आगे अनुबंध

चेन्नइयन एफसी ने जर्मनप्रीत के अनुबंध को आगे बढ़ाया
जर्मनप्रीत ने कहा, चेन्नइयन एफसी के लिए लगातार खेलते रहने का मुझे गर्व है। मैंने यहां तीन शानदार वर्षों का अनुभव किया है और यह यात्रा बेहद शानदार रही है, जिसमें मैंने कई चीजें सीखीं और प्रगति की। मैं इस शानदार यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए उत्साहित हूं मैं वादा करता हूं कि क्लब को सफल बनाने के लिए मैं अपना 200 फीसदी दूंगा।
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भारत के खिलाफ श्रृंखला के लिए न्यूजीलैंड टीम की घोषणा, दो बड़े खिलाड़ी बाहर
वेलिंगटन : भारत के खिलाफ 18 नवंबर से शुरू हो रही सीमित ओवरों की श्रृंखला के लिए न्यूजीलैंड टीम की घोषणा कर दी गई है और टीम से अनुभवी मार्टिन गुप्टिल और ट्रेंट बोल्ट को बाहर कर दिया गया है। सलामी बल्लेबाज गुप्टिल को उदीयमान खिलाड़ी फिन एलेन को मौका देने के लिए बाहर किया गया है जबकि बोर्ड के केंद्रीय अनुबंध से बाहर रहने का फैसला करने वाले बोल्ट की जगह छह मैचों की श्रृंखला में किसी और को मौका दिया जाएगा।
एलेन को टी20 और वनडे दोनों टीमों में जगह दी गई है। वह अब तक 23 टी20 और आठ वनडे खेलकर पांच अर्धशतक और एक शतक जमा चुके हैं। बोल्ट की गैर मौजूदगी में तेज आक्रमण का जिम्मा टिम साउदी, मैट हेनरी, लॉकी फर्ग्युसन, ब्लेयर टिकनेर और एडम मिल्ने संभालेंगे। मिल्ने ने आखिरी वनडे 2017 में खेला था।
मुख्य कोच गैरी स्टीड ने कहा कि बोल्ट और गुप्टिल को बाहर करना आसान नहीं था लेकिन टीम को आगे की ओर देखना है। उन्होंने कहा, ‘ट्रेंट ने जब अगस्त में न्यूजीलैंड क्रिकेट का अनुबंध छोड़ने का फैसला किया था तभी हमने संकेत दे दिए थे कि प्राथमिकता अनुबंधित खिलाड़ियों को दी जाएगी। हमें आगे की ओर देखना है और दूसरों को भी मौका दिया जाना जरूरी है।'
न्यूजीलैंड और भारत दोनों टीमों के लिए यह श्रृंखला अगले साल होने वाले विश्व कप की तैयारी का मौका है। स्टीड ने कहा, ‘विश्व कप में अब एक साल से भी कम समय बचा है लिहाजा फिन को आगे अनुबंध अनुभव दिए जाने की जरूरत है, खासकर भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ।' केन विलियमसन दोनों प्रारूपों में कप्तान होंगे।
श्रृंखला का कार्यक्रम :
18 नवंबर : पहला टी20, वेलिंगटन
20 नवंबर , दूसरा टी20, तौरंगा
22 नवंबर , तीसरा टी20 , नेपियर
25 नवंबर , पहला वनडे, आकलैंड
27 नवंबर , दूसरा वनडे, हैमिल्टन
30 नवंबर , तीसरा वनडे, क्राइस्टचर्च
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यूसैक्स ने रोके 32 एनजीओ के काम, आगे अनुबंध पर फैसला काम जांचने के बाद
देहरादून/अमित ठाकुर। उत्तराखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने प्रदेश में लक्ष्यगत हस्तक्षेप परियोजना के अंतर्गत काम कर रहे 32 एनजीओ के काम पर रोक लगा दी है। यूसैक्स के इस निर्णय से एनजीओ संचालकों में हड़कंप मचा है।
एनजीओ संचालकों ने परियोजना निदेशक से वार्ता कर स्टाफ आदि का हवाला देकर अनुबंध चालू रखने को कहा है। यूसैक्स अधिकारियों ने दाे टूक कह दिया आगे अनुबंध है कि एनजीओ के काम का ब्योरा जांचने के बाद ही अनुबंध रिन्यू करने पर कोई निर्णय होगा।
