरी बाजार से है जिसमे नयी कंपनियों के अंश बाजार में जारी किये जाते हैं l इस विधि के माध्यम से कम्पनियाँ बाजार से पैसा जुटा कर अपनी आगे की वित्तीय योजनाओं को बनाती है l
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4. फालो पब्लिक ऑफर: जब कोई भी नयी कंपनी अपनी अधिकृत पूँजी की उगाही शेयरों के निर्गमन के द्वारा प्राथमिक बाजार से करती है तो इसे FPO कहते हैं l
5. ब्लू चिप कंपनी (Blue Chip Company): क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट यह एक ऐसी कंपनी होती है जिसके शेयरों को खरीदना बेहद सुरक्षित माना जाता है। इस कंपनी के शेयरों को खरीदने वाला निवेशक जोखिम रहित लाभ प्राप्त करता है l
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6. इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading): इसका मतलब एक ऐसी सूचना से होता है जो कि एक कंपनी की कार्य प्रणाली से जुडी होती है जिसमे कम्पनी की भावी योजनाओं में बारे में जानकारी होती हैl यदि यह सूचना कंपनी के किसी उच्च अधिकारी (कंपनी के निदेशकों और उच्च स्तरीय अधिकारियों) के माध्यम से सार्वजनिक हो जाती है तो उस कंपनी के शेयरों के दाम अप्रत्याशित रूप से ऊपर या नीचे होते हैं l
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7. वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper): यह एक असुरक्षित वचन-पत्र (Promissory Note) होता है जो कि एक वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया जाता है lइसको जारी करने का मुख्य उद्येश्य अल्पकालीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करना होता है l
8. बोनस इश्यू (Bonus Issue):इस प्रकार के शेयर बोनस, उन शेयर धारकों को फ्री में उस अनुपात में दिए जाते हैं जिनके उनके पास उस कंपनी के शेयर पहले से ही होते हैं l ऐसे शेयरों को लाभांश शेयर भी कहते हैं l
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9. तेजड़िया (Bull): तेजड़िया उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कि शेयर बाजार में शेयरों की खरीदारी करता है और इसी खरीदारी के कारण शेयर बाजार ऊपर की ओर जाता हैl यह निवेशक बाजार के बारे में सकारात्मक रुख रखता है क्योंकि वह यह सोचता है कि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम ऊपर चढ़ेंगेl
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10. मंदड़िया(Bear): मंदड़िया उस निवेशक को कहा जाता है जो कि अपने खरीदे गए शेयरों को बेचता क्योंकि उसको लगता है कि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का दाम बाजार में गिरेंगेl इसलिए वह अपने शेयरों को बेच देता है और कई लोगों के द्वारा ऐसा करने पर बाजार नीचे की ओर गिरता है l
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11. लाभांश (Dividend): यह कंपनी द्वारा अपने शेयर धारकों को दिया जाने वाला लाभ का हिस्सा होता हैl लाभ का यह हिस्सा कंपनी अपने सभी शेयर धारकों को उनके शेयरों की संख्या के अनुपात में बांटती हैl जिसके पास जितने अधिक शेयर, उसको उतना अधिक लाभांश मिलता हैl
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12. हॉट मनी (Hot Money): यह वह निवेश मनी होती है जो कि अधिक लाभ की तरह भागती हैl इस प्रकार की निवेश मनी बाजार में बहुत ही कम स्थिर होती है इसी कारण इसे हॉट मनी कहते हैंl
13. जंक बांड(Junk Bond): जंक बांड वे बांड है जिनकी रेटिंग नीची हो परन्तु उन पर प्राप्त होने वाले रिटर्न(लाभ) की दर ऊंची हो l
14. कर्ब ट्रेडिंग(Kerb Trading): स्टॉक एक्सचेंज मार्किट की बिल्डिंग के बाहर, स्टॉक एक्सचेंज के ही समय में या उसके बाद प्रतिभूतियों में अवैध ट्रेडिंग को कर्ब ट्रेडिंग कहते हैं l
