स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें

शेयरों से कमाई भरपूर और खोने का खतरा दूर करने के 9 टिप्स
हरेक निवेशक दलाल स्ट्रीट में चौके-छक्के जड़ते रहना चाहता है, सफलता इक्के-दुक्के के ही हाथ लगती.
लगाातार निवेश का चमत्कार
आइंस्टाइन की प्रसिद्ध उक्ति है- निवेश बढ़ाते रहने की ताकत (पावर ऑफ कंपाउंडिंग) दुनिया का आठवां आश्चर्य है। किसी कामयाब इक्विटी इन्वेस्टर की एक खासियत यह होती है कि वो निवेश पर मिले लाभ से भी शेयर ही खरीदते स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें रहते हैं। उन्हें पता होता है कि एक अवधि के बाद उनका निवेश बढ़कर कई गुना हो जाएगा। हालांकि, यह सुनने में बहुत सामान्य लग रहा हो, लेकिन इसमें अनुशासन और अवधि का बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शुरू-शुरू में जब फायदा नहीं होता तो ज्यादातर निवेशक धैर्य खो देते हैं, लेकिन कामयाब निवेशक अक्सर जल्दबाजी नहीं दिखाते और लंबे समय तक बाजार में बने रहते हैं।
लेकिन, इसके ठीक उलट कर्ज लेकर इक्विटी में निवेश करना (लीवरेजिंग) दोनों तरफ से घातक हो सकता है। उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे मार्केट में निवेश पर बड़ा नुकसान तो हो ही सकता है, कर्ज का ब्याज भी बहुत बढ़ सकता है। एंट्रस्ट फैमिली ऑफिस इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स के डायरेक्टर एवं को-फाउंडर रमेश बुक्का बताते हैं, 'सफल इक्विटि इन्वेस्टर लीवरेज का इस्तेमाल नहीं के बराबर करते हैं। वो अक्सर लाभांश या दूसरी आमदनी को इक्विटी में लगाते हैं।'
राइट हॉरिजन्स फाइनैंशल सर्विसेज के सीईओ अनिल रेगो ने कहा, 'एक कोर पोर्टफोलियो होना महत्वपूर्ण है जिसे लोगों को तब तक नहीं बेचना चाहिए जब तक कि घर जैसी अहम जरूरतों के लिए पैसे निकालने की जरूरत नहीं पड़े। अच्छी कंपनियां जीडीपी वृद्धि की दर से करीब-करीब दोगुना बढ़ती हैं। इस तरह, लगातार वृद्धि से समय के साथ-साथ निवेश में बड़ा इजाफा होगा। सर्वोत्तम शेयरों से कमाई का मूल मंत्र धैर्य है। टिके रहने की क्षमता नियत आय निवेशों में भी कारगर साबित होती है।'
अफवाहों पर ध्यान न दें
1990 के दशक के मशहूर इन्वेस्टर जोसफ केनडी के जूते चमकाने वाला लड़का ही उन्हें निवेश के लिए शेयरों का सुझाव देने लगा तो उन्होंने इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स से निकलने का फैसला कर लिया। जब स्टॉक मार्केट शानदार तेजी हासिल कर लेता है और सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने लगता है तो काफी शोर-शराबा मचने लगता है। उस वक्त अनुभवहीन लोग शेयर खरीदते या बेचते हैं और निवेश का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद दूसरों के आगे डींग हांकते हैं। यह तरीका जुआ खेलने का होता है, न कि निवेश का। जुआरी सामान्यतः बहुत पैसे गंवाता है और कभी-कभार जीत जाने की वजह से जुआ खेलता रहता है।
कंपनी में निवेश करने से पहले उसे जान लें
कई बार लोग बिजनस को समझे बिना शेयर खरीद लेते हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टेड 5000 से ज्यादा शेयरों में कुछ बेहतरीन का चुनाव कर पाना कठिन काम है। कोई शेयर खरीदने से पहले कुछ बिंदुओं पर विचार करना जरूरी है। जिस तरह हम कमाई के लिए कॉलेज में पढ़ते हैं और प्रफेशनल कोर्स करते हैं, उसी तरह अपने आसपास के बिजनस पर नजरें बनए रहें तो इक्विटी इन्वेस्टमेंट से शानदार कमाई हो सकती है।
