क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है?

रेप के आरोपी चिन्मयानंद को क्यों बचाना चाहती है उत्तर प्रदेश सरकार?
वीडियो: यूपी सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे स्वामी चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ दर्ज बलात्कार के मुक़दमे को वापस लेने की पैरवी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया. The post रेप के आरोपी चिन्मयानंद को क्यों बचाना चाहती है उत्तर प्रदेश सरकार? appeared first on The Wire - Hindi.
क्रिप्टोक्यूरेंसी भविष्य: आरबीआई जल्द ला रही अपनी डिजिटल मुद्रा, जानें यह बिटकॉइन से कितनी अलग
दिल्ली | भारत सरकार ने एक दिन पहले घोषणा की कि उसने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने वाले विधेयक को स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। निर्णय को लोकसभा बुलेटिन में घोषित किया गया था। इस निर्णय ने क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में एक लहर प्रभाव डाला है। क्योंकि देश में बिटकॉइन, सोलाना, डॉगकोइन की कीमतें दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं। जबकि आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी के संचलन को विनियमित करना चाहता है, यह भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई द्वारा जारी एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की शुरूआत के लिए एक रूपरेखा बनाने का भी प्रस्ताव करता है। लोकसभा की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए विधायी व्यवसाय को सूचीबद्ध करने वाले बुलेटिन के अनुसार बिल भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का भी प्रयास करता है हालांकि यह कुछ अपवादों को क्रिप्टोकरेंसी और इसके उपयोग की अंतर्निहित तकनीक को क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? बढ़ावा देने की अनुमति देता है। ( cryptocurrency future )
निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक
संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ब्लॉकचेन तकनीक को बढ़ावा देने की कुछ उम्मीदों के साथ भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक पेश किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करने के लिए यह केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की शुरूआत के संबंध में जोड़ा गया। लोकसभा बुलेटिन ने आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन के बारे में कोई अन्य विवरण नहीं दिया।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या CBDC एक केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी कानूनी निविदा है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट मुद्रा के साथ एक-से-एक विनिमय योग्य है। केवल उसका रूप भिन्न है। बैंक द्वारा जारी एक बयान में, आरबीआई सीबीडीसी और क्रिप्टोकुरेंसी के बीच अंतर का वर्णन करता है। सीबीडीसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन यह निजी आभासी मुद्राओं से तुलनीय नहीं है जो पिछले एक दशक में बढ़ी है। निजी आभासी मुद्राएं पैसे की ऐतिहासिक अवधारणा के लिए पर्याप्त बाधाओं पर बैठती हैं। वे पण्य वस्तु या वस्तुओं पर दावे नहीं हैं क्योंकि उनका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है। कुछ का दावा है कि वे सोने के समान हैं स्पष्ट रूप से अवसरवादी प्रतीत होते हैं। आमतौर पर, निश्चित क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? रूप से अब सबसे लोकप्रिय लोगों के लिए, वे किसी भी व्यक्ति के ऋण या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। कोई जारीकर्ता नहीं है। वे पैसा नहीं हैं (निश्चित रूप से मुद्रा नहीं) क्योंकि यह शब्द ऐतिहासिक रूप से समझा जाने लगा है। इस संबंध में, सीबीडीसी कुछ ऐसा होगा जो बैंकिंग प्रणाली का समर्थन करता है या मौजूदा ढांचे की तारीफ करता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के क्रेज को लेकर केंद्रीय बैंक की चिंता ( cryptocurrency future )
