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अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें?

वैश्विक म्युचुअल फंड

जैसा कि ऊपर वर्णित है, ग्लोबल म्यूचुअल फंड एक निवेश उपकरण है जो आपको अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश करने की अनुमति देता है। सीधे शब्दों में कहें तो ग्लोबल म्यूचुअल फंड को एक म्यूचुअल/एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो मुख्य रूप से उन कंपनियों/उद्यमों में निवेश करता है जो दुनिया भर में फैले हुए हैं।

क्या ग्लोबल म्यूचुअल फंड इंटरनेशनल फंड के समान हैं?

नहीं! और यहाँ एक महत्वपूर्ण अंतर है कि प्रत्येकइन्वेस्टर समझना चाहिए। एक अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड केवल विदेशी बाजारों में निवेश करता है और निवेशक के घर में कोई निवेश नहीं होता हैमंडी.

दूसरी ओर, एक ग्लोबल फंड सभी उपलब्ध बाजारों में निवेश करेगा; निवेशक का अपना देश भी शामिल है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारिक कंपनी है जो पूरे एशिया और मध्य पूर्वी क्षेत्रों के बाजारों में निवेश करती है, और अभी भी भारतीय बाजार के लिए एक निश्चित निवेश अलग रखा है, तो यह बिल्कुल ग्लोबल म्यूचुअल फंड की तरह काम करेगा। अगर, हालांकि, यह ट्रेडिंग कंपनी भारत को छोड़कर दुनिया भर के सभी देशों में निवेश करती है, तो हम करेंगेबुलाना यह एकअंतरराष्ट्रीय कोष.

वैश्विक म्युचुअल फंड में निवेश के लाभ

वैश्विकम्यूचुअल फंड्स उन निवेशकों के लिए बहुत अच्छा है जो अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहते हैं। विविधीकरण जोखिम प्रबंधन में मदद करता है, और इसके द्वारानिवेश कई बाजारों में आप उच्च लाभ कमा सकते हैं। ग्लोबल म्युचुअल फंड में निवेश करने की समय अवधि आम तौर पर अधिक होती है, इसलिए यह लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।

वैश्विक म्युचुअल फंड की विशेषताएं

ग्लोबल म्यूचुअल फंड की कुछ विशिष्ट विशेषताएं नीचे दी गई हैं:

*निवल संपत्ति वाले फंड 10 करोड़ अधिक और पिछले तीन साल के रिटर्न के आधार पर छांटे गए।

1. ICICI Prudential Global Stable Equity Fund

ICICI Prudential Global Stable Equity Fund (the Scheme) is an open-ended fund of funds scheme that seeks to provide adequate returns by investing in the units of one or more overseas mutual fund schemes, which have the mandate to invest globally. Currently the Scheme intends to invest in the units/shares of Nordea 1 – Global Stable Equity Fund – Unhedged (N1 – GSEF - U). The fund manager may also invest in one or more other overseas mutual fund schemes, with similar investment policy/fundamental attributes and risk profile and is in accordance with the investment strategy of the Scheme. The Scheme may also invest a certain portion of its corpus in domestic money market securities and/or money market/liquid schemes of domestic mutual funds including that of ICICI Prudential Mutual Fund, in order to meet liquidity requirements from time to time.

ICICI Prudential Global Stable Equity Fund is a Equity - Global fund was launched on 13 Sep 13. It is a fund with High risk and has given a CAGR/Annualized return of 8.7% since its launch. Ranked 10 in Global category. Return for 2021 was 19.7% , 2020 was 2.9% and 2019 was 23% .

Below is the key information for ICICI Prudential Global Stable Equity Fund

ICICI Prudential Global Stable Equity Fund
Growth
Launch Date 13 Sep 13
NAV (28 Nov 22) ₹21.63 ↑ 0.02 (0.09 %)
Net Assets (Cr) ₹103 on 31 Oct 22
Category Equity - Global
AMC ICICI Prudential Asset Management Company Limited
Rating ☆ ☆ ☆ ☆
Risk High
Expense Ratio 0.99
Sharpe Ratio -0.25
Information Ratio 0
Alpha Ratio 0
Min Investment 5,000
Min SIP Investment 1,000
Exit Load 0-3 Months (3%),3-18 Months (1%),18 Months and above(NIL)

Growth of 10,000 investment over the years.

DateValue
30 Nov 17₹10,000
30 Nov 18₹10,616
30 Nov 19₹12,036
30 Nov 20₹12,473
30 Nov 21₹14,272

ICICI Prudential Global Stable Equity Fund SIP Returns

Total investment amount is ₹300,000
expected amount after 5 Years is ₹385,859.
Net Profit of ₹85,859
Invest Now

अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश कर पोर्टफोलियो में ला सकते हैं विविधता

निवेश सलाहकारों का कहना है कि पोर्टफोलियों में विविधता लाने के लिए निवेशकों को दूसरे देशों के म्यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहिए.

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पोर्टफोलियो में भौगोलिक रूप से विविधता लाना समझदारी है. भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहने पर ये विदेशी फंड आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं.

ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, इंटरनेट की कई वैश्विक कंपनियां अमेरिका और यूरोप से आती हैं. इंटरनेशनल फंडों में निवेश आपको इस तरह की दिग्गज कंपनियों में निवेश का अवसर देता है. इसमें अमेजन, एपल, वीजा, एल्फाबेट, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और मास्टरकार्ड जैसे नाम शामिल हैं.