कंपनी की वित्तीय सेहत का पता लगाएं
कंपनियों की वित्तीय सेहत का पता लगाने के लिए स्टॉक मार्केट से क्वॉलिटी स्टॉक चुनने में मदद मिलती है। नामी निवेशक वॉरन बफेट ने निवेश के अपने दो महत्वपूर्ण पैमानों के बारे में बताया- स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड (आरओसीई) और प्राइस-अर्निंग्स (पी/ई) रेशियो। आरओसीई किसी कंपनी के मुनाफे के प्रतिशत का सूचकांक होता है।
स्वाभावित तौर पर जिस कंपनी का आरओसीई जितना ज्यादा है, निवेश करने के लिहाज से वह उतना ही बढ़िया है। बैंक की ब्याज दर से नीचे के आरओसीई वाली कंपनियों में निवेश से बचना चाहिए। पी/ई रेशियो से पे बैक पीरियड का पता चलता है। आसान शब्दों में कहें तो कंपनियां कितने सालों में निवेशक को उसकी पूंजी पर निरंतर लाभ देना शुरू कर देती हैं, वह पी/ई कहलाता है। यानी, कम-से-कम पी/ई वाली कंपनियों में निवेश के लिहाज से बेहतर माना जाता है। हालांकि, अगर कोई कंपनी तेजी से बढ़ रही है तो पी/ई ज्यादा हो तो भी निवेश किया जा सकता है, बशर्ते अन्य पहलुओं पर कंपनी खरी उतरे।
निवेश का सही वक्त चुनें
हम किराना सामान और सब्जियां खरीदने में हड़बड़ी नहीं करते, बल्कि इनके सस्ते होने का इंतजार करते हैं और दाम गिरने पर स्टॉक कर लेते हैं। इक्विटीज के साथ भी यही नीति अपनानी चाहिए। 18वीं सदी में बैरन रॉथ्सचाइल्ड ने कहा था, 'खरीदने का सही वक्त वही है जब सड़कें लहू से लाल हों।' उन्होंने उस वक्त खरीदारी की जब नेपोलियन के खिलाफ युद्ध से पहले कोहराम मचा था।
राइट हॉरिजन्स फाइनैंशल सर्विसेज के रेगो ने कहा, 'अपनी पसंद की कंपनियों की एक लिस्ट तैयार करें और थोड़ी-थोड़ी खरीदारी शुरू कर दें। जब कीमत घटे तो कुछ और शेयर खरीद लें और उस वक्त बेच दें जब आपके पड़ोसियों के साथ-साथ अन्य लोगों में उस शेयर की चर्चा हो। सबसे सस्ता खरीदकर सबसे महंगा बेचने का दावा तो कोई जादूगर या बिल्कुल झूठा व्यक्ति ही कर सकता है। बहुत अच्छा रिटर्न पाने के लिए सेंसेक्स पीई रेंज 14 से कम होने पर शेयर खरीदकर इसके 23 के आसपास या इससे ज्यादा होने पर बेचने से मिल सकता है।'
उथल-पुथल के दौर में धैर्य के साथ आगे बढ़ें
कामयाब निवेशक बेहद धैर्यवान होते हैं। वो अपनी भावनाओं को लक्ष्य पर हावी नहीं स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें होने देते। वो मार्केट में मचे कोहराम का असर अपने निवेश पर नहीं होने देते। एंट्रस्ट फैमिली ऑफिस इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स के बुक्का ने कहा, 'कामयाब निवेशकों को पता होता है कि स्टॉक मार्केट्स अर्निंग्स पर निर्भर होते हैं। इसलिए, मार्केट में कोहराम का वक्त उनके लिए अच्छी कंपनियों के शेयर कम कीमतों में खरीदने का सर्वोत्तम मौका प्रदान करता है।' इक्विटी इन्वेस्टमेंट में थोड़ा धैर्य रखना ही पड़ता है। आइशर मोटर्स, एमआरएफ और अजंता फार्मा ने मार्केट में उथल-पुथल के वक्त भी मल्टिबैगर रिटर्न्स दिए थे।
छानबीन करें
अच्छे निवेशक हमेशा अपनी निवेश क्षमताओं से वाकिफ होते हैं। वो बुनियादी रिसर्च भी करते हैं, कंपनियों का विश्लेषण करते हैं, क्वॉलिटी पर ध्यान देते हैं और उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनके प्रॉडक्ट्स और जिनकी नीतियों को वो पसंद करते हैं। कुल मिलाकर उन्हें जो समझ में आ जाए, उनमें बड़े विश्वास के साथ निवेश करते हैं।