15. स्टैग (Stag): ऐसे लोग जो प्राइमरी मार्किट में पैसा लगाना पसंद करते है सेकेंडरी मार्किट में नही, स्टैग कहलाते हैं l ये लोग बहुत कम जोखिम उठाते हैं l
16. अल्फ़ा शेयर : इन्हें ग्रुप A का शेयर भी कहा जाता हैl ये ऐसे स्टॉक हैं जिनके क्रय विक्रय में बाधा नही होती है l
17. राइट इशू (Right Issue): जब शेयर या प्रतिभूति के आबंटन में वर्तमान शेयर धारकों को प्राथमिकता दी जाये तो इस प्रकार के निर्गमित शेयर को राइट इशू कहते हैंl वर्तमान शेयर धारकों को इन शेयरों को खरीदने के लिए रुपये देने पड़ते हैं अर्थात ये शेयर, बोनस शेयर की तरह कीमत रहित नही होते हैं l
18. स्नो बालिंग प्रभाव: जब शेयर के मूल्य में थोड़ी बृद्धि से शेयर क्रय के कारण या किसी अन्य कारण कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाये कि शेयरों का मूल्य बढ़ता ही जाये और इतना अधिक बढ़ जाये कि क्रय विक्रय पर स्टॉप आर्डर आने लगे तो इसे स्नो बालिंग कहते हैं l
19. शोर्ट सेलिंग (Short Selling): जब किसी व्यक्ति या दलाल द्वारा उससे अधिक स्टॉक के विक्रय का सौदा किया जाता जितना उसके पास है या जितना कहीं से लेकर पूर्ती कर सकता हैl यह क्रिया बिलकुल गैर-कानूनी है l
20. लार्ज कैप कम्पनियाँ (Large Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट हो l
21. मिड कैप कम्पनियाँ (Mid Cap Companies): ये वे कम्पनियाँ होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 10,000 करोड़ रुपये से कम पर 2500 करोड़ से अधिक हो l
22. स्माल कैप कम्पनियाँ (Small Cap Companies): ये वे कम्पनियां होती हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 2500 करोड़ रुपये से कम हो l
23. पौंजी स्कीम (Ponzy Schemes): ये वे फर्जी कम्पनियाँ होती हैं जो कि लोगों को कम समय में अधिक रिटर्न की गारंटी देकर निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो जातीं हैl ऐसी कंपनियों का सरकार के पास कोई भी रिकॉर्ड नही होता है l
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ऊपर दिए गए शब्द उन सभी लोगों के लिए बहुत ही मददगार होंगे जो कि या तो शेयर बाजार में पैसा निवेश करते हैं या शेयर बाजार कैसे काम करता है इस बारे में जानना चाहते हैं l
क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध
यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।
पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।
बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।
सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।
आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है
- बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
- बियर मार्केट: बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ 'बुल' की तरह, बियर मार्केट का 'बियर' भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर नीचे की दिशा में हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।
इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।
यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।
पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।
बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।
सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।
आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है
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बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।
मनी नॉलेज: क्या है स्टॉक स्प्लिट? यह कंपनी और शेयरधारकों को कैसे प्रभावित करता है? स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?