प्रश्न: भारतीय निवेशकों के लिए कौन-कौन से इंटरनेशनल फंड मौजूद हैं?
उत्तर: भारतीय निवेशकों के लिए कई प्रकार के इंटरनेशनल फंड बाजार में मौजूद हैं. इस श्रेणी के फंड अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? मुल्क आधारित, क्षेत्र आधारित अथवा थीम आधारित हो सकते हैं, जो क्रमश: किसी मुल्क (अमेरिका, ब्राजील आदि), निश्चित क्षेत्र (यूरोपीय संघ) या विषय (टेक्नोलॉजी आदि) में निवेश करते हैं.

बतौर भारतीय निवेशक आप इन फंडों में भारतीय रुपये में निवेश कर सकते हैं. आप फंड का चयन करने के बाद भुगतान चेक से रुपये में कर सकते हैं. इन फंडों में ऑनलाइन निवेश भी किया जा सकता है.

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प्रश्न: इंटरनेशनल फंड कैसे अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? निवेश करते हैं?
उत्तर: भारतीय निवेशकों को इंटरनेशनल निवेश ऑफर करने वाले फंड दो तरीकों से विदेशी बाजार में निवेश करते हैं. पहला, वे सीधा विदेशी बाजार के शेयरों में निवेश कर सकते हैं. दूसरा, वे किसी विदेशी फंड में निवेश कर सकते हैं. इसे फीडर रूट कहा जाता है.

प्रश्न: इंटरनेशनल फंड्स में निवेश करने के क्या-क्या जोखिम हैं?
उत्तर: शेयरों में निवेश के जोखिम के साथ-साथ इंटरनेशनल फंडों के साथ करेंसी के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी जुड़ा हुआ है. यह जोखिम विदेशी बाजार में घरेलू करेंसी की वैल्यू घटने या बढ़ने का कारण पैदा हो सकता है. घरेलू निवेशक रुपये में निवेश करते हैं, मगर फंड्स को विदेशी मुद्रा में निवेश करना पड़ता है.

इस वजह से निवेशकों को इन फंडों के प्रति अधिक सचेत रहने की जरूरत होती है. उनकी नेट एसेट वैल्यू (NAV) काफी हद तक प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए यदि डॉलर की तुलना रुपये में कमजोरी आती है, तो अमेरिकी फंडों में निवेश करने वालों को लाभ होगा. इसका उलटा भी हो सकता है.

प्रश्न: इंटरनेशनल फंडों पर टैक्स के नियम क्या हैं?
उत्तर: इंटरनेशनल फंडों पर टैक्स के नियम डेट म्यूचुअल फंड्स की तरह हैं. तीन साल की अवधि तक बनाए रखने पर निवेशकों को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. यह कर कमाए गए मुनाफे पर अपने टैक्स स्लैब के आधार पर दिया जाता है.

तीन साल से अधिक की अवधि तक बनाए रखने पर निवेशकों को कमाए गए मुनाफे पर 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस पर इंडेक्सेशन का लाभ भी दिया जाता है.

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न‍िवेशकों के ल‍िए खुशखबरी, इंटरनेशनल शेयर में फ‍िर से न‍िवेश कर सकेंगे म्युचुअल फंड

अगर आप भी म्युचुअल फंड में न‍िवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, पूंजी बाजार नियामक (SEBI) ने म्युचुअल फंडों (Mutual Fund) को फिर से विदेशी शेयरों में निवेश करने की अनुमति दी है.

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न‍िवेशकों के ल‍िए खुशखबरी, इंटरनेशनल शेयर में फ‍िर से न‍िवेश कर सकेंगे म्युचुअल फंड

SEBI Allows to International Investing: अगर आप भी म्युचुअल फंड में न‍िवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, पूंजी बाजार नियामक (SEBI) ने म्युचुअल फंडों (Mutual Fund) को फिर से विदेशी शेयरों में निवेश करने की अनुमति दी है. यह निवेश उद्योग के लिए सात अरब अमेरिकी डॉलर की कुल अनिवार्य सीमा के भीतर किया जा सकेगा.

अंतरराष्ट्रीय शेयरों के नीचे आने पर ल‍िया फैसला
यह फैसला अंतरराष्ट्रीय शेयरों के नीचे आने के मद्देनजर किया गया है. सेबी ने जनवरी में म्युचुअल फंड घरानों से कहा था कि वे विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली योजनाओं में नए ग्राहक बनाना बंद कर दें. ग्राहक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? बनाने पर रोक का निर्देश मुख्य रूप से म्युचुअल फंड उद्योग द्वारा विदेशी निवेश के लिए तय सात अरब अमेरिकी डॉलर की अनिवार्य सीमा को पार करने के कारण जारी किया गया था.

वैश्विक शेयरों में हालिया मंदी ने सभी म्युचुअल फंड घरानों द्वारा एक साथ किए गए निवेश के संचयी मूल्य को कम कर दिया. सेबी ने म्‍युचुअल फंड (MF) को भेजी जानकारी में कहा, 'म्युचुअल फंड योजनाएं एक फरवरी 2022 को म्युचुअल फंड स्तर पर विदेशी निवेश के लिए तय सीमा का उल्लंघन किए बिना सब्सक्रिप्शन फिर से शुरू कर सकती हैं और विदेशी अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? फंड/प्रतिभूतियों में निवेश कर सकती हैं.'

नियामक ने साथ ही भारतीय म्युचुअल फंड संघ (एम्फी) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें? प्रत्येक एएमसी या म्युचुअल फंड द्वारा विदेशी निवेश फरवरी के स्तर तक सीमित रहे.

निवेश के मंत्र 51: क्या हैं इक्विटी म्यूचुअल फंड, निवेश के लिए क्यों है बेहतर विकल्प?

इक्विटी म्यूचुअल फंड

इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।


अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.

मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।

लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।

लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।

मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।

स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।

डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।

वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।

फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।


अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.

मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।

लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।

लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।

मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।

स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।

डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।

वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।

फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।

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