छोटे शेयरों के लालच में नहीं आएं
अच्छा निवेशक बनना है तो सामान्य से छोटे शेयरों के लालच में नहीं आएं। बुक्का बताते हैं, 'कामयाब निवेशक यह जानते हैं कि छेटे शेयर में निवेश गंवाना ही पड़ता है। इनमें फायदे के मुकाबले नुकसान की आशंका बहुत ज्यादा होती है। उन्हें अच्छी तरह पता होता है कि जब कभी भी इन छोटे स्टॉक्स की धूम होती है, तब मार्केट बहुत जोखिमों से भरा होता है।'
बहुत घालमेल नहीं करें
निवेश में कामयाबी हासिल करनी है तो निवेश को बेहद पेचीदा नहीं बनाएं और अपने पोर्टफोलियो को साफ-सुथरा रखें। अपने पोर्टफोलियो में तरह-तरह के शेयरों को जगह दें और समझदारी के साथ निवेश करें। बुक्का ने कहा, 'अच्छे निवेशक बार-बार अपनी रणनीति नहीं बदलते रहते। उनका ध्यान भविष्य पर होता है। वो जानते हैं कि लागत कम रखने और लाभांश को दुबारा निवेश कर देने से अच्छी कमाई की जा सकती है।'
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यहां पढ़ें जरुरी जानकारी
अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई को भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो अपनी धन राशि इन्वेस्ट करने से पहले भारत की कमोडिटी मार्केट के सभी विवरणों के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से जरुर पढ़ें.
हमारे देश में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंजों पर कमोडिटी कारोबार में इन्वेस्टमेंट की जा सकती है. कमोडिटी एक्सचेंज के नाम से ही यह पता चलता है कि, यह माल/ कमोडिटी के व्यापार को संदर्भित करता है. वित्तीय बाजार के संदर्भ में इसका सीधा-सा मतलब यह है कि, कमोडिटी एक्सचेंज पर होने वाली अनेक किस्म की वस्तुओं का औपचारिक आदान-प्रदान अर्थात कारोबार करना. इन्वेस्टर्स अपना पैसा कमोडिटी मार्केट में कई अलग-अलग तरीकों से इन्वेस्ट कर सकते हैं. कमोडिटी कंपनियों, म्यूचुअल फंड, या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) द्वारा जारी किए गए शेयर हैं जिन्हें इन्वेस्टर्स द्वारा भविष्य में खुद को मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) के जोखिम से बचाने के लिए खरीदा जा सकता है. अगर आप भी ऐसे ही कुछ इन्वेस्टर्स में से एक हैं जो भारत की कमोडिटी मार्केट में अपना धन इन्वेस्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं तो, कमोडिटी मार्केट के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.
कमोडिटी क्या है?
आसान शब्दों में अगर हम बात करें तो, मूल रूप से कोई भी 'वस्तु' रोजमर्रा की प्रासंगिकता/ जरुरत के सभी सामान जैसेकि भोजन, ऊर्जा, फर्नीचर या धातु का एक समूह या संपत्ति है. हालांकि, इसे प्रकृति से विनिमेय अर्थात (लेने-देने में सुलभ) होना चाहिए ताकि इसका व्यापार किया जा सके. कार्रवाई योग्य दावों और धन को छोड़कर, किसी भी वस्तु अर्थात कमोडिटी को सभी किस्म की चल वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है. आपके कपड़े, जूते, फर्नीचर, खाने-पीने का सारा सामान और दवाइयां, साबुन, तेल आदि सभी ऐसी कमोडिटीज़ हैं जिनका देश-दुनिया में निरंतर लेन-देन या कारोबार होता रहता है.