यूसैक्स एचआईवी, एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सूबे के सभी जिलों में रोग नियंत्रण को एनजीओ के माध्यम से पिछले कई सालों से कार्य कर रहा है। एनजीओ जागरूकता फैलाने से लेकर मरीजों की देखभाल, बाहर से आने वाले ट्रक ड्राइवरों, सेक्स वर्करों आदि को चिहि्नत कर उनकी काउंसलिंग आदि के काम करते हैं।
एनजीओ को इस एवज में यूसैक्स वार्षिक तौर पर भुगतान करता है। विगत वर्षों में इन एनजीओ की संख्या लगातार बढ़ी है। प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को इन एनजीओ के अनुबंध समाप्त होने पर यह स्वत: ही चालू मान लिए जाते थे।
इस बार परियोजना निदेशक वाईके पंत के निर्देशों पर अपर परियोजना निदेशक वीएस टोलिया ने समस्त 32 एनजीओ को अवगत आगे अनुबंध करा दिया कि उनके अनुबंध 31 मार्च को समाप्त हो गए हैं। इसके बाद काम करने का कोई औचित्य नहीं है। 4 जून को जारी पत्र में कहा गया है कि यदि कोई संस्था बिना किसी अनुबंध के कार्य करती है, तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी उनकी स्वयं होगी।
यूसैक्स इसके लिए कोई भुगतान नहीं करेगा। डॉ. वीएस टोलिया ने बताया कि संस्थाओं को बुधवार रात परियोजना निदेशक के साथ हुई बैठक में अवगत करा दिया गया है कि अब तक किए गए कामों के प्रस्तुतिकरण के बाद ही आगे काम देने पर निर्णय होगा। सभी एनजीओ को 3-3 के ग्रुप में बुलाकर उनका प्रजेंटेशन देखा जाएगा। इसके लिए जल्द तिथियां जारी कर दी जाएंगी।
इसलिए उठ रहे सवाल
यूसैक्स से अनुबंधित समस्त एनजीओ के काम 31 मार्च को समाप्त हो चुके हैं। यूसैक्स की ओर से 4 जून को इस आशय का पत्र जारी हुआ कि एनजीओ कोई काम करते हैं, तो जिम्मेदारी उनकी होगी। सवाल यह है कि जब 31 मार्च को अनुबंध समाप्त हो गए, तो अब जाकर क्यों यह पत्र जारी किया गया।
हालांकि, डॉ. वीएस टोलिया की मानें तो 31 मार्च को भी यह पत्र जारी किया गया था। एनजीओ के लिए यूसैक्स की ओर से करीब 25 करोड़ का सालाना बजट आवंटित होता है। एनजीओ संचालकों के आरोप है कि उन पर दबाव बनाने के लिए इस बार जानबूझकर अनुबंध को लेकर यह विवाद पैदा किया जा रहा है। यह भी आरोप है कि विगत सालों में 31 मार्च को अनुबंध समाप्त होने के बावजूद यह प्रक्रिया जुलाई में पूरी कर ली जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया।
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अनुबंध कर्मचारियों को अनुबंध समाप्त होने पर कोई कानूनी अधिकार नहीं
मैं ग्राम पंचायत मे नरेगा मे ग्राम रोजगार सहायक के पद संविदा पर कायर्रत हूँ। लेकिन जनवरी 2010 से ग्राम पंचायत ने मेरा मानदेय नहीं दिया बल्कि मेरे खिलाफ 20 एवं 27 फरवरी 2010 को अनुपस्थिति का झूठा नोटिस निकाल दिया। जबकि ग्राम सेवक ने फरवरी 2010 की उपस्थिति को 1 मार्च 2010 को प्रमाणित किया है। इस बीच विकास अधिकारी ने मेरा अनुबंध फरवरी 2011 तक बढा दिया था। दिसम्बर 2010 में विकास अधिकारी पर अत्यधिक दबाव पङने के कारण मेरा तबादला रासीसर पंचायत से पारवा कर दिया था लेकिन पारवा सरपंच ने अपने यहाँ ग्राम रोजगार सहायक होने का हवाला देकर मुझे ज्वाइनिंग देने से इन्कार कर दिया।
मु झे पिछला वेतन लेने तथा मेरा अनुबध आगे बढाने के लिए क्या करना चाहिए?