स्टॉक स्प्लिट का मतलब है शेयर विभाजन। स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है। आमतौर पर किसी कंपनी के शेयर जब बहुत महंगे हो जाते हैं, तब छोटे निवेशक उन शेयरों में निवेश नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों की ओर छोटे निवेशकों को आकर्षित करने और बाजार में मांग बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट का भी सहारा लेती है।
शेयरधारकों पर क्या असर होता है
यदि कोई कंपनी अपने शेयरों को दो हिस्से में विभाजित करती है, तो शेयरधारकों को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर दिया जाता है। इससे शेयरधारक के पास पहले से मौजूद शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है। निवेश के वैल्यू पर इससे कोई असर नहीं होता, क्योंकि दो हर एक शेयरों को दो शेयरों में स्प्लिट करने से हर एक शेयर का वैल्यू आधा हो जाता है।
कंपनी पर क्या असर होता है
शेयर स्प्लिट से कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन इससे कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन पर कोई असर नहीं होता है। स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर अधिक लिक्विड हो जाते हैं। कई बार लोग स्टॉक स्प्लिट को बोनस शेयर को एक ही समझ बैठते हैं। लेकिन ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
छोटे निवेशकों के लिए निवेश करना हो जाता है आसान
स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की कीमत घट जाती है। इससे छोटे निवेशकों के लिए उस कंपनी के शेयरों में निवेश करना आसान हो जाता है। कीमत कम होने से उन शेयरों की मांग अचानक बढ़ जाती है। इसलिए स्प्लिट के बाद कुछ समय के लिए उन शेयरों में उछाल देखा जाता है।
पेनी स्टॉक क्या होते है
Market Capitalization क्या होता है
मार्केट केपीटलाइजेशन एक कंपनी की मार्केट में क्या वैल्यू है और उस कंपनी की क्या साइज है को दर्शाता है,
Market Capitalization Formula
Market Cap = कंपनी के 1 शेयर की कीमत X उस कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयर
ABC नाम की एक कंपनी है जिसके 1 शेयर की कीमत 100 रुपये है और उस ABC कंपनी के मार्केट मे कुल 10 लाख शेयर है तो ABC कंपनी का मार्केट केपीटलाइजेशन हुआ
=> 100 X 10 लाख = 10 करोड़ क्या होता है स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट रुपये
Penny Stock मे निवेश करे या नही
शेयर मार्केट मे कदम रखने वाले निवेशको को ये पेनी स्टॉक अक्सर लुभाते है क्योकि इनकी कीमत कम होती है,
उदाहरण से समझते है,
मोहन के पास 10,000 रुपये है जिसे वह शेयर मार्केट मे निवेश करना चाहता है और विकल्प के तौर पर 2 कंपनिया है जिनमे वह निवेश कर सकता है,
- ABC कंपनी जिसके एक शेयर की कीमत 1000 रुपये है,
- XYZ कंपनी जिसके एक शेयर की कीमत 10 रुपये
तो मोहन को XYZ मे निवेश करने का मन करता है क्योकि ABC मे 10 हजार रुपये लगाने पर केवल 10 शेयर आयेंगे और XYZ मे 10 हजार रुपये लगाने पर 1 हजार शेयर आ जायेंगे।
अतः XYZ एक पेनी स्टॉक कंपनी हुई जिसके शेयर खरीदने मे लुभावने लगते है।
कुल मिलाकर कम निवेश मे ज्यादा लाभ का लालच व्यक्ति को फसा देता है।
Quality is more important than Quantity
Penny Stock को नये निवेशक इसलिए भी खरीदते है ताकि 10 रुपये का खरीदा गया वह पेनी शेयर भविष्य मे 20, 30 या 40 रुपये का हो जायेगा तो निवेश का रिटर्न दोगुना, तिगुना या चौगुना मिल जायेगा लेकिन वास्तव मे यह सत्य नही है ।
Penny stock असल मे उच्च जोखिम भरा, धोकाधड़ी और नुकसान की संभावना से भरा हुआ होता है।