वस्तुओं/ कमोडिटीज़ में इन्वेस्टमेंट कहां करें?
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंजों पर सभी किस्म की कमोडिटीज़ का कारोबार होता है. यहां कुछ लोकप्रिय कमोडिटी ट्रेड एक्सचेंजों की सूची आपकी सुविधा के लिए दी गई है: -
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - MCX
- नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज - NCDEX
- नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - NMCE
- इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज - ICEX
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लाभ
हमारे देश की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने पर आपको कई फायदे मिलते हैं जैसेकि:
- मुद्रास्फीति के खिलाफ संरक्षण - कमोडिटी एक्सचेंज में कारोबार की जाने वाली कमोडिटीज़ इन्वेस्टर्स को मुद्रास्फीति/ इन्फ्लेशन के कुप्रभावों से बचाती हैं.
- मूल्य में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव-व्यवस्था - आयात और निर्यात के साथ-साथ उत्पाद मूल्य में उतार-चढ़ाव कमोडिटी बाजार को प्रभावित कर सकता है. कमोडिटी फ्यूचर्स में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स को वास्तविक लेनदेन से महीनों पहले तय की गई कीमत पर कमोडिटी खरीदने या बेचने में मदद मिलती है. इस तकनीक को कमोडिटी बाजार में हेजिंग अर्थात बचाव-व्यवस्था के रूप में जाना जाता है.
- विविधीकरण - वस्तुओं में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशिल सिक्यूरिटीज़) के संबंध में अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता ला सकता है.
कमोडिटी कैसे खरीदें अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- कमोडिटी बाजार में कारोबार करने के लिए, एक इन्वेस्टर को सबसे पहले अपना एक DMAT खाता खोलना होगा.
- कमोडिटीज का कारोबार वैसे ही होता है जैसे भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में विभिन्न शेयरों का कारोबार होता है.
- कमोडिटीज में इन्वेस्टमेंट करने के लिए, कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस, कमोडिटी ETF जैसे कई तरीके हैं, जो सीधे भौतिक वस्तुओं (फिजिकल कमोडिटीज़) में इन्वेस्टमेंट करते हैं.
- सभी इन्वेस्टर्स के लिए इस पॉइंट पर पहले ही ध्यान देना बहुत जरुरी है कि, इन्वेस्टमेंट का कौन-सा तरीका उनकी जेब के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा और यह तरीका उनकी कारोबारी जरूरतों से मेल खाता है.
- कमोडिटी ETFs ट्रेडिंग को काफी आसानी बनाते हैं क्योंकि उन्हें स्टॉक की तरह खरीदा जाता है. हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की कीमतों की तरह ही विभिन्न कमोडिटीज़ की भविष्य की कीमतों में भी अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है.
*अस्वीकरण - यह सारी जानकारी केवल आपके वित्तीय स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिए इस आर्टिकल में प्रस्तुत की गई है. इसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यहां पढ़ें जरुरी जानकारी
अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई को भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो अपनी धन राशि इन्वेस्ट करने से पहले भारत की कमोडिटी मार्केट के सभी विवरणों के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से जरुर पढ़ें.
हमारे देश में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंजों पर कमोडिटी कारोबार में इन्वेस्टमेंट की जा सकती है. कमोडिटी एक्सचेंज के नाम से ही यह पता चलता है कि, यह माल/ कमोडिटी के व्यापार को संदर्भित करता है. वित्तीय बाजार के संदर्भ में इसका सीधा-सा मतलब यह है कि, कमोडिटी एक्सचेंज पर होने वाली अनेक किस्म की वस्तुओं का औपचारिक आदान-प्रदान अर्थात कारोबार करना. इन्वेस्टर्स अपना पैसा कमोडिटी मार्केट में कई अलग-अलग तरीकों से इन्वेस्ट कर सकते हैं. कमोडिटी कंपनियों, म्यूचुअल फंड, या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) द्वारा जारी किए गए शेयर हैं जिन्हें इन्वेस्टर्स द्वारा भविष्य में खुद को मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) के जोखिम से बचाने के लिए खरीदा जा सकता है. अगर आप भी ऐसे ही कुछ इन्वेस्टर्स में से एक हैं जो भारत की कमोडिटी मार्केट में अपना धन इन्वेस्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं तो, कमोडिटी मार्केट के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.
