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विदेश में करियर बनाने के लिए अपनी बिक्री और विपणन कौशल का लाभ उठाएं
कुशल बिक्री और विपणन पेशेवरों के साथ संगठनात्मक तल-रेखाओं को बदलने की क्षमता इतनी अच्छी कभी नहीं रही। वैश्विक अर्थव्यवस्था फलफूल रही है क्योंकि अधिक ग्राहक बाजार में प्रवेश करते हैं और बिक्री पेशेवरों की भारी मांग है। रणनीतिक विचारक अपने उत्पादों को अच्छी तरह से स्थापित करने और पिच करने की दृष्टि से अब कंपनियों के विकास के लिए आवश्यक हैं। यदि आप बाजार में कमियों की पहचान करने और कंपनियों को इसका फायदा उठाने में मदद करने के लिए एक विपणन पेशेवर हैं, तो आपके लिए बहुत बड़ा अवसर इंतजार कर रहा है। Y-Axis आपको विदेश में अपनी बिक्री और मार्केटिंग करियर बनाने के लिए खुद को स्थापित करने और संभावित नियोक्ताओं तक पहुंचने में मदद कर सकता है। हमारी सिद्ध प्रक्रिया आपको विदेश में काम करने के लिए अपनी यात्रा शुरू करने के लिए सही देशों और अवसरों की पहचान करने में मदद करती है।
वे देश जहां आपके कौशल की मांग है
- UK
- अमेरिका
- कनाडा
- जर्मनी
- ऑस्ट्रेलिया
- सिंगापुर
- संयुक्त अरब अमीरात
शैक्षिक आवश्यकता
- बिक्री / प्रबंधन में स्नातक
- एक निश्चित प्रकार की बिक्री में विशेषज्ञता होने पर तकनीकी डिग्री
- आईईएलटीएस/पीटीई/टीओईएफएल स्कोर
- 2-3 साल का कार्य अनुभव
हायरिंग कंपनियों के प्रकार
आमतौर पर निम्नलिखित क्षेत्रों की कंपनियां बिक्री पेशेवरों को नियुक्त करना चाहती हैं:
इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर, लगातार बढ़ रहा विदेशी मुद्रा का खजाना, ये है डिटेल
11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। अगस्त 2021 के बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस सप्ताह सबसे तेज वृद्धि हुई है।
देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है। दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.537 अरब डॉलर बढ़कर 547.252 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसमें लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। अगस्त 2021 के बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस सप्ताह सबसे तेज वृद्धि हुई है।
बता दें कि अक्टूबर 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। वैश्विक घटनाक्रम के बीच केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का उपयोग करने की वजह से इसमें कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.76 अरब डॉलर बढ़कर 484.288 अरब डॉलर हो गईं।
इसके अलावा गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी सप्ताह के दौरान 31.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 40.011 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्राभंडार भी 11.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.047 अरब डॉलर हो गया।
IMF ने कहा- महंगाई से पूरी दुनिया परेशान, लेकिन भारत के हालात अच्छे, कुछ देशों पर तो मंदी का भी खतरा
भारत के पास अभी करीब 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की दावोस में चल रही बैठक के दौरान आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भारत की मौजूदा आ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 24, 2022, 17:43 IST
नई दिल्ली. दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने सीएनबीसी सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा समाचार साइट कौन सी है आवाज के साथ बातचीत में कहा कि महंगाई से भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है. भारत की स्थिति तो फिर भी बेहतर है, जबकि कुछ देशों पर तो मंदी का खतरा मंडरा रहा है.
गोपीनाथ ने कहा, “वैसे तो भारत में उपभोक्ता आधारित खुदरा महंगाई सूचकांक (CPI) लगातार तीसरे महीने बढ़ा है, लेकिन दूसरे देशों के मुकाबले भारत के हालात अच्छे हैं. भारत की वित्तीय स्थिति भी अन्य देशों से बेहतर है.” IMF की पहली डिप्टी एमडी गोपीनाथ ने कहा कि कई देशों में तो तकनीकी तौर पर मंदी भी आ सकती है, लेकिन भारत को इससे डरने की जरूरत नहीं है.
मजबूत है विदेशी मुद्रा भंडार
IMF की मुख्य अर्थशास्त्री का कहना है कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है. जीएसटी सहित अन्य टैक्स कलेक्शन भी शानदार रहा है. आरबीआई के पास मौजूद करीब 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी आपात स्थिति में संभालने के लिए पर्याप्त है. ऐसे में भारत के पास महंगाई और मंदी से लड़ने के लिए पर्याप्त साधन हैं, जो अन्य देशों से इसकी स्थिति को अलग करते हैं.