इसलिए शेयर मार्केट के विशेषज्ञ पेनी स्टॉक को खरीदने से मना करते है।
पेनी स्टॉक मे निवेश करने मे कितना जोखिम है:
शेयर बाजार के विशेषज्ञ Penny stock ना खरीदने की हिदायत देते है लेकिन क्यो? आखिर क्या-क्या रिस्क फैक्टर है पेनी स्टॉक मे निवेश करने पर,
चूंकि पेनी स्टॉक वाली कंपनियों का मार्केट केपीटलाइजेशन काफी कम होता है, ये ऐसी कंपनिया होती है जो कम प्रसिद्ध होती है या जिनके बारे मे जानकारी कम होती है, इसलिए ऐसी पेनी स्टॉक वाली कंपनियों को भविष्य मे कैसी ग्रोथ मिलेगी यह तय कर पाना कठिन होता है ।
निवेशको को और भी कई जानकारी चाहिए होती है किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले जैसे उस पेनी स्टॉक का पिछला प्रदर्शन कैसा था, कंपनी के फंडामेंटल्स क्या है आदि लेकिन ये पेनी स्टॉक वाली कंपनियों मे ये सभी जानकारी मिल पाना कठिन होता है।
पेनी स्टॉक मे निवेश क्यो नही करना चाहिए:
पेनी स्टॉक मे निवेश करने का सबसे बड़ा जोखिम ज्यादा लाभ कमाने का लालच।
मान लीजिये की आपने एक Penny stock खरीदा जिसकी कीमत 20 रुपये है, 10 हजार रुपये निवेश किये 5 साल के लिए लेकिन जैसे ही आपने वह Penny stock खरीदा वैसे ही उसका प्राइस ग्राफ निरंतर घटने लग गया,
अब आप घटती कीमत को देखते हुए घबराते हुए अपने पेनी स्टॉक को बेचना चाहते है किंतु अब आपको खरीदार बिल्कुल नही मिल रहे है। इसे कहते है पेनी स्टॉक की low liquidity
और आज 5 साल बाद उस 1 पेनी स्टॉक की कीमत रह गई है मात्र 7 रुपये।
पेनी स्टॉक मे हाई पंप और हाई डंप वाला कांसेप्ट काम करता है। कई सारे शेयर मार्केट की जानकारी देने वाले डिजिटल माध्यम (जैसे Telegram Channel ) भ्रामक खबरे फैलाते है और पेनी स्टॉक प्राइस को पंप & डंप करने की कोशिश करते है।
कई बड़े स्टॉक प्लेयर ज्यादा संख्या मे कम कीमत वाले पेनी स्टॉक को खरीद लेते है और शॉर्ट सैलिंग के माध्यम से प्राइस को बड़ाने की कोशिश करते है, ऐसे मे नये निवेशक जिनके पास निवेश हेतु ज्यादा पैसे नही होते है वो लोग इन पेनी स्टॉक को अधिक लाभ कमाने की आशा मे खरीद लेते है, किंतु अक्सर होता इसके विपरीत है।
इसलिए पेनी स्टॉक की कीमतों मे हेर फेर के चलते नये निवेशको के साथ घोटाला होने की संभावना ज्यादा होती है।
पेनी स्टॉक से जुड़े कुछ तथ्य:
- पेनी स्टॉक वह स्टॉक होते हैं जिनकी कीमत ₹10 या उससे कम होती है।
- पेनी स्टॉक में निवेश करने पर उच्च वापसी (हाई रिटर्न) मिलने की संभावना होती है ।
- पेनी स्टॉक में निवेश करना जोखिम भरा होता है।
- पेनी स्टॉक इलिक्विड स्टॉक होते है जिनको आपात स्थिति मे आप बेच नही सकते है ।
- पेनी स्टॉक को बेचने जायेंगे तो खरीदार आसानी से नही मिलते है।
- पेनी स्टॉक का व्यापार नगण्य होता है।
- पेनी स्टॉक का मार्केट केपीटलाइजेशन कम होता है।
- पेनी स्टॉक मे घोटाले (scam) की संभावना ज्यादा होती है।
- पेनी स्टॉक मे हाई पंप & हाई डंप की संभावना ज्यादा होती है।
- पेनी स्टॉक एक जोखिम भरा निवेश है जिसमे धोखाधड़ी व नुकसान की अपार संभावना है।
नोट: हम शेयर मार्केट के विशेषज्ञ नही है और ना ही कोई विशेष स्टॉक को खरीदने या बेचने की सिफारिश करते है। यह पोस्ट केवल जानकारी के उद्धेश्य से लिखा गया है। निवेश करने से पहले अपनी रिसर्च जरूर करे।
तो दोस्तो आशा करते है की आपको यह अर्टिकल “पेनी स्टॉक क्या है (Penny Stocks in Hindi)” कैसा लगा हमे जरूर बताये,
इसके अलावा दी गई जानकारी जैसे
पेनी स्टॉक मे निवेश करने मे क्या जोखिम है और पेनी स्टॉक मे निवेश क्यो नही करना चाहिए
यह पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा। कोई सुझाव हो तो कंमेंट् के माध्यम से हमे जरूर बताये।