कमोडिटी क्या है?
आसान शब्दों में अगर हम बात करें तो, मूल रूप से कोई भी 'वस्तु' रोजमर्रा की प्रासंगिकता/ जरुरत के सभी सामान जैसेकि भोजन, ऊर्जा, फर्नीचर या धातु का एक समूह या संपत्ति है. हालांकि, इसे प्रकृति से विनिमेय अर्थात (लेने-देने में सुलभ) होना चाहिए ताकि इसका व्यापार किया जा सके. कार्रवाई योग्य दावों और धन को छोड़कर, किसी भी वस्तु अर्थात कमोडिटी को सभी किस्म की चल वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है. आपके कपड़े, जूते, फर्नीचर, खाने-पीने का सारा सामान और दवाइयां, साबुन, तेल आदि सभी ऐसी कमोडिटीज़ हैं जिनका देश-दुनिया में निरंतर लेन-देन या कारोबार होता रहता है.
वस्तुओं/ कमोडिटीज़ में इन्वेस्टमेंट कहां करें?
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंजों पर सभी किस्म की कमोडिटीज़ का कारोबार होता है. यहां कुछ लोकप्रिय कमोडिटी ट्रेड एक्सचेंजों की सूची आपकी सुविधा के लिए दी गई है: -
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - MCX
- नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज - NCDEX
- नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - NMCE
- इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज - ICEX
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लाभ
हमारे देश की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने पर आपको कई फायदे मिलते हैं जैसेकि:
- मुद्रास्फीति के खिलाफ संरक्षण - कमोडिटी एक्सचेंज में कारोबार की जाने वाली कमोडिटीज़ इन्वेस्टर्स को मुद्रास्फीति/ इन्फ्लेशन के कुप्रभावों से बचाती हैं.
- मूल्य में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव-व्यवस्था - आयात और निर्यात के साथ-साथ उत्पाद मूल्य में उतार-चढ़ाव कमोडिटी बाजार को प्रभावित कर सकता है. कमोडिटी फ्यूचर्स में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स को वास्तविक लेनदेन से महीनों पहले तय की गई कीमत पर कमोडिटी खरीदने या बेचने में मदद मिलती है. इस तकनीक को कमोडिटी बाजार में हेजिंग अर्थात बचाव-व्यवस्था के रूप में जाना जाता है.
- विविधीकरण - वस्तुओं में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशिल सिक्यूरिटीज़) के संबंध में अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता ला सकता है.
कमोडिटी कैसे खरीदें अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- कमोडिटी बाजार में कारोबार करने के लिए, एक इन्वेस्टर को सबसे पहले अपना एक DMAT खाता खोलना होगा.
- कमोडिटीज का कारोबार वैसे ही होता है जैसे भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में विभिन्न शेयरों का कारोबार होता है.
- कमोडिटीज में इन्वेस्टमेंट करने के लिए, कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस, कमोडिटी ETF जैसे कई तरीके हैं, जो सीधे भौतिक वस्तुओं (फिजिकल कमोडिटीज़) में इन्वेस्टमेंट करते हैं.
- सभी इन्वेस्टर्स के लिए इस पॉइंट पर पहले ही ध्यान देना बहुत जरुरी है कि, इन्वेस्टमेंट का कौन-सा तरीका उनकी जेब के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा और यह तरीका उनकी कारोबारी जरूरतों से मेल खाता है.
- कमोडिटी ETFs ट्रेडिंग को काफी आसानी बनाते हैं क्योंकि उन्हें स्टॉक की तरह खरीदा जाता है. हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की कीमतों की तरह ही विभिन्न कमोडिटीज़ की भविष्य की कीमतों में भी अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है.