पीयूष गोयल की अपील-महंगाई से लड़ने में साथ दें कंपनियां
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दावोस के मंच से कॉरपोरेट जगत का साथ मांगा. उन्होंने कहा कि देश में महंगाई की स्थिति गंभीर होती जा रही है और कॉरपोरेट जगत को इस चुनौती से पार पाने में सरकार का साथ देना चाहिए. सरकार और आरबीआई अभी महंगाई से लड़ने के लिए नीतिगत फैसले ले रहे हैं, लेकिन ब्याज दरें ज्यादा बढ़ाने से विकास दर प्रभावित होगी. लिहाजा कॉरपोरेट जगत को इसमें सरकार का साथ देना चाहिए.
बेहतर हैं आईटी क्षेत्र की संभावनाएं
सीएनबीसी-आवाज ने आईटी क्षेत्र के भविष्य को लेकर इन्फोसिस और एचसीएल जैसी कंपनियों के प्रमुखों से बातचीत की है. उनका कहना है कि भारत में आगे भी आईटी क्षेत्र के लिए काफी संभावनाएं हैं. इन्फोसिस के एमडी सलिल पारेख ने कहा कि बड़ी कंपनियों का फोकस अभी डिजिटलीकरण पर है और देश में डिमांड की रफ्तार भी बेहतर है. एचसीएल टेक के सीईओ सी विजयकुमार ने कहा, “भारत में आईटी क्षेत्र की डिमांड बेहतर है और कंपनियों का फोकस डिजिटल ग्रोथ पर दिख रहा है.”
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भारत सरकार कृषि मंत्रालय के सहयोग से
कृषि संबंधित जानकारी
जैविक खेती
विभागीय गतिविधियाँ
लहसुन को ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है वैसे लहसुन के लिये गर्मी और सर्दी दोनों ही कुछ कम रहे तो उत्तम रहता है अधिक गर्मी और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिये उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिये अच्छे होते है इसकी सफल खेती के लिये 29.35 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70% आद्रता उपयुक्त होती है
इसके लिये उचित जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी होती है। भारी भूमि में इसके कंदों का भूमि विकास नहीं हो पाता है। मृदा का पी. एच. मान 6.5 से 7.5 उपयुक्त रहता है। दो - तीन जुताइयां करके खेत को अच्छी प्रकार समतल बनाकर क्यारियां एवं सिंचाई की नालियां बना लेनी चाहिये।
यमुना सफेद 1 (जी-1)
यमुना सफेद 1 (जी-1) इसके प्रत्येक शल्क कन्द ठोस तथा बाह्य त्वचा चांदी की तरह सफेद ए कली क्रीम के रंग की होती है। 150-160 दिनों में तैयार हो जाती है पैदावार 150-160 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है।
प्रदेश में उक्त किस्मों के अलावा स्थानीय किस्में महादेव, अमलेटा आदि को भी किसान अपने स्तर पर सफलतापूर्वक खेती कर रहे है।
लहसुन की बुवाई का उपयुक्त समय ऑक्टोबर -,नवम्बर होता है।
खाद व उर्वरक की मात्रा भूमि की उर्वरता पर निर्भर करती है। सामान्यतौर पर प्रति हेक्टेयर 20-25 टन पकी गोबर या कम्पोस्ट या 5-8 टन वर्मी कम्पोस्ट, 100 कि.ग्रा. नत्रजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 50 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता होती है। इसके लिए 175 कि.ग्रा. यूरिया, 109 कि.ग्रा., डाई अमोनियम फास्फेट एवं 83 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश की जरूरत होती है। गोबर की खाद, डी.ए. पी. एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि मे मिला देनी चाहिए। शेष यूरिया की मात्रा को खडी फसल में 30-40 दिन बाद छिडकाव के साथ देनी चाहिए।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का उपयोग करने से उपज मे वृद्धि मिलती है। 25 कि.ग्रा. जिन्क सल्फेट प्रति हेक्टेयर 3 साल में एक बार उपयोग करना चाहिए । टपक सिचाई एवं फर्टिगेशन का प्रयोग करने से उपज में वृद्धि होती है जल घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग टपक सिर्चाइ के माध्यम से करें ।
सिंचाई एवं जल निकास
बुआई के तत्काल बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। शेष समय में वानस्पतिक वृद्धि के समय 7-8 दिन के अंतराल पर तथा फसल परिपक्वता के समय 10-15 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहना चाहिए। सिंचाई हमेशा हल्की एवं खेत में पानी भरने नही देना चाहिए। अधिक अंतराल पर सिंचाई करने से कलियां बिखर जाती हैं ।
