बेस्ट फॉरेक्स सिग्नल

विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार

विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार
नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

डेट और म्युचुअल फंड मार्केट का भविष्य तय करेगा RBI का एक और रेट कट!

नई दिली। आईएमएफ से लेकर फिच, मूडीज, वल्र्ड बैंक तमाम आर्थिक एजेंसिया ग्लोबल इकोनॉमी को लेकर चिंता जता रही है। सभी का यही कहना है कि दुनिया के सामने ग्रेट रिसेसशन के बाद सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती है, जो कोरोना वायरस के किए लॉकडाउन की वजह से खड़ी हुई है। वहीं बात भारत की करें तो यहां भी वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी को 1.6 फीसदी से 2 फीसदी तक आने का अनुमान लगाया है। वैसे केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से पब्लिक और मार्केट सेंटीमेंट को बढ़ाने के लिए कदम उठाएं है साथ ही और भी कदम उठाने पर काम कर रही है। लेकिन सरकार को अब जल्द ही नए बूस्टर डोज देने की जरुरत है। वहीं आरबीआई का इसमें एक अहम रोल होने जा रहा है। अगर निकट भविष्य में रेट करता है तो डेट और म्यूचुअल फंड मार्केट में इसका फायदा मिलेगा। आपको बता दें कि मार्केट में उतार-चढ़ाव में वृद्धि और विदेशी मुद्रा निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंडों में भारी बिकवाली ने ऋण बाजारों को प्रभावित किया गया था, जिससे बांड पर भी असर देखने को मिला था।

Reserve Bank of India

आरबीआई करे एक और रेट कट
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड में फिक्सड इनकम के सीआईओ महेंद्र जाजू का कहना है कि 27 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए 75 बेसिस अंको की कटौती की। वही सीआरआर को भी 100 बेसिस प्वाइंट तक घटाया। इसके अलावा बैंक ने बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए डाले। आरबीआई के इन कदमों से बॉन्ड मार्केट पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी आरबीआई की तरफ से एक और रेट कट किया जाएगा। जिससे डेट और म्युचुअल फंड मार्केट को मदद मिलेगी और बॉन्ड पैदावार पर तत्काल और निकट-अवधि के प्रभाव पर सकारात्मक असर दिखने को मिलेगा। वहीं उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से ही बड़े पैमाने पर और भी उपाय करने होंगे। हालांकि विशेष रूप से गरीब और दैनिक वेतन भोगियों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही 1.7 लाख लाख रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। अब स्थिति को सामान्य करने के लिए और उपभोग पुनरुद्धार के लिए अर्थव्यवस्था को एक बूस्टर शॉट देने जरुरत है।

कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों से देश को होगा फायदा
महेंद्र जाजू ने कहा कि कच्चे तेल की गिरती कीमतें सरकार के लिए फायदे की बात साबित हो सकती है। ब्रेंट क्रूड की बात करें तो यह 30 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है। जिससे ब्रेंट मूल्य पूर्वानुमान को मानते हुए, भारत 2.5 ट्रिलियन (2.5 लाख करोड़ रुपए) यानी (जीडीपी का 1 फीसदी) से अधिक हासिल करने के का मौका मिलेगा। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह मददगार साबित हो सकता है। तेल की बचत से कुछ हद तक राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलेगी, हालांकि यह पर्याप्त नहीं हो सकता है और इसके लिए जरूरी कदम राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति के उद्देश्यों को अच्छी तरह से भंग कर सकते हैं जो सरकार ने खुद के लिए निर्धारित किए हैं।