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रा के रूप में मान्यता न दिए जाने के बावजूद डिजिटल टोकन और भारत में इसके क्रेज को लेकर केंद्रीय बैंक की चिंताओं को बार-बार दोहराया है। इस मुद्दे पर महीने की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक में चर्चा की गई थी, जिन्होंने अवैध काम के लिए क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल के बारे में भी चिंता व्यक्त की है। इस महीने की शुरुआत में इस मुद्दे पर प्रधान मंत्री की बैठक में, आम सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम ‘प्रगतिशील और दूरदर्शी’ होंगे। तब यह भी चर्चा हुई कि “अनियमित” क्रिप्टो बाजारों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ता नहीं बनने दिया जा सकता है। सरकार के सूत्रों ने विधेयक को पेश करने के केंद्र के फैसले पर कहा। उन्होंने बुधवार को कहा कि एक सख्त तंत्र स्थापित किया जाएगा ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां गैरकानूनी या राष्ट्र-विरोधी कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी की उत्पत्ति का पता लगा सकें। ( cryptocurrency future )
Darbhanga News: जब अचानक खाली हो गया था दरभंगा का यह पूरा गांव, जानिए वजह
News18 हिंदी 03-11-2022 News18 Hindi
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रिपोर्ट- अभिनव कुमार
दरभंगा. दरभंगा में गांव अचानक से खाली हो गया. इस दौरान सभी घर के दरवाजे बंद थे और लोग बाहर थे. पास के बगीचे में सभी लोग इकट्ठा थे. दरअसल बुधवार को अक्षय नवमी के दिन इस गांव के सभी परिवार एक साथ गांव से बाहर बगीचे में आंवला पेड़ के नीचे खड़े थे. पूछने पर बुगुर्गो ने बताया कि गांव के सभी लोग एक साथ बैठकर खाते हैं. इस दिन आपको गांव में एक भी व्यक्ति नहीं दिखेंगे. जो दिख जाएंगे वह काफी उम्रदराज और चलने फिरने में असमर्थ होते हैं.
इस दिन यह गांव के लोग महापर्व के तौर पर मनाते हैं और काफी हर्ष उल्लास के साथ लोग आपस में बैठकर गांव से बाहर बगीचे में भोजन ग्रहण करते हैं. आज के दौर में भी जहां एक तरफ लोक परिवार से अलग देखे जाते हैं. वहीं इस बहादुरपुर प्रखण्ड क्षेत्र के जलवार पंचायत अंतर्गत आने वाली टेंउआगांव के सैकड़ों परिवार एक साथ बगीचा में आंवला पेड़ के नीचे भोजन ग्रहण करते हैं. इस दिन इस गांव में आपको चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा ही दिखेगा.
सदियों से चली आ रही परंपरा
इस गांव के स्थानीय निवासी सौरभ कुमार और अर्चना देवी बताती है कि अक्षय नवमी पूरे गांव मिलकर बगीचा में मनाते हैं. इसी कारण से पूरा गांव आपको खाली दिख रहा है. सारे गांव के लोग एक साथ मिलकर अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाते हैं. सभी गांव वाले मिलकर एक साथ भोजन करते भी हैं. सभी लोग भोजन करने के बाद ही अपने घर वापस लौटते हैं. सभी लोग आज के दिन बगीचा में ही आपको दिखेंगे गांव में कोई भी आपको नहीं दिखेगा. क्योंकि हम लोग इसे महापर्व के तौर पर मनाते हैं. सब लोग साथ मिलकर खाते भी हैं .
अक्षय नवमी की विशेषता
दरभंगा के ज्योतिषाचार्य डॉ धीरज कुमार झा बताते हैं कि अक्षय नवमी महापर्व के तौर पर भी लोग मनाते हैं. 1 नवंबर को रात्रि 1:19 बजे से 2 नवंबर को रात्रि 11:05 बजे तक नवमी तिथि इस बार का है. यह पर्व खास इसलिए भी कहा जाता है कि किसी भी युग का परिवर्तन अक्षय नवमी के दिन ही होता है. लोगों की यह मान्यता भी है कि कलयुग का प्रारंभ आज के दिन ही हुआ था. लेकिन किसी भी युग का प्रारंभ होता है तो वह अक्षय नवमी के दिन ही होता क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? है. युग परिवर्तन अक्षय नवमी के दिन होता है.
चाहे वह सतयुग हो त्रेतायुग हो या फिर द्वापरयुग हो आज के दिन लोग आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाते हैं और भोजन बन जाने के बाद एक बार आंवला के पेड़ को हिला देते हैं ताकि उसके पत्ते भोजन में और व्यक्तियों के ऊपर गिरे ताकि वह शुद्ध हो जाए. आज के दिन आंवले से बना एक व्यंजन भोजन में अवश्य होना चाहिए. इस पर्व के करने से सुख समृद्धि उन लोगों को प्राप्त होती है और संतान की भी प्राप्ति होती है.