जड़ों में उचित वायु संचार हेतु खुरपी या कुदाली द्वारा बोने के 25-30 दिन बाद प्रथम निदाई-गुडाई एवं दूसरी निदाई-गुडाई 45-50 दिन बाद करनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण हेतु प्लुक्लोरोलिन 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व बुआई के पूर्व या पेड़ामेंथिलीन 1 किग्रा. सक्रिय तत्व बुआई बाद अंकुरण पूर्व 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए।
थ्रिप्स - यह छोटे और पीले रंग के कीट होते है जो पत्तियों का रस चूसते है। जिससे इनका रंग चितकबरा दिखाई देने लगता है। इनके प्रकोप से पत्तियों के शीर्ष भूरे होकर एवं मुरझाकर सू ख जाते हैं।
नियंत्रण:-
इस कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 5 मिली./15 ली. पानी या थायेमेथाक्झाम 125 ग्राम / हे. + सेंडोविट 1 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करना चहिए।
शीर्ष छेदक कीट - इस कीट की मैगट या लार्वी पत्तियों के आधार को खाते हुये शल्क कंद के सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा समाचार साइट कौन सी है अंदर प्रवेश कर सड़न पैदा कर फसल को नुकसान पहुँचाती है ।
नियंत्रण:-
1. उपयुक्त फसलचक्र व उन्नत तकनीक से खेती करें ।
2. फोरेट 1-1.5 कि.ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिडक कर मिलावें।
3. इमिडाक्लोप्रिड 5 मिली./15 ली. पानी या थायेमेथाक्झाम 125 ग्राम / हे. + सेंडोविट 1 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करना चहिए।
बैंगनी धब्बा - बैंगनी धब्बा रोग (पर्पिल ब्लाच) इस रोग के प्रभाव से प्रारम्भ में पत्तियों तथा उर्ध्व तने पर सफेद एवं अंदर की तरफ धब्बे बनते है, जिससे तना एवं पत्ती कमजोर होकर गिर जाती है। फरवरी एवं अप्रेल में इसका प्रक्रोप ज्यादा होता है।
रोकथाम एवं नियंत्रण सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा समाचार साइट कौन सी है
1 .मैकोजेब+कार्बेंडिज़म 2.5 ग्राम दवा के सममिश्रण से प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर बुआई करें।
2. मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बेंडिज़म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कवनाशी दवा का 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिडकाव करें।
3. रोग रोधी किस्म जैसे जी-50 , जी-1, जी 323 लगावें।
झुलसा रोग - रोग से प्रक्रोप की स्थिति में पत्तियों की उर्ध्व स्तम्भ पर हल्के नारंगी रंग के धब्बे बनते है ।
नियंत्रण
मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बेंडिज़म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कवनाशी दवा का15 दिन के अंतराल पर दो बार छिडकाव करें अथवा कापर आक्सीक्लोराईड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी सेंडोविट 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कवनाशी दवा का15 दिन के अंतराल पर दो बार छिडकाव करें।
लहसुन 50% गर्दन गिरावट के स्तर पर काटा जाना चाहिए।
खुदाई एवं लहसुन का सुखाना - जिस समय पौधौं की पत्तियाँ पीली पड़ जायें और सूखने लग जाये सिंचाई बन्द कि देनी चाहिए । इसके बाद गाँठो को 3-4 दिनों तक छाया में सुखा लेते हैं। फिर 2 से 2.25 से.मी. छोड़कर पत्तियों को कन्दों से अलग कर लेते हैं । कन्दो को साधारण भण्डारण में पतली तह में रखते हैं। ध्यान रखें कि फर्श पर नमी न हो । लहसुन पत्तियों के साथ जुड़े बांधकर भण्डारण किया जाता है।
छटाई . लहसुन को बाजार या भण्डारण में रखने के लिए उनकी अच्छी प्रकार छटाई रखने से अधिक से अधिक लाभ मिलता है तथा भण्डारण में हानि काम होती है इससे कटे फटे बीमारी तथा कीड़ों से प्रभावित लहसुन छांटकर अलग कर लेते हैं।
लहसुन की उपज उसकी जातियों भूमि और फसल की देखरेख पर निर्भर करती है प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल उपज मिल जाती है |
अच्छी प्रक्रिया से सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा समाचार साइट कौन सी है सुखाये गये लहसनु को उनकी छटाई कर के साधारण हवादार घरो में रख सकतेहैं। 5.6 महीने भण्डारण से 15.20 प्रतिशत तक का नुकसान मुख्य रूप से सूखने से होता है। पत्तियों सहित बण्डल बनाकर रखने से कम हानि होती है।