बुनियादी बातों से जुड़े रहें
जाजू ने कहा कि मौजूदा में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, ऐसे में बुनियादी बातों से जुड़े रहना काफी जरूरी है। उनके अनुसार क्रेडिट जोखिम स्थाई और बाजार जोखिम अस्थाई है। 2018 के अंत में क्रेडिट संकट पहली बार सामने आया था, इसलिए देखा गया कि बाजारों ने एक्सपोजर लेने के लिए बहुत सीमित प्रसिद्ध नामों को एक अलग प्राथमिकता दी है, जो पूंजी बाजार से पैसा जुटाने में सक्षम हैं। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी है विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार कि उच्च परिचालन जारीकर्ताओं पर दृष्टिगत परिचालन नकदी प्रवाह और मजबूत गियरिंग और तरलता अनुपात के साथ ध्यान केंद्रित किया जाए, क्योंकि उच्च क्रेडिट कॉरपोरेट्स में गतिविधि दूसरों की तुलना में सामान्य स्थिति को फिर से हासिल करेगी।

विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में संवत 2078 में डॉलर के मुकाबले रुपये में 10% की गिरावट

content_image_9ace68ab-ed67-41eb-9b7f-d1f88288a5f9

अहमदाबाद: अक्टूबर 2011 और मार्च 2022 के बीच रुपये की गति द्वि-दिशात्मक थी, लेकिन औसतन यह विशिष्ट फेड उपायों, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक व्यवधानों सहित कारकों के कारण मूल्यह्रास हुआ। विक्रम संवत 2078 में डॉलर के मुकाबले रुपया 10 फीसदी गिर गया। पिछले साल रुपया 83.29 के सर्वकालिक निचले स्तर को छू गया था जो पिछली बार 82.68 पर था।

पिछले साल, रुपया अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक मामूली वृद्धि के साथ कारोबार कर रहा था। बाद के महीनों में, विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली, डॉलर की मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण रुपया 7 मार्च, 2022 को 76.92 के निचले स्तर पर पहुंच गया।

बाद की अवधि में, रुपये ने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ अपने कुछ नुकसान की भरपाई की और 31 मार्च, 2022 को 75.81 रुपये पर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर में महत्वपूर्ण अस्थिरता देखी गई। हालांकि, मार्च 2022 की दूसरी छमाही में इसमें थोड़ी नरमी आई।

FY23 में अप्रैल और सितंबर के बीच, इसने डॉलर के मुकाबले कम कारोबार किया। आरबीआई के हस्तक्षेप ने अस्थिरता पर अंकुश लगाया और रुपये की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित की। विदेशी मुद्रा बाजार (स्पॉट और फॉरवर्ड) में सक्रिय, आरबीआई ने कहा, “हमारा उद्देश्य विदेशी मुद्रा बाजार में अत्यधिक अस्थिरता पर अंकुश लगाना है, विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार जो किसी विशेष स्तर पर काम नहीं कर रहा है।”

आरबीआई ने 6 जुलाई को पूंजी प्रवाह बढ़ाने और समग्र आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। वित्त वर्ष 2013 (27 सितंबर तक) में प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले डॉलर में 16.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपये में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आई, जो विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन दिखा रहा है।

भारतीय मुद्रा का सापेक्षिक बेहतर विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार प्रदर्शन मजबूत आर्थिक बुनियादी बातों आदि के कारण था। भारत में मुद्रास्फीति प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के भारित औसत से नीचे है। आरबीआई ने सितंबर 2022 की मौद्रिक नीति रिपोर्ट में ये बातें कहीं हैं।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 528.36 बिलियन डॉलर (14 अक्टूबर 2022 तक) निवेश में गिरावट के बावजूद मजबूत बना हुआ है, विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार जो बाहरी झटकों से बचाता है। अक्टूबर में रुपया कमजोर होता रहा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के हटने से 82 को पार कर गया।

New Zealand cricketer Kyle Jamieson: काइल जेमीसन ने कहा, चोट से उबरने के बाद खेल से जुड़ने का दोबारा मिला है मौका

न्यूजीलैंड के काइल जेमीसन वर्तमान में क्रिकेट सर्किट के सबसे लंबे तेज विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार गेंदबाजों में से एक हैं. फरवरी 2020 में अपने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू के बाद से जेमीसन को क्रिकेट के सभी प्रारूपों में विशेष रूप से टेस्ट मैचों में बल्ले और गेंद के साथ न्यूजीलैंड के लिए बेहतर प्रदर्शन करते हुए देखा गया है.