न रेगा महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत आप का नियोजन किन्हीं सेवा नियमों से शासित होने के स्थान पर आप के नियुक्ति पत्र से ही संचालित होता है। आप का नियुक्ति पत्र वास्तव में एक सीमित कालावधि के नियोजन के लिए किया गया अनुबंध है। जिस कालावधि के लिए आप से अनुबंध किया गया है, अनुबंध में वर्णित अवधि की समाप्ति के उपरांत आप का नियोजन स्वतः ही समाप्त हो जाता है। उस नियोजन को आगे बढ़ाने के लिए फिर से एक नए अनुबंध की आवश्यकता होती है। अब आप चाहते हैं कि आप का अनुबंध नवीकृत होता रहे या फिर आप को स्थाई नियुक्ति प्राप्त हो जाए जिस में सेवा के अवसान की तिथि पहले से न बताई गई हो। इस तरह नियोजन अवधि आगे बढ़ाने अथवा स्थाई नियुक्ति प्राप्त करने का कोई कानूनी मार्ग नहीं है।
आ प यह समझ रहे हैं कि आप ने अब तक जो काम किया है उसे आधार बना कर किसी कानूनी प्रक्रिया से आप का नियोजन बना रहे तो आप की यह समझ गलत है। पहले जो लोग एक वर्ष तक निरंतर किसी औद्योगिक नियोजन में सेवा कर चुके होते थे, उन्हें औद्योगिक विवाद अधिनियम में वर्णित प्रक्रिया अपना कर ही सेवा से हटाया (छंटनी किया) जा सकता था। यदि इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि हो जाती थी तो कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत अपना मामला उठा सकता था और न्यायालय के निर्णय से पुनः नियोजन प्राप्त कर सकता था। लेकिन 1982 में औद्योगिक विवाद अधिनियम में किए गए संशोधनों में छंटनी शब्द की परिभाषा को संशोधित कर दिया गया और उस में से नियुक्ति पत्र या नियोजन अनुबंध में वर्णित रीति से होने वाली सेवा समाप्ति को हटा दिया गया। इस तरह अब यदि नियुक्ति पत्र या नियोजन अनुबंध में ही यह प्रावधान कर दिया जाए कि किसी निश्चित अवधि के उपरांत कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त हो जाएंगी या फिर नियोजन ही सीमित कालावधि के लिए प्रदान किया गया है तो ऐसी सेवा समाप्ति के लिए किसी प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी सेवा समाप्ति को किसी तरह का कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं रह गया है।
इ स संशोधन का परिणाम यह हो गया है। अनुबंध समाप्त हो जाने पर कर्मचारी का किसी तरह का कोई संबंध नियोजक से नहीं रह जाता है। वह एक कानूनी अधिकार के रूप में अपनी सेवा को जारी रखने
या पुनः सेवा में लिए जाने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकता। आप के मामले में भी यही बात है। यह पूरी तरह नियोजक की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह आप के नियोजन को आगे बढ़ाए या न बढ़ाए। आप को पुनः अनुबंधित करे या न करे। हाँ अब यह अवश्य कहा जा रहा है कि आप के जैसे रोजगार सहायकों को स्थाई नियोजन दिया जाएगा। यदि इस तरह का कोई आदेश सरकार देती है और उस के अंतर्गत आप को कोई कानूनी अधिकार प्राप्त होता है तो आप उसे प्राप्त करने के लिए उच्चन्यायालय के समक्ष रिट याचिका दाखिल कर सकेंगे। वर्तमान में तो आप को पुनः नियोजन प्राप्त करने के लिए उसी प्रक्रिया से गुजरना होगा जिस से पहली बार यह नियोजन प्राप्त करने के लिए गुजरना पड़ा था। आप अधिक से अधिक यह कह सकते हैं कि आप को इस कार्य का अनुभव प्राप्त है, और प्रक्रिया में इस का लाभ ले सकते हैं।