*अस्वीकरण - यह सारी जानकारी केवल आपके वित्तीय ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिए इस आर्टिकल में प्रस्तुत की गई है. इसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
The Newsviews
बनना चाहते हैं शेयर बाजार का 'शेर' तो आसान भाषा में समझें सेंसेक्स और निफ्टी का खेल
अगर आप कम समय में कमाना चाहते हैं ज्यादा पैसा. करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश तो जानिये शेयर बाजार का गणित. हम आपको बता रहे हैं क्या है शेयर बाजार और कैसे करता है काम. क्या है BSE और NSE. शेयर बाजार में कितना है खतरा. निवेश के लिए क्या है नियम ?
हैदराबाद: वर्तमान में हर शख्स निवेश और कमाई करना चाहता है, लेकिन वो कहां और कैसे निवेश करें इसकी जानकारी नहीं होती है. कई लोग शेयर बाजार में उतरना चाहते हैं, लेकिन उनके पास शेयर बाजार की समझ नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको शेयर बाजार का सारा गणित बता रहे हैं. जिससे आप आसानी से शेयर बाजार में निवेश और उसके काम करने के तरीकों को जान जाएंगे.
क्या है शेयर बाजार ?
शेयर का मतलब हिस्सा होता है. बाजार खरीद-बिक्री की जगह को कहते हैं. मतलब शेयर बाजार का शाब्दिक अर्थ है हिस्सा खरीदने और बेचने वाली जगह. भारत में दो प्रमुख बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार है. शेयर मार्केट यानी शेयर बाजार में रजिस्टर्ड कंपनियां अपनी हिस्सेदारी खरीदती या बेचती है. शेयर खरीदने और बेचने के लिए BSE या NSE का उपयोग किया जाता है. रजिस्टर्ड कंपनियां शेयर ब्रोकर के जरिये हिस्सेदारी बेचती या खरीदती है. शेयर बाजार में कोई इंडिविजुअल व्यक्ति भी शेयर खरीद या बेच सकता है. इसके लिए उसे कुछ शर्तों का पालन करना होता है. शेयर बाजार में घरेलू कंपनियों या व्यक्ति के साथ विदेशी निवेशक भी निवेश कर सकते हैं.
BSE या NSE में कैसे लिस्ट होती है कंपनियां ?
शेयर बाजार में रजिस्टर्ड होने के लिए कंपनियों को एक लिखित समझौता करना पड़ता है. इसके बाद पूंजी बाजार नियामक यानी सेबी (SEBI) के पास कंपनी को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करानी होती है. दस्तावेजों की जांच और सही पाये जाने के बाद कंपनी BSE या NSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्टेड हो जाती है. BSE या NSE में लिस्टेड कंपनी को समय-समय पर अपनी हर गतिविधि को शेयर बाजार में बतानी होती है. इसमें निवेशकों से जुड़ी लाभ-हानि की जानकारी शामिल होती है.
व्यक्तिगत रूप से कैसे ले सकते हैं शेयर ?
कंपनियों के अलावा कोई भी शख्स इंडिविजुअल यानी व्यक्तिगत रूप से शेयर बाजार में निवेश कर सकता है, यानी किसी भी कंपनी का हिस्सेदारी खरीद या खरीदे हुए हिस्सेदारी को बेच सकता है. इसके लिए निवेशक को किसी ब्रोकर की मदद से एक डीमैट अकाउंट खुलवाना होता है. डीमैट अकाउंट खुलने के बाद शख्स को अपने बैंक अकाउंट से डीमैट अकाउंट को लिंक करना होता है. इसके बाद बैंक अकाउंट से डीमैट अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर ब्रोकर की मदद से या खुद किसी कंपनी के शेयर को खरीद सकते हैं. शेयर खरीदते ही वो डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है, इसके बाद शेयर खरीदने वाला शख्स जब भी चाहें ब्रोकर के माध्यम से या खुद से भी उस हिस्सेदारी को बेच सकते हैं.