New Zealand cricketer Kyle Jamieson: काइल जेमीसन ने कहा, चोट से उबरने के बाद खेल से जुड़ने का दोबारा मिला है मौका

नई दिल्ली, 18 नवंबर : न्यूजीलैंड के काइल जेमीसन वर्तमान में क्रिकेट सर्किट के सबसे लंबे तेज गेंदबाजों में से एक हैं. फरवरी 2020 में अपने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू के बाद से जेमीसन को क्रिकेट के सभी प्रारूपों में विशेष रूप से टेस्ट मैचों में बल्ले और गेंद के साथ न्यूजीलैंड के लिए बेहतर प्रदर्शन करते हुए देखा गया है. यह स्पष्ट हो गया, जब जेमीसन ने पहली पारी में भारत के खिलाफ मैच खेला और 5/31 के आंकड़े हासिल किए, न्यूजीलैंड के लिए जून 2021 में साउथम्प्टन के एजेस बाउल में पहले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल जीतने का आधार स्थापित किया.

लेकिन इंग्लैंड के टेस्ट दौरे के दौरान चोट के कारण उन्हें इस साल जून से क्रिकेट से बाहर होना पड़ा. प्राइम वीडियो द्वारा सुगम आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, जेमीसन ने भारत के न्यूजीलैंड के सफेद गेंद के दौरे, चोट से उबरने पर अपने बारे में बताया. यह भी पढ़ें :

साक्षात्कार अंश :

प्रश्न : आप इस भारत-न्यूजीलैंड सफेद गेंद की श्रृंखला को कैसे देखते हैं और आपको क्या लगता है कि न्यूजीलैंड के लिए कौन महत्वपूर्ण होगा?

उत्तर : उम्मीद है कि न्यूजीलैंड के लिए सकारात्मक तरीके से यह अच्छा होगा. लेकिन, यह हमेशा की तरह प्रतिस्पर्धी मैच होंगे. तो मुझे यकीन है कि फिर से ऐसा ही होगा. लेकिन उम्मीद है कि हम परिणाम हासिल करेंगे. संभवत: लॉकी फग्र्यूसन अच्छी गति से गेंदबाजी कर रहे हैं, उम्मीद है कि वह कीवियों के लिए अच्छा करेंगे.

प्रश्न : 2019 वनडे विश्व कप सेमीफाइनल के बाद अब भारत और न्यूजीलैंड के बीच प्रतिद्वंद्विता नजर आ रही है. क्या आप भारत-न्यूजीलैंड के मैचों के बारे में ऐसा ही महसूस करते हैं जो अब क्रिकेट में प्रतिद्वंद्विता रखते हैं?

उत्तर : दो टीमों के भीतर कुछ महान प्रतियोगिता हुई है, और वे अक्सर बहुत करीबी मुकाबला करते हैं. दोनों ही टीमों में अच्छे खिलाड़ी दुनिया भर की विभिन्न लीगों के साथ अपने अनुभव को साझा करने में सक्षम हैं. लेकिन फिर क्रिकेट के कुछ भयंकर प्रतिस्पर्धी मैच भी हैं. शायद यहीं से यह प्रतिद्वंद्विता आती है. लेकिन इसका हिस्सा बनना हमेशा एक शानदार पल होता है.

प्रश्न : इंग्लैंड सीरीज में लगी पीठ की चोट से आप कैसे उबर रहे हैं? क्या चोट के ठीक होने और पुनर्वास से इस अवधि ने आपको भविष्य के लिए कोई सीख दी है?