विदेशों बाजारों में तेजी के बीच स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन, बिनौला और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। मूंगफली सहित बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर: विदेशी बाजारों क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन, बिनौला और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया. मूंगफली सहित बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे. बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में आयात शुल्क में कमी होने के बाद विदेशों में तेल-तिलहनों के भाव क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? मजबूत होने से यहां तेजी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि शुल्क घटाने से पहले वायदा कारोबार में सीपीओ के अक्टूबर डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव 115 रुपये किलो था जो अभी 113.50 रुपये किलो है जबकि आयात शुल्क 13 रुपये प्रति किलो घटाया गया है. इससे उपभोक्ताओं को कोई विशेष फायदा तो नहीं हुआ, उल्टे सरकार को राजस्व की हानि हुई है.यह भी पढ़े: भारत में खाद्य तेल की कीमतों में लगातार आ रही है गिरावट, जानें पाम-सोया और सरसों के तेल के दाम
बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में आयात शुल्क में कमी होने के बाद विदेशों में तेल-तिलहनों के भाव मजबूत होने से यहां तेजी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि शुल्क घटाने से पहले वायदा कारोबार में सीपीओ के अक्टूबर डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव 115 रुपये किलो था जो अभी 113.50 रुपये किलो है जबकि आयात शुल्क 13 रुपये प्रति किलो घटाया गया है. इससे उपभोक्ताओं को कोई विशेष फायदा तो नहीं हुआ, उल्टे सरकार को राजस्व की हानि हुई है.
उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव तेज हुए हैं.सूत्रों ने कहा कि आत्मनिर्भर होने के लिए शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार को शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय अगर गरीब जनता को सही में राहत ही देनी है, तो उसे तेल आयात कर सीधे पीडीएस के माध्यम से उन्हें खाद्य तेल उपलब्ध कराना चाहिये क्योंकि आयात शुल्क में जितनी कटौती की गई होती है, खुदरा कारोबार में भाव पहले की तरह बनाये रखे जाते हैं और कोई विशेष लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिलता.
लेकिन पीडीएस के माध्यम से तेल उपलब्ध हो तो गरीब जनता को इसका सीधा लाभ मिल सकता है.उन्होंने कहा कि मलेशिया का निर्यात अभी नीचे है लेकिन शुल्क कटौती के बाद वहां बाजार मजबूत हो गये हैं.सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग दो-तीन महीने में सरकार ने सोयाबीन पर आयात शुल्क में लगभग 38 रुपये किलो के हिसाब से शुल्क घटाया है जिसका समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचा है. इससे देश को विदेशी मुद्रा की हानि तो होती ही है, तिलहन उत्पादन किसानों को भी तिलहन भाव की अनिश्चितता को लेकर झटका लगता है.
सूत्रों ने कहा कि त्योहारी और सर्दियों की मांग बढ़ने के बीच सरसों क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? की किल्लत है. मांग के मुकाबले सरसों की उपलब्धता आधी से भी कम है. गरीब लोग तो सरसों छोड़कर पामोलीन खा रहे हैं और अब उन्हें शायद अगली फसल के बाद ही सरसों उपलब्ध हो.उन्होंने कहा कि सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 9,200 रुपये से बढ़ाकर 9,350 रुपये क्विंटल कर दिया गया. इससे सरसों में सुधार है. उन्होंने कहा कि चालू सत्र में सरसों के अनुभव से सबक लेते हुए सरकार को सरसों की अगली फसल की खरीद के दौरान इस तिलहन के 5-10 लाख टन का स्थायी स्टॉक बनाकर रखना चाहिये क्योंकि सरसों तिलहन दो तीन साल खराब नहीं होता. सरसों का कोई विकल्प नहीं है.