कैसे काम करता है शेयर बाजार ?
शेयर बाजार एक तरह से आइडिया बेचने का भी जगह है. जैसे किसी शख्स के पास कोई आइडिया है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं. ऐसे में वो या तो किसी निवेशक से मदद ले सकता है या सीधे शेयर बाजार में आ सकता है. नई कंपनियों को शेयर बाजार में आने के लिए सेबी (पूंजी बाजार नियामक) की कुछ शर्तों को माननी जरूरी है. शेयर बाजार में सिर्फ नई कंपनी ही नहीं पुरानी कंपनियां भी आ सकती है. शेयर बाजार में आने के बाद लोग या दूसरी कंपनियां उस कंपनी की हिस्सेदारी को खरीदेगी.
शेयर में निवेश कर बन सकते हैं अमीर!
दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहते है. इसके लिए सभी अपने-अपने तरह से प्रयास भी करते हैं. वैसे तो अमीर बनने के कई रास्ते भी होते हैं, लेकिन कई बार ऐसे रास्तों में जोखिम भी ज्यादा होता है. अमीर बनने के लिए शेयर बाजार भी एक रास्ता है. जिससे लोग कम समय में अमीर बन सकते हैं, हालांकि इसमें जोखिम भी है. शेयर बाजार में निवेश करते वक्त किसी को भी काफी सावधान रहना होता है. निवेश से पहले सतर्कता और प्लानिंग की जरूरत होती है. हमेशा एक बेहतर प्लानिंग के साथ किए गए निवेश का अच्छा आउटकम आता है. ऐसे में अगर निवेशक के पास निवेश करने के लिए अच्छी रकम है तो वो अच्छी कमाई भी कर सकता है. शेयर मार्केट का एक नियम कहता है स्टॉक एक्सचेंज में किसी व्यक्ति की कमाई कैसे करें कि थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्टमेंट बेहतर रिटर्न की गारंटी देता है.
क्या है सेंसेक्स और निफ्टी ?
शेयर बाजार में हमेशा सेंसेक्स और निफ्टी का जिक्र आता है. दरअसल, सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स यानी सूचकांक होता है. सेंसेक्स अंग्रेजी के दो शब्द सेंसिटिव और इंडेक्स से बना है. जिसे हिंदी में सूचकांक कहते हैं. कंपनियों की आर्थिक मूल्यांकन सेंसेक्स से ही होता है. सेंसेक्स शेयर बाजार में कंपनियों के वित्तीय हालात का पैमाना होता है. भारत में 30 कंपनियां ही बीएसई में लिस्टेड होती है, जिसका सेंसेक्स अनुमानित होता है. ये कंपनियां स्थाई नहीं होती है. समय-समय पर ये कंपनियां बदलती रहती है. इंडेक्स कमेटी इन 30 कंपनियों का चुनाव करती है.
निफ्टी भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक होता है. निफ्टी अंग्रेजी के दो शब्द नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना है. इसके तहत 22 अलग-अलग सेक्टर की 50 कंपनियां लिस्टेड होती है. इन 50 कंपनियों के आर्थिक मूल्यांकन निफ्टी सूचकांक से तय होता है. सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा भी कई सूचकांक होते हैं. हालांकि भारत में यहीं दोनों सूचकांक महत्वपूर्ण है.
शेयर भाव में क्यों होता है उतार-चढ़ाव?
शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों का सूचकांक बढ़ते-घटते रहता है. इसके पीछे कंपनी के कामकाज के तरीके, नए ऑर्डर मिलने, प्रोडक्ट के नतीजे, कंपनी का मुनाफा पर निर्भर करता है. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां हर दिन कारोबार करती है. जिसमें कुछ न कुछ बदलाव होते रहता है. इन्हीं बदलावों पर कंपनियों का मूल्यांकन होता है. कंपनियों के मूल्यांकन के आधार पर उसके शेयर का भाव बढ़ते या घटते रहता है. इन सबके बीच अगर कोई कंपनी सेबी के नियमों या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शर्तों के साथ कोई छेड़छाड़ करती है, तो उस कंपनी को लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है.