उत्तर : यह वास्तव में एक तरह से काफी फायदेमंद रहा है, कुछ समय खेल से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसने शायद मुझे खेल पर अपने ²ष्टिकोण से फिर से जुड़ने की अनुमति दी है. जब क्रिकेट की चीजें हैं, जहां आप अपने खेल के साथ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, यह कैसे आगे बढ़ता हुआ दिखता है, आप अपने कार्यक्रम को कैसे तैयार कर सकते हैं, और इस समूह में मेरे वापस आने के संदर्भ में क्या महत्वपूर्ण है, इस टीम में योगदान करने की उम्मीद है, जब भी आपको खेल से दूर जाने का मौका मिलता है, भले ही यह मजबूरी हो, कई बार, यह सीखने का अवसर भी देता है.

प्रश्न : आपसे जानना चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नई चुनौतियों के अनुकूल खुद को विकसित करने के लिए एक आलराउंडर के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है?

उत्तर : व्यापक रूप से महत्वपूर्ण. मुझे लगता है कि यदि आप आगे नहीं बढ़ रहे हैं, तो आप शायद पीछे की ओर जा रहे हैं. तो यह खेल की प्रकृति है. हर कोई आगे बढ़ रहा है. इतनी जल्दी, आपको थोड़ा सा ट्रेंड के साथ बने रहना होगा. मुझे लगता है कि यह हमेशा (साथ) रखने के लिए एक बदलती चीज है. यह कुछ ऐसा है जिसे आप कई अलग-अलग कारकों के साथ हमेशा टालने की कोशिश करते हैं.

प्रश्न : एक आलराउंडर के रूप में आपके विकास में दयाल हेडली की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही है?

उत्तर : बहुत ज्यादा. वह शायद पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने मेरे भीतर किसी भी प्रकार की गेंदबाजी प्रतिभा देखी और मुझे तेज गेंदबाजी में बदलने के लिए प्रेरित किया. तो अगर मैं शायद उससे नहीं मिला होता, तो शायद मैं कहीं और पड़ा होता. उन्होंने मुझे मेरे खेल की बुनियादी बातें, और गेंदबाजी की समझ दी है. अत: उनका तहे दिल से शुक्रिया.

प्रश्न : क्या सभी प्रारूपों में न्यूजीलैंड के लिए एक वास्तविक आलराउंडर होना एक लक्ष्य है, जो आपको लंबे समय के लिए प्रेरित करता है?

उत्तर : निश्चित रूप से, ऐसा करना अच्छा होता है. मुझे अभी भी लगता है कि आपको सिर्फ खेलना होता है. यह मेरे लिए अप्रासंगिक है. अगर यही मेरा लक्ष्य है, और मैं उस दिशा में काम कर रहा हूं. उम्मीद है, मेरा खेल समय के साथ सुधरेगा और मैं अपना खेल जारी रखूंगा.

नये तरह के आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये व्यवस्था को चाक चौबंद करने की जरूरत: मल्होत्रा

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) मनोनीत राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बृहस्वतिवार को कहा कि नये तरह के आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने की जरूरत है।

‘आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए मल्होत्रा ने आर्थिक अपराधों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत बनाने की जरूरत बतायी।

इस सत्र में जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार-निरोधक कार्यसमूह (एसीडब्ल्यूजी) के लिये भारत की प्राथमिकताओं का जिक्र किया गया। भारत आधिकारिक रूप से एक दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता संभालने जा रहा है।

वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘भारत की अध्यक्षता के दौरान औपचारिक और अनौपचारिक रूप से सूचना साझा करने में बेहतर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास होंगे। साथ ही चोरी की गई संपत्ति को प्राप्त करने के लिये मजबूत प्रणाली बनाने पर जोर होगा।’’

कार्यक्रम के दौरान भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों की जांच में अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संबंधित मामलों की चर्चा की गयी।

मल्होत्रा ने जी-20 भ्रष्टाचार-निरोधक कार्य समूह और वित्तीय कार्यबल समूह के बीच तालमेल के बारे में बात की। उन्होंने आर्थिक अपराधों के मामले में विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत बनाने पर जोर दिया।

