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विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है

विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है
भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य के मुख्य कार्य :-

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

भारतीय रिजर्व बैंक क्या है, और इसके मुख्य कार्य कौन-कौन से हैं

दोस्तों भारत के अंदर अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक उपलब्ध है। उसी प्रकार विश्व के सभी देशों में अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए किसी संस्था को बनाया जाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में भारत के रिजर्व बैंक क्या है, और भारतीय रिजर्व बैंक के कौन-कौन से मुख्य कार्य है। इनके बारे में बताएंगे इसीलिए इस आर्टिकल भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम , रिजर्व बैंक की स्थापना , भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य , भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्यालय कहाँ है , भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम , केंद्रीय बैंक क्या है को अंत तक जरूर पढ़ें।

भारतीय रिजर्व बैंक क्या है:- भारत की अर्थव्यवस्था व आर्थिक स्थिति को नियंत्रण करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक को RBI के नाम से भी जाना जाता है। इसकी फुल फॉर्म Reserve Bank of India है। भारतीय रिजर्व बैंक में मुद्रा छापने का कार्य होता है, और मुद्रा को पहुंचाने का काम भी भारतीय रिजर्व बैंक सिर्फ करता है।

Sovereign Gold Bond Scheme: आज सस्ता सोना खरीदने का आखिरी मौका! 10 ग्राम विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है सोने की खरीद पर मिलेगा 2,186 रुपये का फायदा

By: ABP Live | Updated at : 26 Aug 2022 10:04 AM (IST)

सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड

RBI Sovereign Gold Bond: भारत में आज भी लोग सोने में निवेश (Gold Investment) करना बहुत पसंद करते हैं. अगर आप भी सोने में निवेश करके बेहतर रिटर्न (Gold Investment Returns) प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम के तहत सोना खरीदने का आखिरी मौका है. आरबीआई ने सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड (RBI Sovereign Gold Bond) खरीदने के लिए 22 से 26 अगस्त 2022 तक का मौका दिया है. ऐसे में आज इस गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond) खरीदने की आखिरी तारीख है. अगर आपने अभी तक नहीं खरीदा है तो जल्द से जल्द आज इसे खरीदे.

मिलेगी 50 रुपये की छूट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) खरीदने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके के ऑप्शन्स दिए हैं. बता दें कि कल यानी गुरुवार को सोना 52,094 को सोना बंद हुआ है. वहीं सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड प्रति 10 ग्राम 51,970 रुपये में बिक रहा है. वहीं अगर आप इस बॉन्ड को ऑनलाइन खरीदते हैं तो आपको एक्स्ट्रा 50 रुपये की छूट मिलेगी. ऐसे विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है में आप डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) के जरिए आप इस 50 रुपये का लाभ प्राप्त करें.

भीम आधार पे

भुगतान का सबसे आसान और सस्ता तरीका आधार भुगतान है। भारत का नागरिक जिसके पास आधार नंबर है, वह इस भुगतान विधि का उपयोग कर सकता है। भारतीयों के लगभग 43 करोड़ खाते आधार से लिंक हैं; और वे इस आधार सक्षम भुगतान मोड का उपयोग कर सकते हैं।

आधार भुगतान ऐप के लाभ:

ग्राहकों के लिए संव्यवहार करना आसान है, जबकि व्यापारियों को स्मार्टफोन, ऐप और फिंगरप्रिंट स्कैनर की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है।

Banking System: SBI, HDFC और ICICI बैंक के ग्राहकों के ल‍िए खुशखबरी, व‍ित्‍त मंत्री ने खुद क‍िया ये बड़ा ऐलान

Banking System: अगर आप एसबीआई, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी बैंक के ग्राहक हैं तो ये खबर पढ़ कर आपका दिल खुश हो जाएगा.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंक‍िंग स‍िस्‍टम के बारे में बयान दिया है.

Banking System: SBI, HDFC और ICICI बैंक के ग्राहकों के ल‍िए खुशखबरी, व‍ित्‍त मंत्री ने खुद क‍िया ये बड़ा ऐलान

Banking System: बैंक ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है. अगर आप भी बैंक से लोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए अब लोन लेना और आसान हो सकता है. दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंक‍िंग स‍िस्‍टम के बारे में जरूरी बयान दिया. वित्त मंत्री ने बैंकों को यह आदेश दिया कि वे ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से बैंक‍िंग स‍िस्‍टम को और आसान बनाएं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि बैंकों को ग्राहकों की सुविधाओं पर और ध्यान देने की जरूरत है ताकि लोन लेने वालों के लिये इसकी प्रक्रिया आसान बन सके. इससे लोग बैंक से ज्यादा से ज्यादा जुड़ पाएंगे.

डॉलर इंडेक्स क्या है?

डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.

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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?

डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.

  • यूरो : 57.6%
  • जापानी येन : 13.6%
  • कैनेडियन डॉलर : 9.1%
  • ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
  • स्वीडिश क्रोना : 4.2%
  • स्विस फ्रैंक : 3.6%

हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

डॉलर इंडेक्स का इतिहास

डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.

डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.

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