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा की मांग के कारण बिनौला तेल के भाव भी सुधार के साथ बंद हुए. उन्होंने कहा कि मूंगफली का तेल महाराष्ट्र और गुजरात में प्रचलन में है और उत्तर भारत में इसका चलन काफी कम है. सामान्य कारोबार के बीच क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत रहे.सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की निर्यात मांग कम हुई है. इस वजह से सोयाबीन तिलहन के भाव भी पूर्ववत ही बंद हुए.उन्होंने कहा कि बेमौसम बरसात से कुछ तिलहन फसलों (मूंगफली और सोयाबीन) के प्रभावित होने की क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है? सूचना मिल रही है जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बिजाई वाली सरसों की फसल के बड़े भूभाग के प्रभावित होने की सूचना है. जिसका ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है.
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 8,920 - 8,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये.
मूंगफली - 6,285 - 6,370 रुपये.
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,300 रुपये.
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,080 - 2,210 रुपये प्रति टिन.
सरसों तेल दादरी- 18,100 रुपये प्रति क्विंटल.
सरसों पक्की घानी- 2,720 -2,760 रुपये प्रति टिन.
सरसों कच्ची घानी- 2,795 - 2,905 रुपये प्रति टिन.
तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,500 - 18,000 रुपये.
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,100 रुपये.
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,700 रुपये.
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,550
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,350 रुपये.
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,950 रुपये.
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,100 रुपये.
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,950 (बिना जीएसटी के).
सोयाबीन दाना 5,425 - 5,625, सोयाबीन लूज 5,175 - 5,275 रुपये.
मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये.
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भारत में अगले 3 माह में फिर 80 प्रति डॉलर के सार्वकालिक निचले स्तर पर गिर सकता है रुपया :
rupee may fall again
नई दिल्ली: हाल ही में रिकवरी देखने के बावजूद भारतीय रुपया अगले तीन महीनों में एक बार फिर 80 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच सकता है. रॉयटर्स के एक पोल में विदेशी एक्सचेंज रणनीतिकारों ने बढ़ते ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) और सुरक्षित निवेश माने जाने वाले यूएस डॉलर में ग्लोबल निवेशकों की निर्भरता के आधार पर यह बात कही. रुपया एक महीने से 80.065 के आसपास ट्रेड कर रहा था, लेकिन मंगलवार को यह 78.490 प्रति डॉलर के साथ अपने एक महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा था.
हालांकि आशंका है कि यह राहत लंबे समय तक कायम नहीं रहेगी. 1-3 अगस्त को जारी हुए 40 विश्लेषकों के रॉयटर्स के पोल में यह सामने आया है कि रुपया अक्टूबर के अंत तक 80 प्रति डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा होगा.
लगभग आधे विश्लेषकों ने संभावना जताई कि रुपया या तो अगले तीन महीनों में 80 प्रति डॉलर तक चला जाएगा या तो इसे पार कर जाएगा. वहीं बाकी विश्लेषकों ने तो यह भी कहा कि इस अवधि में करेंसी नया सर्वकालिक स्तर देख सकती है.
रुपये का सबसे निचला स्तर क्या हो सकता है, इसपर 16 विश्लेषकों ने 79.75-81.80 प्रति डॉलर के रेंज के साथ औसतन 80.50 प्रति डॉलर की सीमा दी.
रुपये की दशा-दिशा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर भी निर्भर करेगी. इस हफ्ते केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में संशोधन का ऐलान करने वाला है. रॉयटर्स के एक अन्य पोल में कहा गया था कि आरबीआई शुक्रवार को अपनी घोषणा में रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट तक की बढ़ोतरी कर सकती है. अभी यह 4.90 प्रतिशत पर चल रहा है.
अगर रुपये के आज की ट्रेडिंग की बात करें तो अमेरिका और चीन के बीच तनाव व निराशाजनक व्यापक आर्थिक आकंड़ों से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई और इसके चलते रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.51 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर आ गया था. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.21 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.51 के स्तर पर खिसक गया. बुधवार को, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 62 पैसे गिरकर 79.15 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो चालू वित्त वर्ष में एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट थी.