राहुल की मेहनत मजबूरी में

नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल अपनी महत्वाकांक्षा से निर्देशित होते हैं। मोदी प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उनको पीएम के पद पर अनंतकाल तक बने रहना है वही केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद हासिल करना है। इसके उलट राहुल गांधी के किसी भी कदम से या बातचीत से जाहिर नहीं हुआ कि वे प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते है। उलटे वे सत्ता को जहर बता चुके हैं। वे केंद्र सरकार में मंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं। प्रधानमंत्री बनने का अवसर भी छोड़ चुके हैं। यह बड़ा और बुनियादी फर्क है। अगर सत्ता की चाह नहीं है और बड़ी महत्वाकांक्षा नहीं है तो तय है कि राहुल गांधी न वैसी राजनीति कर सकते हैं, जैसी मोदी और केजरीवाल कर रहे हैं और न उतनी मेहनत कर सकते हैं, जितनी ये दोनों करते हैं। राहुल में वह किलिंग इंस्टिंक्ट नहीं है जो मोदी व केजरीवाल दोनों की ताकत है।

यदि राहुल गांधी को मेहनत की कसौटी पर ही जांचे तो वह कांग्रेस और राहुल दोनों की मजबूरी दिखाती है। सोचें, राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा से क्या मैसेज बनवा रहे हैं? उनकी इस यात्रा के दो मैसेज हैं। पहला, वे नफरत मिटाने, भाईचारा व प्रेम बढ़ाने और देश को एक करने निकले हैं। दूसरा, वे सत्ता की तानाशाही से डरते नहीं हैं। अब ये दोनों बातें ऐसी हैं, जो राहुल पिछले आठ साल से कह रहे हैं। संसद के भीतर जब वे अपनी सीट से उठ कर गए थे और प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाया था तब भी उन्होंने नफरत मिटाने और प्रेम बढ़ाने का मैसेज दिया था। इसलिए वे अपनी यात्रा में कोई नई बात नहीं कह रहे हैं। नया यह है कि वे पैदल चल रहे हैं। उनकी दाढ़ी बढ़ी है। वे जनता के बीच हैं और लोगों से मिल रहे हैं।

ध्यान रहे कांग्रेस ने उनको अपना सर्वोच्च नेता माना हुआ है या अध्यक्ष रहते सोनिया गांधी ने उनको पार्टी का सर्वोच्च नेता बनवा दिया। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अभी तक कांग्रेस को अपने लिए खतरा मानती रही है इसलिए उसने अपने हल्ले, मीडिया से राहुल गांधी की इमेज एक कमजोर, ढीले ढाले व कुछ हद तक कमअक्ल नेता की बनवाई। प्रचारित किया गया कि वे रिलक्टेंट नेता हैं। यानी उन्हे जबरदस्ती राजनीति में उतारा गया। वे एक स्वाभाविक नेता नहीं हैं। प्रचारित किया गया कि वे राजनीति करना नहीं चाहते हैं। उनको राजनीति समझ में भी नहीं आती। सोचे, एक तरफ उनको पार्टी का सर्वोच्च नेता बना दिया गया तो दूसरी ओर उनके बारे में जनता में कमजोर नेता की धारणा। तभी कांग्रेस की मजबूरी है कि वह राहुल गांधी की छवि बदलने के लिए कुछ बड़ा कार्यक्रम करे। उस मजबूरी में भारत जोड़ो यात्रा है।

By हरिशंकर व्यास

भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक। ‘जनसत्ता’ में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले ‘गपशप’ कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था। आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य। संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, ‘जनसत्ता’, ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, ‘राजनीति संवाद परिक्रमा’, ‘नया इंडिया’ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर ‘कारोबारनामा’, ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी ‘नेटजॉल.काम’ पोर्टल की परिकल्पना और लांच।

रेटिंग: 4.33
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 163
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *